उत्तर प्रदेश के बदायूं स्थित ज़िला महिला अस्पताल का मामला. आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने महिला के परिजनों से जांच के लिए 5,000 रुपये की मांग की थी. पैसे नहीं होने के कारण उन्होंने महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया. ज़िला मजिस्ट्रेट ने कहा कि घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं.
मामला फिरोज़ाबाद का है. एचआईवी पॉजिटिव महिला के परिवार का आरोप है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रसव पीड़ा के बावजूद कई घंटों तक उन्हें छूने से मना किया. अस्पताल प्रमुख के हस्तक्षेप के बाद महिला की डिलीवरी हुई, जिसके कुछ घंटे बाद ही नवजात की मौत हो गई. अस्पताल ने जांच के आदेश दिए हैं.
आंध्र प्रदेश के तिरुपति में एक गर्भवती महिला ने स्थानीय लोगों की मदद से सड़क पर ही बच्ची को जन्म दे दिया, क्योंकि उन्हें यहां के सरकारी प्रसूति अस्पताल में कथित तौर पर भर्ती किए जाने से मना कर दिया गया था. ज़िला कलेक्टर ने आरोप का ग़लत बताया है.
कर्नाटक के तुमकुरु ज़िला अस्पताल का मामला. मां समेत उसके जुड़वा बच्चों की मौत के बाद अस्पताल के प्रसूति वार्ड की तीन प्रभारी नर्सों और एक ऑन-ड्यूटी डॉक्टर को लापरवाही के लिए निलंबित करने के साथ मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं.
अरुणाचल प्रदेश के कोलोरियांग क्षेत्र से भाजपा विधायक लोकम टसर के ख़िलाफ़ पुलिस ने चार जुलाई को एक गर्भवती महिला से बलात्कार के आरोप का मामला दर्ज किया है. इस बीच पुलिस ने विधायक की गिरफ़्तारी के प्रयास तेज़ कर दिए हैं. मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि अगर अदालत ने विधायक के ख़िलाफ़ आरोपों को सही पाया तो भाजपा उनके ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करेगी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शादी का झांसा देकर एक युवती से शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी की याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि किसी लड़की के साथ महज़ दोस्ताना रिश्ता होने से किसी लड़के को उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की सहमति मानने की अनुमति नहीं मिल जाती.
दिल्ली महिला आयोग ने इंडियन बैंक को नोटिस जारी करके उससे अपने इस दिशा-निर्देश को वापस लेने को कहा है, जिसके तहत तीन माह या उससे अधिक समय की गर्भवती महिलाओं को नौकरी के लिए अस्थायी रूप से अयोग्य क़रार दिया गया है. इससे पहले जनवरी में भारतीय स्टेट बैंक ने ऐसे ही नियम लागू किए थे. हालांकि विरोध के बाद उसे वापस ले लिया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक गर्भवती महिला को भ्रूण में अधिक विकृति रहने के चलते मेडिकल गर्भपात कराने की अनुमति दी है. याचिकाकर्ता ने गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर कर दावा किया था कि भ्रूण दिल की असामान्यताओं से पीड़ित है और उसके जीवित रहने की संभावना सीमित है.
महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के भिवंडी में एक सरकारी अस्पताल पर 28 वर्षीय आदिवासी महिला को करीब 11 घंटे अस्पताल की सीढ़ियों पर बिठाए रखने का आरोप लगा है. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि जब उन्हें इस बारे में सूचित किया गया, तो उन्होंने तुरंत उन्हें भर्ती करने की व्यवस्था की.
सितंबर में केरल हाईकोर्ट में कम से कम तीन ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें से दो में मेडिकल बोर्ड ने गर्भावस्था समाप्त करने की सिफ़ारिश की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इसकी अनुमति दे दी. तीसरे मामले में नाबालिग बलात्कार पीड़िता के आठ सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की अनुमति मांगी गई है.
हाईकोर्ट ने यह आदेश नाबालिग बलात्कार पीड़िता और उनके माता-पिता की उस याचिका पर दिया है, जिसमें उन्होंने गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के लिए अस्पताल को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. अदालत ने कहा कि एक गर्भवती की गर्भावस्था जारी रखने या समाप्त करने का चयन करने की स्वतंत्रता छीनी नहीं जा सकती.
केरल के कोट्टायम ज़िले का मामला. महिला ने गर्भावस्था की पुष्टि के बाद छह अगस्त को कोविशील्ड की पहली डोज़ ली थी. 11 अगस्त को उन्हें तेज सिर दर्द हुआ, जिसके चार दिन बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराय गया, जहां 20 अगस्त को उनकी मौत हो गई. कोट्टायम के ज़िला चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि अस्पताल ने महिला की मौत को किन परिस्थितियों में वैक्सीन से जोड़ा है. हमें ऑटोप्सी रिपोर्ट का
मामला गुना ज़िले का है. पांच महीने की गर्भवती महिला के पति द्वारा उसे छोड़ने के बाद उसके एक व्यक्ति के साथ रहने से नाराज़ ससुरालवालों ने उससे मारपीट की और कंधे पर एक युवक को बैठाकर तीन किलोमीटर तक नंगे पैर घुमाया. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद चार लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद शहर का मामला. आरोप है कि आठ माह की गर्भवती पत्नी को लेकर युवक सुबह से शाम तक ग़ाज़ियाबाद से लेकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा तक के अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन कहीं बेड न होने और कहीं पत्नी में कोरोना वायरस के लक्षण होने की बात कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया गया.
आईसीएमआर के मुताबिक, कोरोना वायरस की जांच में मिले सबूतों से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में संक्रमण हो सकता है और संक्रमित मां से प्रसव के दौरान भी शिशु संक्रमित हो सकता है.