ईरान में अगर गश्ती दस्ते हिजाब जबरन पहना रहे हैं तो भारत में सरकारी गश्ती दस्ते जबरन हिजाब उतार रहे हैं. फ़र्क़ यह है कि ईरान में एक इस्लामी हुकूमत मुसलमानों को अपने हिसाब से पाबंद करना चाहती है और भारत में एक हिंदू हुकूमत मुसलमानों को अपने क़ायदों में क़ैद करना चाहती है.
मोदी सरकार एक ऐसा राज्य स्थापित करने की कोशिश में है जहां जनता सरकार से जवाबदेही न मांगे. नागरिकों के कर्तव्य की सोच को इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान संविधान में जोड़ा था. मोदी सरकार बिना आपातकाल की औपचारिक घोषणा के ही अधिकारहीन कर्तव्यपालक जनता गढ़ रही है.
उत्तर प्रदेश सरकार में मत्स्य मंत्री संजय निषाद ने कहा कहा कि भारत में धार्मिक उन्माद फैला है और मैं उन लोगों से चाहूंगा कि जैसे वे राम मंदिर से स्वतः हट गए, वैसे ही देश में जितनी मस्जिदें मंदिरों के पास बनी है, वहां से भी हट जाएं.
बीते सप्ताह गणेशोत्सव के बाद प्रतिमा विसर्जन के दौरान विभिन्न राज्यों में तीस से अधिक मौतें हुईं. अफ़सोस की बात यह है कि इन मौतों को अचानक हो गए हादसों का परिणाम नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह मानने के एक नहीं, अनेक कारण हैं कि बचाव के पर्याप्त उपाय करके ऐसी अप्रिय घटनाओं को रोका जा सकता था.
सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से मना करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुन रहा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हर किसी को धर्म के पालन का अधिकार है, पर सवाल ये है कि क्या यह अधिकार निर्धारित यूनिफॉर्म वाले स्कूल में भी लागू हो सकता है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हमारा समय दुर्भाग्य से ऐसा हो गया है कि राजनेता किसी को कुछ भी कह सकते हैं, अभद्रता और अज्ञान से. उनके अनुयायियों की भावनाएं इस अभद्रता से आहत नहीं होतीं.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले के छजलैट क्षेत्र के दुल्लेपुर गांव का मामला. पुलिस ने कहा कि अब मामले को ख़ारिज कर दिया है, क्योंकि मामले की जांच में शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित कोई सबूत नहीं मिला है.
राजस्थान में कथित रूप से पानी का मटका छूने को लेकर शिक्षक की पिटाई के बाद एक दलित छात्र की मौत को लेकर जारी आक्रोश के बीच कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक साक्षात्कार में जाति प्रथा को पूरी तरह से ख़त्म करने और पूर्वाग्रह के ख़िलाफ़ कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने पर ज़ोर दिया.
5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस का आरोप है कि आरोपी क़ानून-व्यवस्था ख़राब करने के लिए हाथरस जा रहा था. कप्पन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.
आज़ादी ने हमें लोकतंत्र दिया, जबकि नस्लीय राष्ट्रवाद का परिणाम बंटवारा था, जिसने अपने पीछे खून से लथपथ सांप्रदायिक हिंसा के निशान छोड़े. बेशक राष्ट्रवाद अच्छा है- लेकिन इसने नस्लीय अल्पसंख्यकों, कमज़ोरों और जिन्हें यह अपने यहां का नहीं मानता है, के लिए ख़तरे खड़े किए हैं.
आज़ादी के 75 साल: देश की आज़ादी के 75 साल बाद भी आदिवासी समुदाय अपने जल, जंगल, ज़मीन, भाषा-संस्कृति, पहचान पर हो रहे अतिक्रमणों के ख़िलाफ़ लगातार संघर्षरत है.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में मौजूदा धर्मांतरण रोधी क़ानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया गया, जिसमें मौजूदा क़ानून में सज़ा बढ़ाने का और ‘सामूहिक धर्मांतरण’ के उल्लेख का प्रावधान है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अधिनियम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सज़ा की धाराओं में बदलाव किए जा रहे हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश प्रतिभा एम. सिंह ने एक कार्यक्रम में महिलाओं को सम्मान देने की बात कहते हुए मनुस्मृति की प्रशंसा की थी. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने जिन ग्रंथों का हवाला दिया है वे सीधे तौर पर संविधान और भारत की महिलाओं, विशेष रूप से दलित और आदिवासी महिलाओं को मिले अधिकारों के घोर विरोधी हैं.
मोहम्मद हसन के नाटक ‘ज़ह्हाक’ में सत्ता के उस स्वरूप का खुला विरोध है जिसमें सेना, कलाकार, लेखक, पत्रकार, अदालतें और तमाम लोकतांत्रिक संस्थाएं सरकार की हिमायती हो जाया करती हैं. नाटक का सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुल्क की मौजूदा सत्ता में ‘ज़ह्हाक’ कौन है? क्या हमें आज भी जवाब मालूम है?
सदियों से एक दूसरे के पड़ोस में रहने के बावजूद हिंदू-मुसलमान एक दूसरे के धार्मिक सिद्धांतों से अपरिचित रहे हैं. प्रेमचंद ने अपने एक नाटक की भूमिका में लिखा भी है कि 'कितने खेद और लज्जा की बात है कि कई शताब्दियों से मुसलमानों के साथ रहने पर भी अभी तक हम लोग प्रायः उनके इतिहास से अनभिज्ञ हैं. हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य का एक कारण यह है कि हम हिंदुओं को मुस्लिम महापुरुषों के सच्चरित्रों का ज्ञान नहीं.'