राज्यपालों द्वारा बिल पास करने का समय तय करने को लेकर स्टालिन ने ग़ैर-भाजपा सीएम को पत्र लिखा

तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र और राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि सदन द्वारा पारित किए गए विधेयकों को मंज़ूरी देने के लिए राज्यपालों के लिए समयसीमा तय की जाए. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ग़ैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर ऐसा ही प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया है.

केंद्र ने कोर्ट से कहा- पीएम केयर्स फंड धर्मार्थ ट्रस्ट है, सरकारों का इस पर नियंत्रण नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ‘पीएम केयर्स फंड’ को संविधान के अनुच्छेद-12 के तहत ‘सरकारी फंड’ घोषित करने की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसे लेकर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया गया था. जुलाई 2022 में केंद्र की ओर से इस बारे में एक पेज का जवाब दाख़िल किया गया था, जिस पर नाराज़ होते हुए अदालत ने विस्तृत जवाब मांगा था.

‘टू-फिंगर टेस्ट’ जारी रहना दुर्भाग्यपूर्ण; अब यह नहीं होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से एक बार फिर कहा कि अब ‘टू-फिंगर टेस्ट’ नहीं होना चाहिए. यह टेस्ट ‘ग़लत’ धारणा पर आधारित है कि ‘यौन संबंधों के लिहाज़ से सक्रिय महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है’.  

राज्य और केंद्रशासित प्रदेश सभी प्रसारण गतिविधियां ‘प्रसार भारती’ के माध्यम से करें: केंद्र

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से एक परामर्श जारी किया गया है, जिसमें केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा गया है कि वे अपनी सामग्री प्रसार भारती के माध्यम से प्रसारित करें और 31 दिसंबर 2023 तक प्रसारण सामग्री वितरित करने वाली संस्थाओं से ख़ुद को अलग कर लें.

बिना समय गंवाए कोविड-19 से मृत लोगों के परिजनों को मुआवज़ा दें राज्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को बिना समय गंवाए कोविड-19 से मृत लोगों के परिजनों को मुआवज़े का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि अगर किसी दावेदार को मुआवज़ा राशि का भुगतान न किए जाने या फिर उनका दावा ठुकराए जाने के संबंध में कोई शिकायत है तो वे संबंधित शिकायत निवारण समिति का रुख़ कर सकते हैं.

सरकारें सबसे बड़ी मुक़दमेबाज़, कार्यकापालिका-विधायिका के चलते लंबित मामलों की भरमार: सीजेआई

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना में एक कार्यक्रम में कहा कि यह एक अच्छी तरह से स्वीकार किया गया तथ्य है कि सरकारें सबसे बड़ी मुक़दमेबाज़ हैं, जो लगभग 50 प्रतिशत मामलों के लिए ज़िम्मेदार हैं. सीजेआई ने यह भी कहा कि अदालतों में स्थानीय भाषा का उपयोग करने जैसे सुधारों को एक दिन में लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि कई तरह की अड़चनों के कारण ऐसी चीज़ों के कार्यान्वयन में समय लगता है.

केंद्र की नीलामी में मिल मालिकों को मिली ग़रीबों के लिए आवंटित दाल, सरकारी एजेंसी ने की थी पुष्टि

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद ने बताया था कि नीलामी की शर्तों ने मिल मालिकों को सरकार के साथ हेराफेरी कर अधिक लाभ उठाने और ख़राब गुणवत्ता वाली दालों की आपूर्ति करने की अनुमति दी.

कोविड-19 से मौतों के आंकड़े सही नहीं, तकनीकी आधार पर मुआवज़ा ख़ारिज न करें: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि कोविड-19 से हुईं मौतों के आंकड़े सही और वास्तविक नहीं हैं, इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि पीड़ितों के परिजनों द्वारा किए गए मुआवज़े संबंधी आवेदन फ़र्ज़ी हैं.

आईटी अधिनियम की रद्द धारा 66ए के तहत मुक़दमे दर्ज किए जाने पर राज्यों को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने पांच जुलाई को इस बात पर हैरानी ज़ाहिर की थी कि लोगों के ख़िलाफ़ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए के तहत अब भी मुक़दमे दर्ज हो रहे हैं, जबकि शीर्ष अदालत ने 2015 में ही इस धारा को अपने फैसले के तहत निरस्त कर दिया था.

आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत मामले दर्ज न करने की ज़िम्मेदारी राज्यों पर: केंद्र सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को आईटी एक्ट की धारा 66ए रद्द कर दिया था. बीते 5 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़त्म किए जाने के बावजूद राज्यों द्वारा इस धारा के तहत केस दर्ज किए जाने पर हैरानी जताते हुए केंद्र सरकार नोटिस जारी किया था. इसके ख़िलाफ़ दायर याचिका में कहा गया है कि असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद भी धारा 66ए के तहत दर्ज होने वाले मामलों में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है.

गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा- आईटी क़ानून की धारा 66ए के तहत मामले दर्ज न किए जाएं

सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को आईटी एक्ट की धारा 66ए रद्द कर दिया था. बीते 5 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़त्म किए जाने के बावजूद राज्यों द्वारा इस धारा के तहत केस दर्ज किए जाने पर हैरानी जताते हुए केंद्र सरकार नोटिस जारी किया था.

रद्द होने के 6 साल बाद भी आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत केस दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट हैरान

सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2015 को आईटी एक्ट की धारा 66ए रद्द कर दिया था. इसके तहत कंप्यूटर या कोई अन्य संचार उपकरण जैसे मोबाइल फोन या टैबलेट के माध्यम से संदेश भेजने के लिए दंड निर्धारित किया गया और दोषी को अधिकतम तीन साल की जेल हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा के ख़त्म किए जाने के बाद भी राज्यों द्वारा इसके तहत केस दर्ज किए जाने पर केंद्र सरकार नोटिस जारी किया है.

प्रवासी मज़दूरों के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र का लापरवाह रवैया अक्षम्य

प्रवासी कामगारों को खाद्य सुरक्षा, नकदी हस्तांतरण, परिवहन सुविधा तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के लिए तीन कार्यकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 जुलाई तक ‘एक देश, एक राशन कार्ड योजना’ लागू करने का निर्देश दिया है.

कोविड संबंधी योजनाओं के लाभ के लिए प्रवासी कामगारों के पंजीकरण प्रक्रिया बेहद धीमी: अदालत

सुप्रीम कोर्ट तीन मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दाख़िल आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रवासी कामगारों को खाद्य सुरक्षा, नकदी हस्तांतरण, परिवहन सुविधा तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना सुनिश्चित करने के निर्देश केंद्र और राज्य सरकारों को देने का अनुरोध किया गया है.

पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार पर कैग रिपोर्ट्स में 75 फीसदी की कमी आई: आरटीआई

अपनी रिपोर्ट्स के ज़रिये वित्तीय जवाबदेही तय करने और सरकारी अनियमितताओं को सामने लाने वाली कैग ने 2जी, कोयला आवंटन, 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स समेत कई घोटालों को उजागर किया था. आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार 2015 में कैग ने 55 रिपोर्ट्स पेश की थीं, जिनकी संख्या 2020 घटकर 14 हो गई.