अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच में दर्ज हुई एफआईआर में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ अन्य मंत्रियों, अफसरों और राज्य सरकार को बदनाम करने की साज़िश रची थी. बीते 30 जुलाई को हाईकोर्ट उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर चुका है.
इन अंतरराष्ट्रीय विद्वानों ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को विशेष जांच दल द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली दिवंगत कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री की पत्नी ज़किया जाफ़री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और उसकी टिप्पणी की ओर ध्यान आकर्षित किया है.
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ बीते 25 जून को एक एफआईआर दर्ज की थी. इन पर आरोप है कि इन्होंने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ अन्य मंत्रियों, अफसरों और राज्य सरकार को बदनाम करने की साज़िश रची थी.
गुजरात के एक सत्र न्यायालय में राज्य पुलिस की एसआईटी ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि वे 2002 के दंगों के बाद राज्य में भाजपा सरकार को गिराने के लिए दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर रची गई एक साज़िश में शामिल थीं.
किसी भी बात पर जेल भेज दिए जाने की आशंका में जीना एक तरह से जेल में जीना ही है. ऐसे हालात में कोर्ट या सरकार जेल डेबिट कार्ड की व्यवस्था लागू कर दें, ताकि ट्विटर पर जब भी अभियान चले कि फलां को गिरफ़्तार करो, जेल भेजो तब उस व्यक्ति के जेल डेबिट कार्ड से पुलिस उतनी सज़ा की अवधि डेबिट कर ले.
संजीव भट्ट अन्य मामलों में वर्ष 2018 से पालनपुर ज़ेल हैं. उनकी गिरफ़्तारी स्थानांतरण वॉरंट के ज़रिये हुई है. 2002 के गुजरात दंगों के एक मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देते वक़्त सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी को आधार बनाकर अहमदाबाद पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार व संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को एसआईटी द्वारा क्लीनचिट दिए जाने को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका बीते 24 जून को ख़ारिज कर दी थी. पूर्व नौकरशाहों ने अपने पत्र में कहा है कि इस निर्णय का सबसे ख़तरनाक हिस्सा यह है कि अदालत एक सिद्धांत के साथ सामने आई है, जो राज्य को उन व्यक्तियों को गिरफ़्तार कर मुक़दमा चलाने का आदेश देता है, जो जांच एजेंसियों
तीस्ता का मानना है कि उनकी चुनौती दंड से मुक्ति की संस्कृति से लड़ना है. यही वो वजह है जो उन्हें प्रेरित करती है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को उनकी पुलिस रिमांड पूरा होने पर अदालत में पेश किया गया था. सरकारी वकील ने बताया कि जांच अधिकारी ने हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने की मांग नहीं की. इसलिए उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सीतलवाड़ ने जेल में सुरक्षा की मांग की है.
साक्षात्कार: हाल ही में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा की वेबसाइट रैपलर को वहां की सरकार ने बंद करने का आदेश दिया है. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से बातचीत में मारिया ने कहा कि पत्रकारों को लोगों को यह बताने की ज़रूरत है कि अगर वे आज अपने अधिकारों के लिए नहीं लड़ते हैं, तो वे इन्हें हमेशा के लिए गंवा देंगे.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफेन दुजारिक ने कहा कि दुनिया में कहीं पर भी यह बेहद ज़रूरी है कि लोगों को खुलकर अपनी बात कहने की अनुमति दी जाए. पत्रकारों को मुक्त होकर और किसी भय के बिना अपनी बात कहने की छूट होनी चाहिए.
सरकार के कारिंदे आधी शती पहले की इमरजेंसी की ज़्यादतियों को कोसते हैं, पर देशवासी बिना किसी एलानिया इमरजेंसी के तबसे बदतर हालात में जी रहे हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज की गई थी.
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ बीते 25 जून को एक एफ़आईआर दर्ज की थी. इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी को गुमराह करने की साज़िश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.
वीडियो: साल 2002 में गुजरात की मुस्लिम विरोधी हिंसा में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने के निचली अदालत के फैसले का बरक़रार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़किया जाफ़री की याचिका ख़ारिज किए जाने के एक दिन से भी कम समय में राज्य के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने याचिकाकर्ताओं में से एक तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ़्तार कर लिया है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी से द वायर की सीनियर एडिटर