नगा संगठन एनएससीएन-आईएम ने कार्बी-आंगलोंग स्वायत्त प्रादेशिक परिषद को अंतिम रूप देने की केंद्र और असम सरकार की प्रस्तावित योजना को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि यह असम में रेंगमा नगाओं की पैतृक भूमि को अलग करती है. उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत सरकार और उनके संगठन के बीच हुई नगा शांति वार्ता का महत्वपूर्ण एजेंडा भी है, जिस पर अंतिम निर्णय लंबित है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि संघर्ष विराम समझौतों को एक साल के लिए और बढ़ाने का निर्णय लिया गया है, जो एनएससीएन/एनके और एनएससीएन/आरके साथ 28 अप्रैल 2021 से 27 अप्रैल 2022 तक तथा एनएससीएन/के-खांगो के साथ 18 अप्रैल 2021 से 17 अप्रैल 2022 तक प्रभावी रहेगा.
नगालैंड के राज्यपाल और नगा शांति वार्ता के मध्यस्थ आरएन रवि ने फरवरी में विधानसभा में कहा कि नगा राजनीतिक मुद्दे पर बातचीत ख़त्म हो चुकी है और अब अंतिम समाधान की ओर बढ़ने की ज़रूरत है. नगा समूह ने वार्ता पूरी होने से इनकार करते हुए कहा है कि मध्यस्थ के रूप में रवि की भूमिका निराशाजनक है.
देश के 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर नगालैंड की राजधानी कोहिमा में आयोजित समारोह में राज्यपाल आरएन रवि ने कहा कि बंदूक द्वारा राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है और जो लोग ऐसी राजनीति में विश्वास रखते हैं वह हमेशा लोकतंत्र से बाहर रहेंगे.
अक्टूबर में नगालैंड के सबसे प्रभावशाली नगा संगठन एनएससीएन-आईएम के प्रमुख ने कहा था कि भारत सरकार के साथ चल रही शांति वार्ता में उनका संगठन अलग झंडे और संविधान की मांग पर कोई समझौता नहीं करेगा.
उत्तर पूर्व के सभी उग्रवादी संगठनों के अगुवा एनएससीएन-आईएम ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत सरकार को बड़ी संवेदनशीलता के साथ स्थिति को संभालना चाहिए और भारतीय सुरक्षा बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को एनएससीएन के खिलाफ अभियान चलाने के लिए नहीं उकसाना चाहिए. हमारे धैर्य को हमारी कमजोरी या लाचारी नहीं समझना चाहिए.
विशेष: द वायर के साथ बातचीत में एनएससीएन-आईएम के प्रमुख टी. मुइवाह ने दोहराया कि भारत सरकार के साथ चल रही शांति वार्ता में उनका संगठन अलग झंडे और संविधान की मांग पर कोई समझौता नहीं करेगा.
मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के साथ बैठक में विभिन्न नगा जातियों, नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, चर्च के प्रतिनिधियों, नगा समाज की प्रमुख हस्तियों ने सात सूत्रीय प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए और केंद्र के साथ चल रही शांति प्रक्रिया को सुविधानजनक बनाने का आह्वान किया.
इस साल फरवरी में एनएससीएन-आईएम प्रमुख टी. मुईवाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में मांग की थी कि वार्ता सीधे प्रधानमंत्री स्तर पर बिना किसी पूर्व शर्त के हो. संगठन ने अब यह पत्र जारी करते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि लोग जानें कि नगा समूहों के साथ पीएमओ का रवैया कितना अनुत्तरदायी था.
नगा राष्ट्रीय राजनीतिक समूहों की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि इंतज़ार की घड़ियां समाप्त हुईं और केंद्र ऐसा समाधान निकालने के लिए आवश्यक क़दम उठा रहा है, जो सभी को स्वीकार्य हो.
केंद्र और एनएससीएन-आईएम के बीच नगा शांति वार्ता की प्रक्रिया को लेकर चल रही तनातनी के बीच नगालैंड के मुख्य विपक्षी दल नगा पीपुल्स फ्रंट ने इस मसले पर गठित विधायकों के फोरम से ख़ुद को अलग करते हुए कहा कि मुद्दे के समाधान के लिए मौजूदा सरकार की अनिच्छा की वजह से इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी.
केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल सबसे बड़े नगा संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुईवाह ने 2015 में सरकार के साथ हुए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट की प्रति सार्वजनिक करते हुए कहा कि वार्ताकार आरएन रवि नगा राजनीतिक मसले को संवैधानिक क़ानून-व्यवस्था की समस्या का रंग दे रहे हैं.
वीडियो: नगालैंड के बाग़ी संगठनों के साथ 18 साल तक चली बातचीत के बाद अगस्त 2015 में भारत सरकार ने एनएससीएन-आईएम के साथ फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर दस्तख़त किए. अब इस संगठन ने केंद्र के वार्ताकार पर इस प्रक्रिया में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए एग्रीमेंट को सार्वजनिक कर दिया है. इस बारे में द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
नगालैंड के राज्यपाल और शांति वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे आरएन रवि ने स्वतंत्रता दिवस पर दिए अपने संदेश में प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कुशल नेतृत्व में पूरा देश आगे बढ़ रहा है लेकिन 'निजी हितों' की वजह से नगालैंड पीछे छूट गया है.
नगालैंड सरकार का यह निर्णय राज्यपाल आरएन रवि के उस पत्र बाद आया है, जिसमें उन्होंने राज्य की क़ानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए थे और कहा था कि राज्य में संगठित गिरोह अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं.