राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पिछले साल साइबर अपराध के 356 से अधिक मामले सामने आए. इनमें से अधिकतर मामले ऑनलाइन धोखाधड़ी, ऑनलाइन उत्पीड़न, कामुक सामग्री के प्रकाशन आदि से जुड़े थे.
जम्मू कश्मीर में सेना के एक अधिकारी ने कहा कि एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें सैनिकों और लोगों के बीच झगड़ा होता दिखाई देता है. सेना वीडियो की सत्यता की जांच कर रही है. इस बीच, श्रीनगर पुलिस ने कहा कि कथित घटना सोमवार को हुई और इस संबंध में मामला दर्ज किया गया है.
मणिपुर सरकार ने अपने कर्मचारियों को उन सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलने का निर्देश दिया है, जो ‘अलगाववादी’, ‘राष्ट्र-विरोधी’ और ‘सांप्रदायिक’ एजेंडे के प्रचार में लिप्त हैं. विशेष गृह सचिव द्वारा जारी एक पत्र में कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को 12 अगस्त शाम छह बजे तक वॉट्सऐप और फेसबुक पर ऐसे समूहों से बाहर निकलना होगा.
मामला हज़ारीबाग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का है. आकाशीय बिजली गिरने से गंभीर रूप से घायल व्यक्ति का इलाज मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में करने का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद प्रशासन ने मामले की जांच के लिए समिति का गठन किया है. अस्पताल ने आरोपों से इनकार किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दो अगस्त को आज़ादी के 75वें वर्षगांठ समारोह के हिस्से के रूप में लोगों से अपने सोशल मीडिया अकाउंट की डिस्प्ले तस्वीर के रूप में तिरंगा लगाने का आह्वान किया था. आरएसएस और इसके प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अब तक अपने एकाउंट पर राष्ट्रीय ध्वज की तस्वीर नहीं लगाने पर कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया है.
साक्षात्कार: चार साल पुराने एक ट्वीट के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने क़रीब तीन हफ्ते जेल में बिताए. इस बीच यूपी पुलिस द्वारा उन पर कई मामले दर्ज किए गए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि उनकी लगातार हिरासत का कोई औचित्य नहीं है. उनसे बातचीत.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के कोतवाली थाना क्षेत्र की घटना. आरोप है कि बीते 30 जुलाई को महिला घास काटने के लिए खेत में गई थी, जहां सात लोगों ने बंदूक के बल पर उसे कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया और घटना का वीडियो बना लिया. इस वीडियो को बाद में सोशल मीडिया पर साझा कर दिया गया.
ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से दिसंबर 2021 के बीच वैश्विक स्तर पर भारत ने ट्विटर पर सत्यापित पत्रकारों और मीडिया संस्थानों द्वारा पोस्ट सामग्री हटाने की सर्वाधिक क़ानूनी मांग की. इसी अवधि में भारत सभी यूज़र्स के मामले में कंटेंट प्रतिबंधित करने का आदेश देने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल था.
मध्य प्रदेश के जबलपुर रेलवे स्टेशन पर कथित तौर पर एक पुलिस कॉन्स्टेबल द्वारा बुजु़र्ग व्यक्ति को पीटने और उन्हें प्लेटफॉर्म से रेलवे ट्रैक की तरफ़ लटकाने का वीडियो सामने आया है. अधिकारियों ने बताया कि बुजु़र्ग शराब के नशे में थे और पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहा थे. आरोपी कॉन्स्टेबल को निलंबित कर विभागीय जांच का आदेश दिया गया है.
इससे संबधित कथित वीडियो सामने आने के बाद नमाज़ के विरोध में हिंदू जागरण मंच के तीन लोग शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में हनुमान चालीसा का पाठ करने पहुंच गए थे. पुलिस ने इन तीनों को हिरासत में ले लिया है. मेरठ पुलिस ने बताया कि वीडियो की सत्यता का पता लगाया जा रहा है. वीडियो कब का है और नमाज़ पढ़ने वाला कौन था, इसकी जानकारी की जा रही है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नवनिर्मित लुलु मॉल में कथित तौर पर नमाज़ अदा करते लोगों का एक वीडियो बीते 13 जुलाई को सोशल मीडिया पर सामने आया था. पुलिस ने बताया कि वीडियो में सात आरोपी नज़र आए थे, जिन्हें अब गिरफ़्तार कर लिया गया है. एक हिंदुत्ववादी संगठन द्वारा मॉल में नमाज़ पर आपत्ति जताने और वहां हनुमान चालीसा पढ़ने की अनुमति मांगने के बाद विवाद खड़ा हो गया था.
देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा कि न्याय देने से जुड़े मुद्दों पर ग़लत जानकारी और एजेंडा-संचालित बहसें लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रही हैं. प्रिंट मीडिया अब भी कुछ हद तक जवाबदेह है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नहीं है, यह जो दिखाता है वो हवाहवाई है.
असम में जोरहाट के डीसीबी कॉलेज में बीएसएस गणित की दूसरे वर्ष की छात्रा को उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) के समर्थन में सोशल मीडिया पर कथित रूप से कविता लिखने को लेकर बीते 18 मई को गिरफ़्तार किया गया था. उसके बाद से वह गोलाघाट केंद्रीय कारागार में बंद थीं.
फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को ज़मानत देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि उन्हें लगातार हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है. अदालत ने उन्हें बुधवार को ही रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही उनके ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामले दिल्ली पुलिस को जांच के लिए सौंप दिए और यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी को भी समाप्त करने का निर्देश दिया.
मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंडिया’ ने फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को तत्काल और बिना शर्त रिहा करने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें लगातार हिरासत में रखना इस बात की ख़तरनाक चेतावनी है कि आपको भारत में सच बोलने की अनुमति नहीं है.