शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कोई सिफारिश की जाती है, तो सरकार के अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन उस पर अपनी टिप्पणी अंकित करके वापस भेजे बिना उसे रोके नहीं रखा जा सकता है. अदालत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से की जा रही कथित देरी से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी.
कई भाजपा नेताओं ने कोलकाता में रेलवे पटरियों के किनारे बसी एक झुग्गी बस्ती की तस्वीर ट्वीट करते हुए दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में इस अतिक्रमण को वैध कर दिया है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में 4,000 से अधिक परिवारों को उस ज़मीन से बेदख़ल करने का आदेश जारी किया था, जिस पर रेलवे ने अपना दावा किया था. इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाहों को क़ानूनी मान्यता देने के मुद्दे पर विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ते हुए उन्हें अपने पास स्थानांतरित कर लिया है. केंद्र से 15 फरवरी तक इस मुद्दे पर सभी याचिकाओं पर अपना संयुक्त जवाब दाख़िल करने को कहा और निर्देश दिया कि 13 मार्च तक सभी याचिकाओं को सूचीबद्ध किया जाए.
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दोनों राज्यों के बीच अक्सर तनाव उत्पन्न करने वाले 12 विवादित क्षेत्रों में से छह के सीमांकन के लिए 29 मार्च 2022 को एक समझौते पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए थे.
सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में निहित मौलिक अधिकारों को लेकर मूल सोच यह है कि इन्हें केवल राज्य के ख़िलाफ़ लागू किया जा सकता है, लेकिन समय के साथ यह बदल गया है.
शीर्ष अदालत ने दोषियों की समय-पूर्व रिहाई के संबंध में अदालत के पहले के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने पिछले साल राज्य सरकार से 2018 की अपनी नीति में निर्धारित मानदंडों का पालन करने के लिए चार महीने के भीतर 512 क़ैदियों की समय से पहले रिहाई के मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा था.
सुप्रीम कोर्ट स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके द्वारा साल 2020 में किए गए कई ट्वीट ने अदालत की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाया था. कामरा ने आत्महत्या मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत दिए जाने के विरोध में ये ट्वीट किए थे.
20 दिसंबर 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में कथित तौर पर रेलवे की ज़मीन पर बसे क़रीब 4,000 से अधिक परिवारों को हटाने का आदेश दिया था. इसके ख़िलाफ़ वहां के निवासियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था. लोगों का दावा है कि उनके पास भूमि का मालिकाना हक़ है और वे यहां 40 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई, जिसमें धर्मांतरण रोधी क़ानून के तहत ज़िलाधिकारी को सूचित किए बिना शादी करने वाले अंतरधार्मिक जोड़ों पर मुक़दमा चलाने से रोकने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी.
दो पत्रकारों ने जून 2020 में आरोप लगाया था कि झारखंड के गोसेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए अम्रतेश सिंह चौहान द्वारा 2016 में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रिश्तेदारों को रिश्वत के रूप में 25 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया गया था. हाईकोर्ट ने आरोप की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त आदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है, इस न्यायालय के अगले आदेश आने तक उक्त निर्देश के परिचालन पर रोक रहेगी. यह आदेश भी दिया है कि तीन महीने के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा.
बिलक़ीस बानो के बलात्कार के दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका से अलग होने से पहले जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने बिलक़ीस द्वारा गुजरात सरकार के निर्णय के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं की सुनवाई से भी ख़ुद को अलग किया था. त्रिवेदी 2004 से 2006 तक गुजरात सरकार की क़ानून सचिव रही हैं.
आज़म ख़ान ने अपने ख़िलाफ़ लंबित आपराधिक मामलों को कथित उत्पीड़न के आधार पर उत्तर प्रदेश के बाहर ट्रांसफर करने की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया है कि यूपी पुलिस द्वारा सैकड़ों एफ़आईआर दर्ज कर उन्हें ‘परेशान’ किया जा रहा है. निचली अदालत उनके द्वारा उठाई गईं आपत्तियों पर विचार किए बिना मामले में आगे बढ़ रही है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने 2018 में वहां के मल्टीप्लेक्स व सिनेमाघर मालिकों को दर्शकों द्वारा थियेटर में उनकी खाद्य सामग्री और पानी लाने से न रोकने का निर्देश दिया था. इसे रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि सिनेमाघर उनके मालिक की निजी संपत्ति है और उन्हें तब तक नियम, शर्तें तय करने का हक़ है जब तक वे जनहित के प्रतिकूल न हों.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस. ओका ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर 50 न्यायाधीशों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा प्रति दस लाख लोगों पर केवल 21 का है, जिससे अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है.