बिहार सरकार द्वारा पिछले साल जाति जनगणना के बाद संशोधित आरक्षण अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति/जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सीमा 50%से बढ़ाकर 65% की गई थी. अदालत ने इसे संविधान में दिए समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया है.
मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 1,500 से अधिक अपात्र लाभार्थियों को योजना के तहत धनराशि जारी कर दी गई और एसटी/एससी और अधिक वंचित लाभार्थियों को प्राथमिकता देने के बजाय अन्य लोगों को तरजीह दी गई थी. वाहन वाले परिवारों के लिए यह सुविधा नहीं है, लेकिन ऐसे लोगों को लाभ दिए गए, जिनके पास वाहन थे.
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केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा लागू किए जा रहे ‘गुणवत्ता अंक’ (क्वालिटी स्कोर) का प्रावधान कहता है कि किसी अभ्यर्थी की गुणवत्ता इस बात से तय होगी कि उसने स्नातक, परास्नातक और पीएचडी की पढ़ाई किस संस्थान से की है.
ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन से पता चला है कि उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा. यहां 36 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं केरल में 43 प्रतिशत मुसलमानों ने उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराया है.
मेघालय में खासी हिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद द्वारा पति या पिता के सरनेम को अपनाने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने से इनकार करने के आदेश की निंदा की जा रही है. खासी संस्कृति में बच्चे अपनी मां का सरनेम अपनाते हैं.
मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि पिछले 2018 और 2022 के बीच आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा में की गई कुल 4,365 नियुक्तियों में ओबीसी से 695, एससी से 334 और एसटी समुदायों से 166 उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया है.
डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक पद ख़ाली हैं.
गृह मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि 2021 तक उत्तर प्रदेश में 90,606 विचाराधीन क़ैदी थे, जिनमें से 21,942 अनुसूचित जाति, 4,657 अनुसूचित जनजाति और 41,678 ओबीसी वर्ग के थे. एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्रालय ने यह भी बताया कि सज़ा पूरी होने के बाद जुर्माना राशि का भुगतान न करने के कारण 1,410 अपराधी देश की जेलों में बंद हैं.
राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में वर्तमान में संयुक्त सचिव और सचिव का पद रखने वाले 322 अधिकारी हैं, जिनमें अनुसूचित जाति के 16, अनुसूचित जनजाति के 13, अन्य पिछड़ा वर्ग के 39 और सामान्य श्रेणी के 254 कर्मचारी हैं.
प्रतिभा के कारण अवसर मिलते हैं. यह वाक्य ग़लत है. यह कहना सही है कि अवसर मिलने से प्रतिभा उभरती है. सदियों से जिन्होंने सारे अवसर अपने लिए सुरक्षित रखे, अपनी प्रतिभा को नैसर्गिक मानने लगे हैं. वे नई-नई तिकड़में ईजाद करते हैं कि जनतंत्र के चलते जो उनसे कुछ अवसर ले लिए गए, वापस उनके पास चले जाएं.
संविधान की मूल संरचना का आधार समानता है. आज तक जितने संवैधानिक संशोधन किए गए हैं, वे समाज में किसी न किसी कारण से व्याप्त असमानता और विभेद को दूर करने वाले हैं. पहली बार ऐसा संशोधन लाया गया है जो पहले से असमानता के शिकार लोगों को किसी राजकीय योजना से बाहर रखता है.
भारत और यहां रहने वाले सभी जातियों, समुदायों के नागरिकों का भविष्य अब संविधान के इसके वर्तमान स्वरूप में बचे रहने पर निर्भर करता है.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एनसीआरबी डेटा के हवाले से बताया कि 2020 में सांप्रदायिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए. एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्र ने बताया कि 2018 से 2020 के बीच देश में एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत 1,61,117 मामले दर्ज किए गए.
केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति और भूमिहीन कृषि श्रमिक परिवारों से आने वाले छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए दी जाने वाली राष्ट्रीय ओवरसीज़ छात्रवृत्ति योजना में बिना किसी से सलाह-मशविरे और उससे लाभांवित तबकों की राय जाने बिना किए गए विषय संबंधी बदलाव बहुसंख्यकवादी असुरक्षा का नतीजा हैं.