राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तमिलनाडु में छह नवंबर को 50 स्थानों पर प्रस्तावित मार्च निकालने की पुलिस द्वारा अनुमति न मिलने के बाद अदालत का रुख़ किया था. मद्रास हाईकोर्ट ने मार्च को स्टेडियम के अंदर निकालने और लाठी या हथियार साथ न रखने की शर्त रखी थी. संघ ने कहा है कि अदालत के इस फैसले को चुनौती दी जाएगी.
बीते कुछ दिनों से आरएसएस नेताओं की भाषा बदली दिख रही है लेकिन बदलाव संघ के एजेंडा पर कभी रहा नहीं है. यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि संघ ने ‘अराजनीतिक होने की राजनीति’ करते हुए अपने स्वयंसेवकों को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचाया है और कैसे वे लोकतंत्र व संविधान के गुणों व मूल्यों से खिलवाड़ कर रहे हैं.
1995 के बाद 2020 में सभी समुदायों में मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर में सबसे तेज़ गिरावट दर्ज हुई है. नतीजन उनकी जनसंख्या वृद्धि दर भी कम हुई है. एक राजनीतिक साज़िश के तहत मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि की बात कहते हुए भय और अविश्वास पैदा करके हिंदुओं का ध्रुवीकरण किया जा रहा है.
भारतीय अप्रवासी राजनीति अब भारत के ही सूरत-ए-हाल का अक्स है. वही ध्रुवीकरण, वही सोशल मीडिया अभियान, वही राजनीतिक और आधिकारिक संरक्षण और वैसी ही हिंसा. असहमति तो दूर की बात है, एक भिन्न नज़रिये को भी बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है.
मोहन भागवत ने किसी समुदाय का नाम लिए बिना देश में समुदायों के बीच जनसंख्या के बढ़ते असंतुलन पर चिंता जताई. संघ शुरू से इशारों में ही बात करता रहा है. इससे वह क़ानून से बचा रहता है. साथ ही संकेत भाषा के कारण बुद्धिजीवी भी उनके बचाव में कूद पड़ते हैं, जैसे अभी पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी कर रहे हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि 20 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं और 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपये से भी कम कमा रहे हैं. ग़रीबी हमारे सामने एक राक्षस-जैसी चुनौती है. यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को ख़त्म किया जाए.
तमिलनाडु सरकार ने दो अक्टूबर को आरएसएस को राज्य में पथ संचलन की अनुमति देने से मना कर दिया था. इसके ख़िलाफ़ मद्रास हाईकोर्ट पहुंचे आरएसएस को अब अदालत ने 6 नवंबर को राज्य में रैली और सभाएं करने की अनुमति दी है.
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और इससे जुड़े संगठनों पर लगाए प्रतिबंध को राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बताते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन किया है.
केंद्र सरकार द्वारा गैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सामने आई प्रतिक्रियाओं में कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई हिंदुत्ववादी संगठनों पर भी बैन लगाने की मांग की है.
स्वतंत्रता संग्राम के समय मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा दोनों ही कांग्रेस को अपने मुख्य दुश्मन के तौर पर देखते थे और अंग्रेज़ों के साथ दोस्ती करने के लिए तैयार थे- वे साथ ही साथ राष्ट्रवादी होने का दावा भी करते थे. हालांकि, एक मुस्लिम राष्ट्रवाद को आगे बढ़ा रहा था और दूसरा हिंदू राष्ट्रवाद को.
बीते 28 अगस्त को एशिया कप में हुए भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबले के बाद ब्रिटेन के लेस्टर शहर में हिंदू-मुस्लिम समुदाय आमने-सामने आ गए थे, तब से ही शहर में हाथापाई और सांप्रदायिक तनाव में वृद्धि देखी जा रही है. शनिवार को दोनों समुदायों के बीच फिर से झड़प हुई थीं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी जे. नंदकुमार ने कहा कि आम लोग मांसाहार का सेवन करते हैं. आप यह नहीं कह सकते कि यह भारत में प्रतिबंधित है. जलवायु संबंधी परस्थितियों और भौगोलिक स्थितियों के अनुसार लोग इस तरह का भोजन करते हैं.
हरिद्वार ज़िले के झबरेड़ा क़स्बे के एक मुस्लिम परिवार का अपने पड़ोसियों के साथ संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है, जिसे लेकर उन्हें धमकियां मिल चुकी थीं. उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस में की थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. बताया गया है कि 29 अगस्त को पड़ोसियों ने हथियारों के साथ परिवार पर कथित तौर पर हमला कर दिया.
त्रिपुरा के गोमती ज़िले में एक मंदिर के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भगवत ने कहा कि हमें सनातन धर्म की रक्षा करनी है. इसमें एकता और अपनेपन का दर्शन है. हम धर्म के लिए जीते हैं, हम धर्म के लिए मरते हैं. हमें धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देना पड़ता है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में नागपुर ज़िला और सत्र न्यायालय ने हथियारों के ‘अवैध क़ब्ज़े’ को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ख़िलाफ़ शिकायत मिलने के बावजूद केस दर्ज करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए यह नोटिस जारी कर चार हफ़्ते के भीतर जवाब दाख़िल करने को कहा है.