न्याय विभाग ने कार्मिक, क़ानून और न्याय पर संसदीय समिति के समक्ष एक प्रस्तुतिकरण देते हुए कहा है कि सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने से न्यायाधिकरण, पीठासीन अधिकारी या न्यायिक सदस्यों के तौर पर सेवानिवृत्त न्यायाधीशों से वंचित रह जाएंगे. साथ ही अन्य सरकारी कर्मचारी भी इस तरह की मांग उठाएंगे.
मामला वर्ष 2001 का है. गुजरात के वडोदरा स्थित एक पार्क में रात की शिफ्ट कर रहे सीआईएसएफ के एक जवान ने बाइक सवार जोड़े को रोककर युवती के साथ कुछ समय बिताने की मांग की थी और बाद में युवक की घड़ी लेकर उन्हें जाने दिया था. युवक की शिकायत के बाद सीआईएसएफ की विभागीय जांच में जवान को बर्ख़ास्त कर दिया गया था.
विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार के साथ ही उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम व्यवस्था में पारदर्शिता, वस्तुनिष्ठता और सामाजिक विविधता की कमी को लेकर सरकार को कई मेमो मिले हैं.
लोकसभा में ड्रग्स की तस्करी को लेकर सर्विलांस से जुड़े मसले पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पेगासस स्पायवेयर से जासूसी के आरोपों के बारे में केंद्र सरकार से जवाब देने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर ने न्यायपालिका के साथ सरकार के बढ़ते टकराव पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की मूल संरचना का हिस्सा और लोकतंत्र का आधार है. सरकार क़ानून या संवैधानिक संशोधन के माध्यम से इसे किसी भी तरह वापस नहीं ले सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के जैव-विविधता वाले हसदेव अरण्य में अडाणी समूह द्वारा संचालित और राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के स्वामित्व वाली कोयला खनन परियोजना पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि हम विकास के रास्ते में नहीं आना चाहते हैं और हम इस मामले में बहुत स्पष्ट हैं.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कमज़ोर और हाशिए पर रहने वालों को प्रभावशाली समूहों के हिसाब से चलने के लिए मजबूर किया जाता है और उत्पीड़न के कारण उनकी कोई प्रतिसंस्कृति विकसित नहीं हो पाती है. उनके पास अपने अस्तित्व के लिए प्रभावशाली संस्कृति के सामने झुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
कॉलेजियम को लेकर क़ानून मंत्री की टिप्पणियों के बीच एक चैनल से बातचीत में वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सारे सार्वजनिक संस्थानों पर मौजूदा सरकार का नियंत्रण है और यदि वह 'अपने जज' नियुक्त कर न्यायपालिका भी कब्ज़ा लेती है, तो यह लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक होगा.
2019 में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस विजया के. ताहिलरमानी का तबादला मेघालय हाईकोर्ट में किया था, जिस बारे में पुनर्विचार से कॉलेजियम के इनकार के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके बाद तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने उनके ख़िलाफ़ सीबीआई कार्रवाई की अनुमति दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के 2001 के फैसले में कहा गया था कि यदि किसी कारण से कोई फैसला छह महीने के अंदर नहीं सुनाया जाता है, तब विषय में कोई भी पक्ष मामला वापस लेने के अनुरोध के साथ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अर्ज़ी देने का हक़दार होगा और नए सिरे से दलील के लिए किसी अन्य पीठ को इसे सौंपा जा सकता है.
एक मामले पर सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं होता. अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत नहीं देते हैं, तो हम यहां क्या कर रहे हैं. बीते दिनों केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शीर्ष अदालत को ज़मानत और बेतुकी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई न करने का सुझाव दिया था.
बीते हफ्तेभर में केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू संसद में सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत अर्ज़ियां और 'दुर्भावनापूर्ण' जनहित याचिकाएं न सुनने को कह चुके हैं, इसके बाद उन्होंने अदालत की छुट्टियों पर टिप्पणी की और कोर्ट में लंबित मामलों को जजों की नियुक्ति से जोड़ते हुए कॉलेजियम के स्थान पर नई प्रणाली लाने की बात दोहराई.
अपनी याचिका में बिलक़ीस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की समीक्षा की मांग की थी, जिसमें गुजरात सरकार को दोषियों की सज़ा पर निर्णय लेने की अनुमति दी गई थी. उनका तर्क था कि सुप्रीम कोर्ट का यह विचार कि दोषियों को रिहा करने का फैसला करने के लिए गुजरात में ‘उपयुक्त सरकार’ है, दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के विपरीत है.
गुरुवार को राज्यसभा में देश की अदालतों में लंबित मामलों के बारे में पूछे गए एक सवाल को केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यायाधीशों के रिक्त पदों से जोड़ते हुए कहा कि यह मुद्दा जजों की नियुक्तियों के लिए 'कोई नई प्रणाली' लाए जाने तक हल नहीं होगा.
बीते दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छोटे-मोटे अपराधों में जेल की सज़ा काट रहे आदिवासियों की दुर्दशा का ज़िक्र किया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया था. झारखंड की जेलों में भी कई ऐसे विचाराधीन क़ैदी हैं, जिन्हें यह जानकारी तक नहीं है कि उन्हें किस अपराध में गिरफ़्तार किया गया था.