भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को मिलने वाले सरकारी समर्थन को लेकर दबाव बनाने के लिए कूटनीतिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है. फिर भी पाकिस्तान की सरकारें लश्कर-ए-तैयबा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में असमर्थ रही हैं.
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इसी मामले में जेल में बंद कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ भी आरोपी हैं. 2020 में दर्ज राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एफ़आईआर में कश्मीर स्थित कुछ एनजीओ पर भारत विरोधी गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप लगाए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दो जनवरी को 4:1 के बहुमत के फैसले में नोटबंदी के फैसले पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा था कि 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने की निर्णय प्रक्रिया न तो त्रुटिपूर्ण थी और न ही जल्दबाजी में लिया गया फैसला.
नोटबंदी पर अपने अल्पमत के फैसले में जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मोदी सरकार के इस क़दम पर कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अधिसूचना की बजाय इसके लिए संसद में चर्चा होनी चाहिए थी. उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसे लेकर आरबीआई ने स्वतंत्र रूप से सोच-विचार नहीं किया और पूरी कवायद 24 घंटे में कर दी गई.
मोदी सरकार के 2016 में नोटबंदी के निर्णय के ख़िलाफ़ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इसे वैध ठहराते हुए कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य कालाबाज़ारी, टेरर फंडिंग आदि को ख़त्म करना था, यह प्रासंगिक नहीं है कि इन उद्देश्यों को पाया गया या नहीं.
मोदी सरकार के नोटबंदी के निर्णय के ख़िलाफ़ कई याचिकाएं सुन रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत सरकार के फैसले के गुण-दोष पर नहीं जाएगी, लेकिन वह हमेशा निर्णय लेने के तरीके पर गौर कर सकती है. सिर्फ इसलिए कि यह एक आर्थिक नीति है, इसका मतलब यह नहीं होगा कि अदालत चुपचाप बैठ जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार के नोटबंदी के निर्णय को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इस दौरान हुई बहस में कोर्ट ने सरकार से पूछा कि अगर आरबीआई ने नोटबंदी पर आपत्ति दर्ज की होती तो क्या सरकार ने उसे दरकिनार कर दिया होता.
मोदी सरकार के नोटबंदी के निर्णय को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने पांच सौ रुपये और हजार रुपये के नोट बंद करने फैसले को ‘गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि केंद्र सरकार वैध नोट से संबंधित कोई भी प्रस्ताव खुद से नहीं कर सकती है.
दिवंगत हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद एवं कश्मीरी अलगाववादी नेता अल्ताफ़ अहमद शाह को छह अन्य लोगों के साथ आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में 2017 में गिरफ़्तार किया गया था. तब से वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद थे.
नवंबर 2020 में ज़ी न्यूज़ पर प्रसारित एक कार्यक्रम में जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला राशिद के पिता का साक्षात्कार दिखाया गया था, जिसमें उन्होंने शेहला पर आतंकी फंडिंग से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था. शेहला ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की है कि चैनल बिना शर्त माफ़ी मांगे.
नवंबर 2020 में ज़ी न्यूज़ पर प्रसारित एक कार्यक्रम में जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला राशिद के पिता का साक्षात्कार दिखाया गया था, जिसमें उन्होंने शेहला पर आतंकी फंडिंग से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था. एनबीडीएसए यह कहते हुए कि कार्यक्रम में निष्पक्षता की कमी थी, चैनल से उसकी वेबसाइट समेत सभी सोशल मीडिया मंचों से इसके वीडियो को हटाने को कहा है.
एनआईए ने 2017 में टेरर फंडिंग का यह मामला दर्ज कर कश्मीर के 17 आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र पेश किया था. अदालत ने इनमें से कश्मीरी पत्रकार कामरान यूसुफ़, वेंडर जावेद अहमद और अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी को बरी कर दिया है. बाकी 14 आरोपियों के ख़िलाफ़ आईपीसी और यूएपीए के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए गए हैं.
एनआईए की एक विशेष अदालत ने जांच अवधि की सीमा बढ़ाए जाने संबंधी एनआईए के एक आवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है, इसलिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. एनआईए ने बीते साल 22 नवंबर को टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में ख़ुर्रम परवेज़ और दो अन्य को गिरफ़्तार किया था.
जम्मू कश्मीर के फ्रीलांस फोटो पत्रकार मनन गुलज़ार डार को आतंकी साज़िश मामले में एनआईए ने गिरफ़्तार किया है. एनआईए ने इस महीने की शुरुआत में मनन के भाई हनन गुलज़ार डार को गिरफ़्तार किया था. परिवार का कहना है कि एक पखवाड़े से अधिक समय बीत गया है, लेकिन उन्हें नहीं पता कि वह ज़िंदा हैं या नहीं.