द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे एक पत्र में कुछ गुटों द्वारा सोचे-समझे दबाव, ग़लत सूचना के ज़रिये न्यायपालिका को कमज़ोर करने के बढ़ते प्रयासों की बात की है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे लेकर कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता को सबसे बड़ा ख़तरा भाजपा से है.
जीवन बीमा से जुड़े एक मामले का निपटारा करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि जिस तरह बीमाधारक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने बारे में सभी तथ्यों का खुलासा करे, उसी तरह बीमाकर्ता को भी ग्राहक को पॉलिसी के नियमों और शर्तों के बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए, साथ प्रॉस्पेक्टस में दी गई जानकारी या उसके एजेंटों की ओर से कही गई बातों का सख़्ती से पालन करना चाहिए.
त्रिपुरा के लगभग 700 स्नातक शिक्षकों ने 2017 और 2020 के उनके बर्ख़ास्तगी आदेशों को असंवैधानिक बताते हुए याचिका में कहा है कि शिक्षकों के परिवार गंभीर स्थिति है. बर्ख़ास्त किए गए 160 से अधिक शिक्षकों की मृत्यु हो गई है, उनमें से कई ने बुनियादी जीविका की सुविधाओं के अभाव के कारण आत्महत्या की.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीते माह भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ा डेटा चुनाव आयोग को सौंपा था, लेकिन अब वही डेटा जब सूचना के अधिकार के तहत मांगा गया तो बैंक ने इसे आरटीआई अधिनियम के तहत छूट प्राप्ट जानकारी बताकर देने से इनकार कर दिया.
इंदौर प्रशासन ने क़ानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए बुधवार को होने वाली ईसाई समुदाय की प्रार्थना सभा की अनुमति रद्द कर दी थी क्योंकि इंदौर लोकसभा क्षेत्र के एक सहायक चुनाव अधिकारी ने कहा था कि हिंदू लोग सभा का विरोध कर रहे हैं. शीर्ष अदालत ने अनुमति रद्द करने को अनुचित बताया है.
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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उम्मीदवार को केवल अपने उन महत्वपूर्ण संपत्तियों के बारे में बताने की ज़रूरत है जिससे मतदाताओं को उनकी वित्तीय हालात और जीवनशैली के विषय में पता चल सके. उम्मीदवारों को उनके या उनके आश्रितों के स्वामित्व वाली प्रत्येक संपत्ति का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है.
एसकेएम ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सेवानिवृत्त अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम द्वारा चुनावी बॉन्ड मामले की जांच की मांग करते हुए कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि क़ानून, चारों लेबर कोड और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण जैसे फैसले कॉरपोरेट चंदादाताओं को खुश करने के लिए थे.
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अनुसार, 1993 के बाद से सीवर और सेप्टिक टैंक से होने वाली मौतों के 1,248 मामलों में से इस साल मार्च तक 1,116 मामलों में मुआवज़े का भुगतान किया गया है. 81 मामलों में भुगतान अभी भी लंबित है, जबकि 51 मामले बंद कर दिए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने एक पक्षी के निवास स्थान को खोने से बचाए जाने की याचिका सुनते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से अप्रभावित स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन का अधिकार पूरी तरह से साकार नहीं होता है.
आयुष मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामे से पता चलता है कि उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के ख़िलाफ़ की गई शिकायतों पर चेतावनी देने और कंपनी को विज्ञापन बंद करने के लिए कहने के अलावा दो साल से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की.
वीडियो: दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद उनके वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी से बात कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
बीते 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम, 2004 को रद्द करते हुए इसे असंवैधानिक घोषित किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर चिंता यह सुनिश्चित करने की है कि मदरसों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, तो इसका उपाय अधिनियम को रद्द करना नहीं होगा.
शोमा सेन नागपुर विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर हैं और उन्हें एल्गार परिषद मामले में कथित माओवादी संबंधों के लिए 6 जून, 2018 को पुणे पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. तब से सेन न्यायिक हिरासत में हैं.