निरस्त किए जा चुके कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ विरोध का अगुवा रहा संयुक्त किसान मोर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी की मांग करता रहा है. मोर्चे के नेता दर्शन पाल ने हरियाणा में आयोजित किसान महापंचायत मे कहा कि देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा है और वे दिल्ली में 15-22 मार्च के बीच बड़ा प्रदर्शन करेंगे.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर अपने उन उद्योगपति दोस्तों की मदद करने के लिए एमएसपी पर क़ानून नहीं बनाने का आरोप लगाया, जो कम दरों पर किसानों से फसल ख़रीदते हैं और उच्च कीमतों पर प्रसंस्कृत उत्पाद बेचते हैं.
किसान यूनियनों ने अपनी मांगों के संबंध में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए यह महापंचायत बुलाई है, जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए क़ानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा की संलिप्तता को देखते हुए उनके पिता केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्ख़ास्त करने का मुद्दा शामिल है.
निरस्त हो चुके तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर समिति का गठन किया गया और न ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज फ़र्ज़ी मामले वापस लिए गए हैं.
केंद्र द्वारा रद्द कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि ट्विटर ने केंद्र सरकार के निर्देशों पर आंदोलन से जुड़े लगभग 12 अकाउंट बंद किए हैं. उन्होंने मांग की है कि ऐसे सभी ट्विटर अकाउंट जिन पर अलोकतांत्रिक और अनुचित रूप से रोक लगाई गई है, उन्हें बहाल किया जाए.
निरस्त हो चुके तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि संगठन अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे युवाओं का समर्थन करता है और उनसे शांतिपूर्वक विरोध करने की अपील करता है. मोर्चा ने योजना का विरोध करने के लिए 24 जून को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है.
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान कुछ अराजक तत्वों ने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पर स्याही फेंक दी थी. पुलिस ने इस सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है. टिकैत ने इस घटना के लिए पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया है कि उन पर हमला भाजपा नीत राज्य सरकार की मिलीभगत से किया गया था.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा को ज़मानत मिलने पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि राजनीतिक रूप से शक्तिशाली आरोपी के गवाहों को प्रभावित करने की पक्की संभावना पर विचार किए बिना अदालत का ज़मानत देना बेहद निराशाजनक है.
ये 22 किसान संगठन पंजाब के उन 32 किसान संगठनों में से हैं, जिन्होंने तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ एक साल से अधिक समय तक चले विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट किया कि वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहा है.
इसके उलट इस साल पांच फरवरी को राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि देश के विभिन्न राज्यों में आंदोलनरत किसानों की मौत के बारे में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान दो व्यक्तियों की मौत और एक के आत्महत्या करने की जानकारी दी है.
केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान बीते साल नवंबर महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे थे. आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा को केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिलने के बाद यह घोषणा हुई है, जिसमें किसानों के ख़िलाफ़ मामलों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर एक समिति बनाने सहित उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई है.
वीडियो: द वायर ने कृषि क़ानूनों को वापस लेने के बाद मुख्यधारा के मीडिया के यू-टर्न पर दिल्ली की टिकरी सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों से बात की. किसानों का कहना है कि जिस मीडिया ने उन्हें आतंकवादी, खालिस्तानी, देशद्रोही कहा, उन्हें उनका सामना करना पड़ेगा.
वीडियो: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते हुई संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन जारी रखने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि अभी भी कई मुद्दे हैं, जिनके समाधान के बाद ही आंदोलन समाप्त होगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन कृषि क़ानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बुधवार को मंज़ूरी दे दी, जिसे 29 नवंबर को शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान लोकसभा में पारित करने के लिए पेश किया जाएगा. किसान नेताओं ने इसे ‘औपचारिकता’ क़रार देते हुए अन्य मांगों, विशेषकर कृषि उपजों के लिए एमएसपी की क़ानूनी गारंटी को पूरा करने की मांग की है.
तीनों कृषि क़ानूनों को इसलिए निरस्त नहीं किया गया क्योंकि प्रधानमंत्री ‘कुछ किसानों को विश्वास दिलाने में विफल’ रहे, बल्कि उन्हें इसलिए वापस लिया गया क्योंकि कई किसान दृढ़ता से खड़े रहे, जबकि कायर मीडिया उनके ख़िलाफ़ माहौल बनाकर उनके संघर्ष और ताक़त को कम आंकता रहा.