याचिकाकर्ता वकील एहतेशाम हाशमी के ख़िलाफ़ त्रिपुरा पुलिस ने पिछले साल राज्य में हुई हिंसा पर उनकी रिपोर्टिंग के लिए कठोर गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है. हाशमी ने एसआईटी द्वारा जांच की मांग की है, जिसमें एक मस्जिद को नष्ट करने सहित मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाओं को दरकिनार करने में पुलिस और त्रिपुरा सरकार की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है.
त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी एक याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि स्वतंत्र जांच की मांग करने वालों की नीयत ठीक नहीं है और वे जनहित की आड़ में कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर सी-ग्रेड न्यूज़ चैनल ऐसे तर्क देते तो समझा जा सकता था, पर किसी राज्य सरकार का ऐसा करना शोभा नहीं देता.
फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार के अनुसार, रफाल निर्माता दासो एविएशन ने ‘फ़र्ज़ी बिल’ के ज़रिये बिचौलिए सुषेन गुप्ता को रिश्वत दी थी और 2018 में भारत में इस सौदे में भ्रष्टाचार की आधिकारिक शिकायत मिलने के हफ्तेभर बाद सीबीआई को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से इससे संबंधित कई दस्तावेज़ मिले थे.
मोदी सरकार के पास दासो एविएशन के साथ सौदे पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त सबूत थे. ऐसे में यह सौदा क्यों हुआ? अगर पिछली यूपीए सरकार में रिश्वत मिली थी, तो दासो को ब्लैकलिस्ट में क्यों नहीं डाला गया?
फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार के अनुसार, सीबीआई को 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस के अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय से कई दस्तावेज़ मिले थे, जिसमें 'फ़र्ज़ी बिल' भी शामिल थे. ऐसा जांच एजेंसी को रफाल मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित आधिकारिक शिकायत मिलने के ठीक एक सप्ताह बाद हुआ था.
'डू पॉलिटिक्स' नाम का यूट्यूब चैनल चलाने वाले अजीत भारती के एक वीडियो में शीर्ष अदालत और इसके न्यायाधीशों को लेकर 'आपत्तिजनक' टिप्पणियों को लेकर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति दी है. उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका के लिए बेहद अपमानजनक है और इसका मक़सद स्पष्ट रूप से अदालतों को बदनाम करना है.
रफ़ाल सौदे को लेकर फ्रांस के एक न्यायाधीश को सौंपी गई न्यायिक जांच को लेकर विपक्ष ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. फ्रांसीसी इनवेस्टिगेटिव वेबसाइट मेदियापार ने बीते दो महीनों में इस सौदे से जुड़े संभावित अपराधों को लेकर कई ख़बरें प्रकाशित की थीं, जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं.
पेरिस की इनवेस्टिगेटिव वेबसाइट मीडियापार्ट के अनुसार, वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में आरोपी कारोबारी सुषेन गुप्ता के क़रीब दो दशकों से दासो और इसकी पार्टनर थेल्स से व्यापारिक संबंध हैं और रफ़ाल सौदे को लेकर कंपनियों ने गुप्ता को कमीशन के तौर पर करोड़ों रुपये का भुगतान किया था.
कांग्रेस ने रफ़ाल सौदे में एक बिचौलिये को 11 लाख यूरो का भुगतान किए जाने के दावे संबंधी फ्रांसीसी मीडिया की एक ख़बर का हवाला देते हुए सवाल किया, क्या इस मामले की पूरी और स्वतंत्र जांच कराने की ज़रूरत नहीं है? केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप को निराधार बताते हुए कहा कांग्रेस पर सुरक्षा बलों को कमज़ोर करने के प्रयास का आरोप लगाया.
पेरिस की इनवेस्टिगेटिव वेबसाइट मीडियापार्ट की रिपोर्ट के अनुसार, रफ़ाल विमान निर्माता दासो एविएशन एक भी ऐसा दस्तावेज़ उपलब्ध करा पाने में नाकाम रही, जो संदिग्ध भुगतान को जायज़ ठहरा सके. बावजूद इसके फ्रांसीसी भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी द्वारा मामले को अभियोजन के लिए न भेजने का फैसला किया गया.
मामला 15 अप्रैल 2011 को पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण की शिकायत से संबंधित है, जहां उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी छवि धूमिल करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और तत्कालीन सपा नेता अमर सिंह के साथ हुई उनकी बातचीत की सीडी में छेड़छाड़ की गई, जिसकी सामग्री अपमानजक है.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के आधार पर पत्रकार राजदीप सरदेसाई के ख़िलाफ़ अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना मामला दर्ज करने के संबंध में मीडिया में ख़बर आई थी. हालांकि न्यायालय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि ऐसा ग़लती से हो गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में एक नए शब्द 'आंदोलनजीवी' का ज़िक्र करते हुए कहा था कि पिछले कुछ समय से देश में एक नई बिरादरी 'आंदोलनजीवी' सामने आई है. ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है, ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते ढूंढते रहते हैं.
आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को ज़मानत मिलने के संबंध में कथित आपत्तिजनक ट्वीट के लिए स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के ख़िलाफ़ हाल ही में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मंज़ूरी दी है.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ अवमानना के एक मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि टीवी चैनल आरोपियों के निजी वॉट्सऐप चैट को प्रसारित कर रहे हैं, यह न्यायिक व्यवस्था के लिए बेहद ख़तरनाक है.