नैयरा नूर की पैदाइश हिंदुस्तान की थी, पर आख़िरी सांसे उन्होंने पाकिस्तान में लीं. वे इन दोनों मुल्कों की साझी विरासत की उन गिनी चुनी कड़ियों में थी, जिन्हें दोनों ही देश के संगीत प्रेमियों ने तहे-दिल से प्यार दिया.
फिल्म नाम से ‘चिट्ठी आई है’, मोहरा फिल्म से ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘एक तरफ़ उसका घर’ और ‘आहिस्ता’ जैसी यादगार ग़ज़लों के लिए प्रसिद्ध पंकज उधास अपनी मख़मली आवाज़ के लिए जाने जाते थे. उनका पहला ग़ज़ल एलबम ‘आहट’ साल 1980 में आया था. 2006 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
कुमार गंधर्व पर ध्रुव शुक्ल द्वारा लिखित 'वा घर सबसे न्यारा' संभवतः पहली ऐसी हिंदी किताब है जो उनके जीवन, गायकी, परंपरा और संपूर्ण व्यक्तित्व की बात एक जुदा अंदाज़ में करती है.
स्मृति शेष: नैयरा नूर ग़ालिब और मोमिन जैसे उस्ताद शायरों के कलाम के अलावा ख़ास तौर पर फ़ैज़ साहब और नासिर काज़मी जैसे शायरों की शायरी में जब 'सुकून' की बात करती हैं तो अंदाज़ा होता है कि वो महज़ गायिका नहीं थीं, बल्कि शायरी के मर्म को भी जानती-समझती थीं.
केके के नाम से मशहूर 53 वर्षीय गायक कृष्णकुमार कुन्नथ का मंगलवार रात कोलकाता में निधन हो गया. बताया गया है कि अपने शो में क़रीब एक घंटे तक परफॉर्म करने के बाद जब वे वापस अपने होटल पहुंचे तो अस्वस्थ महसूस कर रहे थे. उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
90 वर्षीय गायिका संध्या मुखर्जी को 60 और 70 के दशक की सबसे मधुर आवाज़ों में से एक माना जाता है. अपने करिअर में एसडी बर्मन, मदन मोहन, नौशाद, अनिल विश्वास और सलील चौधरी जैसे लोकप्रिय संगीत निर्देशकों के साथ काम करने के अलावा मुखर्जी ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बीते महीने उन्होंने पद्म सम्मान लेने से इनकार कर दिया था.
69 वर्षीय गायक और संगीतकार बप्पी लाहिड़ी को स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें थीं. वह भारत में 80 और 90 के दशक में मुख्य रूप से डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं. इस दशक में कई फिल्मों में उन्होंने गाने गाए, जो काफी हिट रहे. इन फिल्मों में ‘चलते-चलते’, ‘डिस्को डांसर’ और ‘शराबी’ शामिल हैं.
स्मृति शेष: लता मंगेशकर की अविश्वसनीय सफलता के पीछे उनकी आवाज़ की नैसर्गिक निश्छलता और सरलता का बहुत बड़ा हाथ है. जिस प्रकार उनकी आवाज़ हर व्यक्ति, समुदाय और वर्ग के लोगों को समान रूप से प्रभावित करने में सफल होती है वह इस बात का सूचक है कि वो आवाज़ अपने दैहिक कलेवर से उठकर आत्मा में निहित मानवीयता को स्पंदित करने में सक्षम हो जाती है.
एक देश में इतना थूक कब आता है? तब, जब थूक विशेषज्ञ अपने आराध्य राम, जिन्होंने शबरी के झूठे बेर खाए थे, के नाम पर झूठ फैलाते हैं. जब एक भरा-पूरा समाज अपने मूल्यों से ख़ाली हो जाता है, उसकी शर्म खोखली और आदर्श बौने हो जाते हैं, तब जब उसकी हर छोटी-बड़ी नैतिकता की ख़त्म हो जाती है.
प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में शामिल हुए बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान को मुस्लिम धर्म की परंपराओं के अनुरूप दुआ पढ़ते हुए कुछ देर के लिए अपना मास्क नीचे कर हवा में फूंक मारते देखा गया था. इसका वीडियो शेयर करते हुए भाजपा के कुछ नेताओं ने इस ‘फूंक’ को ‘थूक’ बताया था. सांप्रदायिकता का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया यूज़र्स ने ऐसे नेताओं की निंदा की है.
स्मृति शेष: लता मंगेशकर समय की रेत पर उकेरा गया वो गहरा निशान है जिसे गुज़रती घड़ियों की लहरें और गाढ़ा करती जाती हैं.
भारत में लता मंगेशकर को व्यापक रूप से सबसे महान और सबसे सम्मानित पार्श्व गायिकाओं में से एक माना जाता था. भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ जैसी उपाधियां भी दी गई थीं.
एसपीबी के नाम से लोकप्रिय एसपी बालासुब्रमण्यम अगस्त से कोविड-19 संक्रमित होने के बाद से चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती थे. छह बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़े गए बालासुब्रमण्यम ने अपने पांच दशक से अधिक के करिअर में विभिन्न भाषाओं के चालीस हज़ार से अधिक गीत गाए थे.