बीबीसी ने ब्रिटेन में प्रसारित ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में कहा है कि ब्रिटेन सरकार की गोपनीय जांच में गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार पाए गए थे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे ‘दुष्प्रचार’ बताते हुए कहा कि इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता झलकती है.
वीडियो: बीते दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक साक्षात्कार में कहा कि हिंदू समाज युद्ध में है, इस लड़ाई में लोगों में कट्टरता आएगी. उनके इस बयान पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन.
बीबीसी ने ब्रिटेन में 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नाम की एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की है, जिसमें बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पाया गया था.
संघ प्रमुख की मुसलमानों से अपना ‘श्रेष्ठताबोध’ छोड़ने को कहकर उनकी भारतीयता की शर्त तय करने की कोशिश हो या उपराष्ट्रपति की विधायिका का ‘श्रेष्ठताबोध’ जगाकर उसके व न्यायपालिका के बीच का संतुलन डगमगाने की, दोनों के निशाने पर देश का संविधान ही है.
संघ प्रमुख ने ठीक कहा कि हिंदू युद्धरत हैं. लेकिन यह एकतरफ़ा हमला है. पिछले कुछ वर्षों में सारे हिंदू नहीं, लेकिन उनके नाम पर हिंदुत्ववादी गिरोहों ने मुसलमानों, ईसाइयों के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है. और दूसरा पक्ष, यानी मुसलमान और कुछ जगह ईसाई, इसका कोई उत्तर नहीं दे सकते. फिर इसे युद्ध क्यों कहें?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस तरह के झुकाव वाले लोग हमेशा से थे, जब से मानव का अस्तित्व है. यह जैविक है, जीवन का एक तरीका है. हम चाहते हैं कि उन्हें उनकी निजता का हक़ मिले और वह इसे महसूस करें कि वह भी इस समाज का हिस्सा है.
बस्तर संभाग के नारायणपुर ज़िले में कलेक्ट्रेट के बाहर सैकड़ों लोग डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने कलेक्टर को सौंपे एक ज्ञापन में आरोप लगाया है कि आरएसएस और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों के उकसावे पर ईसाइयों के साथ हिंसा की जा रही है. उनकी मांग है कि दोषियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कार्रवाई की जाए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय किसान संघ की ओर से दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘किसान गर्जना रैली’ का आयोजन किया गया. न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा किसानों ने कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने, पीएम-किसान योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि और जीएम फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति को ख़त्म करने की मांग की है.
छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले में स्वयंसेवकों के एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है. जो भारत को अपनी मातृभूमि मानता है, विविधता में एकता वाली संस्कृति को जीना चाहता है, वह किसी भी तरह पूजा करे, कोई भी भाषा बोले, खानपान, रीति-रिवाज कोई हो, वह हिंदू है.
केरल के तिरुवनंतपुरम ज़िले के अनावूर में पांच नवंबर, 2013 को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की युवा शाखा के तत्कालीन क्षेत्रीय सचिव शिवप्रसाद पर हमले के लिए आए आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उनके पिता नारायणन नायर की परिवार के सामने हत्या कर दी थी.
पांच नवंबर, 2013 को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की युवा शाखा के तत्कालीन क्षेत्रीय सचिव पर हमले के लिए आए आरएसएस कार्यकर्ताओं ने उनके पिता की हत्या कर दी थी. दोषी ठहराए गए आरएसएस के 11 कार्यकर्ताओं को अदालत 14 नवंबर को सज़ा सुनाएगी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तमिलनाडु में छह नवंबर को 50 स्थानों पर प्रस्तावित मार्च निकालने की पुलिस द्वारा अनुमति न मिलने के बाद अदालत का रुख़ किया था. मद्रास हाईकोर्ट ने मार्च को स्टेडियम के अंदर निकालने और लाठी या हथियार साथ न रखने की शर्त रखी थी. संघ ने कहा है कि अदालत के इस फैसले को चुनौती दी जाएगी.
बीते कुछ दिनों से आरएसएस नेताओं की भाषा बदली दिख रही है लेकिन बदलाव संघ के एजेंडा पर कभी रहा नहीं है. यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि संघ ने ‘अराजनीतिक होने की राजनीति’ करते हुए अपने स्वयंसेवकों को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाया है और कैसे वे लोकतंत्र व संविधान के गुणों व मूल्यों से खिलवाड़ कर रहे हैं.
1995 के बाद 2020 में सभी समुदायों में मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर में सबसे तेज़ गिरावट दर्ज हुई है. नतीजन उनकी जनसंख्या वृद्धि दर भी कम हुई है. एक राजनीतिक साज़िश के तहत मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि की बात कहते हुए भय और अविश्वास पैदा करके हिंदुओं का ध्रुवीकरण किया जा रहा है.
भारतीय अप्रवासी राजनीति अब भारत के ही सूरत-ए-हाल का अक्स है. वही ध्रुवीकरण, वही सोशल मीडिया अभियान, वही राजनीतिक और आधिकारिक संरक्षण और वैसी ही हिंसा. असहमति तो दूर की बात है, एक भिन्न नज़रिये को भी बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है.