वीडियो: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी जनसभाओं में कह रहे हैं कि उनके राज्य में अब अपराध नहीं हैं. उनका कहना है कि नो कर्फ्यू, नो दंगा, सब चंगा. रंगदारी न फिरौती अब यूपी में नहीं चलेगी किसी की बपौती. क्या वाकई यूपी में अपराध कम हो गया है?
वीडियो: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में पुलिस के सुरक्षा घेरे में कुछ समय पहले की गई गैंगस्टर से नेता बने अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ़ की हत्या के बाद राज्य में क़ानून और व्यवस्था पर एक बार फ़िर सवाल उठने लगे हैं. प्रदेश में बढ़ते अपराध के मुद्दे पर गोरखपुर के कुछ पत्रकारों और अन्य लोगों से बातचीत.
वीडियो: भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह द्वारा महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किए जाने को लेकर पहलवान एक बार फिर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं. द वायर की टीम ने रात में यहां के हालात का जायज़ा लिया.
ईडी ने अपना दायरा बढ़ाने के लिए एजेंसी द्वारा 2020 में जारी एक सर्कुलर को सीढ़ी बनाया है, जिसका मक़सद इसकी भूमिका को परिभाषित करना था. हालांकि इससे ईडी निदेशक को कई ऐसे अधिकार मिलते हैं, जिससे वे एक तरह से ऐसे किसी भी व्यक्ति को अपने शिकंजे में ले सकते हैं, जिसमें सरकार की दिलचस्पी हो.
सुप्रीम कोर्ट तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मीडिया को एक इंटरव्यू देते हुए कहा था कि वे बनर्जी को नापसंद करते हैं. गौरतलब है कि जस्टिस गंगोपाध्याय उस मामले पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें बनर्जी आरोपी थे.
वीडियो: देश के कई ओलंपिक पदक विजेता पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच को लेकर फिर से नई दिल्ली जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, यह आंदोलन जारी रहेगा. कुछ खिलाड़ियों से बातचीत.
बीते जनवरी में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों के भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के बाद खेल मंत्रालय ने एक समिति का गठन करते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया था. अब दोबारा धरने पर बैठे पहलवानों ने कहा कि उन्हें धोखा दिया गया और उन्हें मंत्रालय पर भरोसा नहीं है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में बीते 15 अप्रैल की देर रात पुलिस घेरे में मौजूद गैंगस्टर अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इससे पहले बीते 13 अप्रैल को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा झांसी में एक एनकाउंटर के दौरान अतीक़ के बेटे असद अहमद और एक अन्य व्यक्ति को मार दिया गया था.
कुछ गैंगस्टरों की हत्या होगी और कुछ अन्य को आज संरक्षण मिलेगा, कल ज़रूरत पड़ने पर उनकी भी हत्या होगी. आम नागरिक को टीवी पर जय श्री राम के नारों के साथ हत्याओं का लाइव टेलीकास्ट दिखाया जाएगा ताकि वो 56 इंच छाती की तारीफ़ करे.
गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को अयोध्या से ‘कारसेवकों’ को लेकर लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा देने के कारण 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर मुस्लिम समुदाय के थे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल्याणकारी राज्य का यह कर्तव्य है कि वह प्रत्येक प्रवासी श्रमिक को राशन कार्ड मुहैया कराए. अदालत ने अधिकारियों को अपने आदेश को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया और सुनवाई की अगली तारीख 3 अक्टूबर तक केंद्र से स्थिति रिपोर्ट मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों को क़ानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. इस दौरान विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत सार्वजनिक आपत्ति आमंत्रित करने वाले 30 दिनी नोटिस पर हुई चर्चा के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि यह अनिवार्य नोटिस ‘पितृसत्तात्मक’ है और ‘समाज के खुले हस्तक्षेप’ को बढ़ावा देता है.
इस सिफ़ारिश को वापस लेने का सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का फैसला केंद्र सरकार के जवाब का छह महीने से अधिक समय तक इंतज़ार करने के बाद आया है. कॉलेजियम ने सितंबर 2022 को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांसफर की सिफ़ारिश की थी, तब से यह बिना किसी प्रतिक्रिया के सरकार के पास लंबित है.
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट पर मूल फाइलों को रिकॉर्ड पर रखने को लेकर अनिच्छा दिखाते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने बीते मंगलवार को इस सूचना पर विशेषाधिकार का दावा किया है. कांग्रेस ने सवाल किया कि सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है.
बीते वर्ष अक्टूबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने माओवादियों से संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा समेत छह लोगों को बरी करते हुए कहा था कि ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कथित ख़तरे’ के नाम पर क़ानून की उचित प्रक्रिया को ताक़ पर नहीं रखा जा सकता.