सुप्रीम कोर्ट ने डेटा प्राइवेसी के मसले पर एक समिति गठित कर दी है, यह सिर्फ फ्री स्पीच बनाम हेट स्पीच का मामला नहीं रहा गया है, बल्कि प्राइवेसी बनाम डीप स्टेट और प्राइवेसी बनाम बिग टेक, जो इस नए युद्ध का नया मोर्चा हो गया है, का मामला बन गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में लगातार बिगड़ रही वायु गुणवत्ता को लेकर स्कूलों को बंद करने के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए शुक्रवार को कहा कि स्कूलों को बंद करने का फैसला उनका नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का था. अदालत ने कहा कि जान-बूझकर या अनजाने में एक संदेश भेजा जा रहा है कि अदालत खलनायक है और वह स्कूल बंद करने का आदेश दे रही है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को इस आधार पर ज़मानत दी है कि उनके ख़िलाफ़ निश्चित अवधि में आरोपपत्र दायर नहीं किया गया.
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा सीपीडब्ल्यूडी को दो अलग-अलग नोटिस जारी कर पूछा गया है कि किस आधार पर और किसके आदेशानुसार यह कार्य जारी है. राय ने कहा कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार को 24 घंटों के अंदर वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के सुझाव देने का निर्देश देते हुए आगाह किया कि यदि प्राधिकारी प्रदूषण को काबू करने में असफल रहते हैं, तो उसे असाधारण कदम उठाना पड़ेगा.
कुणाल कामरा के बेंगलुरु में होने वाले शो रद्द, बोले- सत्ता कम से कम उत्पीड़न में तो समानता रख रही है
कॉमेडियन कुणाल कामरा ने एक ट्वीट में कहा, 'जिस जगह शो होना था, उसे लेकर धमकियां दी जाने लगीं. लगता है कि यह भी कोविड-19 प्रोटोकॉल का हिस्सा है. मुझे लगता है कि मुझे अब कोरोना के एक वेरिएंट के तौर पर देखा जा रहा है.' इससे पहले स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी के भी बेंगलुरु में होने वाले शो को पुलिस द्वारा रद्द करवाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट त्रिपुरा में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा और इसे लेकर राज्य पुलिस की कथित मिलीभगत की स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी. याचिका में कहा गया है कि घटनाओं की गंभीरता के बावजूद पुलिस द्वारा उपद्रवियों के ख़िलाफ़ कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया. उन लोगों में से किसी को गिरफ़्तार नहीं किया, जो मस्जिदों या दुकानों में तोड़फोड़ करने और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाले भाषण देने के लिए ज़िम्मेदार
याचिकाकर्ताओं को भेजे एक ईमेल में कहा गया है कि जिस डिवाइस में कथित रूप से पेगासस स्पायवेयर डाला गया था, उसे नई दिल्ली में जमा कराया जाए. हालांकि यह नहीं बताया गया है कि आखिर इसे किस जगह पर जमा करना है.
संविधान दिवस समारोह के समापन कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अदालतों में मामले लंबित होने का मुद्दा बहुआयामी है. विधायिका अपने द्वारा पारित क़ानूनों के प्रभाव का अध्ययन नहीं करती और इससे कभी-कभी बड़े मुद्दे उपजते हैं. ऐसे में पहले से मुक़दमों का बोझ झेल रहे मजिस्ट्रेट हज़ारों केस के बोझ से दब गए हैं.
वॉट्सऐप या फेसबुक के उलट एप्पल विवादित नहीं है और मोदी सरकार द्वारा इसे काफी ऊंचे पायदान पर रखा जाता है. इस पृष्ठभूमि में अब तक पेगासस के इस्तेमाल को नकारती आई भारत सरकार के लिए एप्पल के ऑपरेटिंग सिस्टम में हुई सेंधमारी के संबंध में कंपनी के निष्कर्षों को नकारना बहुत मुश्किल होगा.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना निश्चित तौर पर नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मददगार साबित होगी. अगर ऐसा हुआ तो सरकार के लिए यह जानना आसान होगा किस जाति के कितने लोग हैं और उनके लिए क्या किया जाना चाहिए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन शुक्ला पर एक निजी मेडिकल कॉलेज के पक्ष में आदेश देने के लिए घूस लेने का आरोप है. दरअसल इस कॉलेज में दाख़िले पर सरकार ने रोक लगा दी थी. यह केस 2017 के एक मामले से जुड़ा है, जहां सीबीआई ने छत्तीसगढ़ के पूर्व चीफ जस्टिस आईएम क़ुद्दुसी को भी गिरफ़्तार किया था.
गुजरात दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने वर्ष 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की क्लीनचिट को चुनौती दी है. उन्होंने दंगों के दौरान बड़ी साज़िश और सुनियोजित तरीके से हिंसा होने का आरोप लगाया है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हैरानी जताई कि नौकरशाह क्या कर रहे हैं. मुख्य सचिव जैसे अधिकारियों को किसानों, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के पास जाकर उनसे मुलाकात करनी चाहिए. अदालत ने कहा कि प्रदूषण पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को एक वैज्ञानिक अध्ययन कराना होगा और स्थिति को भांपते हुए एहतियातन कार्रवाई करनी होगी.
गुजरात दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री ने वर्ष 2002 के दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को एसआईटी की क्लीनचिट को चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि गुजरात दंगों में हिंसा ‘सोच-समझकर’ अंजाम दी गई थी.