लक्षद्वीप: मिड-डे मील में छात्रों को पहले की तरह मांस उत्पाद परोसने का आदेश

स्कूली बच्चों के लिए मिड-डे मील के मेन्यू से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने और डेयरी फार्म बंद करने संबंधी लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी करके स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करने के लिए कहा है.

समान नागरिक संहिता लागू करने पर कोई फैसला नहीं हुआ, क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन: सरकार

समान नागरिक संहिता 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के चुनावी वादों में से एक रहा है. केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रिजीजू ने लोकसभा में जानकारी दी कि समान नागरिक संहिता को लेकर कुछ रिट याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, इसलिए इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया है.

अदालत ने केंद्र और राज्यों से कहा- हेट स्पीच पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए क़दम स्पष्ट करें

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव से भीड़ हिंसा और नफ़रत भरे भाषण जैसी अप्रिय स्थितियों को रोकने के लिए निवारक, सुधारात्मक और उपचारात्मक उपायों के संबंध में उसके पूर्व के दिशानिर्देशों के अनुपालन को लेकर राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से सूचना एकत्रित कर कोर्ट को इसकी जानकारी देने को कहा है.

हमारे विकास करने के बावजूद लोग भूख से मर रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकतम प्रवासी श्रमिकों को राशन सुनिश्चित करने का राज्य सरकारों को तौर-तरीके तैयार करने का निर्देश देते हुए कहा कि अंतिम लक्ष्य यह है कि भारत में कोई नागरिक भूख से नहीं मरे. अदालत ने कहा कि प्रवासी श्रमिक राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं और कहीं से भी उनके अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती. 

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में दर्ज सभी मामलों में ऑल्ट न्यूज़ के मोहम्मद ज़ुबैर को ज़मानत दी

फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को ज़मानत देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि उन्हें लगातार हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है. अदालत ने उन्हें बुधवार को ही रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही उनके ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामले दिल्ली पुलिस को जांच के लिए सौंप दिए और यूपी सरकार द्वारा गठित एसआईटी को भी समाप्त करने का निर्देश दिया.

नगालैंड नागरिक हत्या: सुप्रीम कोर्ट ने सैन्यकर्मियों के ख़िलाफ़ पुलिस कार्यवाही पर रोक लगाई

दिसंबर 2021 में मोन ज़िले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई थी, जिसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया था. बीते महीने मामले में नगालैंड पुलिस द्वारा मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दायर किया गया था.

भीमा-कोरेगांव केस: वरवरा राव की नियमित ज़मानत वाली याचिका पर एनआईए को अदालत का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव की चिकित्सा आधार पर नियमित ज़मानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी कर अपना रुख़ स्पष्ट करने को कहा. राव ने चिकित्सा के आधार पर स्थायी ज़मानत संबंधी उनकी अपील को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा ख़ारिज किए जाने के फ़ैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाख़िल की है.

पैगंबर टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी को लेकर भविष्य में दर्ज हो सकने वाली एफ़आईआर में भी दंडात्मक कार्रवाई से राहत दे दी. बीते एक जुलाई को शीर्ष अदालत ने इस मामले को लेकर शर्मा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी ‘बेलगाम ज़ुबान’ से ‘पूरे देश को आग में झोंक दिया है’, उन्हें पूरे देश से माफ़ी मांगनी चाहिए.

मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी पर एमनेस्टी ने कहा, फ़र्ज़ी ख़बरों का पर्दाफ़ाश करना अपराध नहीं

मानवाधिकार समूह ‘एमनेस्टी इंडिया’ ने फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को तत्काल और बिना शर्त रिहा करने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें लगातार हिरासत में रखना इस बात की ख़तरनाक चेतावनी है कि आपको भारत में सच बोलने की अनुमति नहीं है.

सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गुजरात पुलिस ने फिल्म निर्देशक को हिरासत में लिया

फिल्मकार अविनाश दास अपने सोशल मीडिया एकाउंट से दो तस्वीरें साझा की थीं. इनमें से एक ​तस्वीर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ झारखंड की गिरफ़्तार आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की थी, जबकि दूसरी तस्वीर में एक महिला नज़र आ रही थी, जिसके शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज चित्रित किया गया था.

पेगासस प्रोजेक्ट: सालभर में कहां पहुंची भारत सरकार द्वारा स्पायवेयर इस्तेमाल के दावे की जांच

18 जुलाई 2021 से पेगासस प्रोजेक्ट के तहत एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठन शामिल थे, ने ऐसे मोबाइल नंबरों के बारे में बताया था, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये निगरानी की गई या वे संभावित सर्विलांस के लक्ष्य थे. इसमें कई भारतीय भी थे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी जांच के लिए गठित समिति द्वारा अंतिम रिपोर्ट दिया जाना बाक़ी है.

ज़ुबैर के ख़िलाफ़ यूपी में दर्ज मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जल्दबाज़ी में क़दम न उठाएं

फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में दो और सीतापुर, लखीमपुर खीरी, ग़ाज़ियाबाद और मुज़फ़्फ़रनगर ज़िलों में एक-एक केस दर्ज किए गए हैं. यूपी पुलिस ने इन मामलों की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन भी किया है. ज़ुबैर इन एफ़आईआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की है. अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी.

बिना समय गंवाए कोविड-19 से मृत लोगों के परिजनों को मुआवज़ा दें राज्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को बिना समय गंवाए कोविड-19 से मृत लोगों के परिजनों को मुआवज़े का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि अगर किसी दावेदार को मुआवज़ा राशि का भुगतान न किए जाने या फिर उनका दावा ठुकराए जाने के संबंध में कोई शिकायत है तो वे संबंधित शिकायत निवारण समिति का रुख़ कर सकते हैं.

यूएपीए मामले में कोर्ट ने एनआईए से कहा, लगता है आपको किसी के अख़बार पढ़ने से भी समस्या है

झारखंड की एक कंपनी के जनरल मैनेजर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने माओवादियों से जुड़ाव रखने के आरोप में यूएपीए के तहत 2018 में गिरफ़्तार किया था. उन्हें हाईकोर्ट से दिसंबर 2021 में ज़मानत मिलने पर एनआईए ने ज़मानती आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे शीर्ष अदालत ने ख़ारिज कर दिया.

‘मोहम्मद ज़ुबैर को सच बोलने का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है’

वीडियो: साल 2018 में किए गए एक ट्वीट को लेकर ‘धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर बीते 27 जून को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. इसके अलावा वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में एक साथ छह मुक़दमों का सामना कर रहे हैं. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.

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