तिपरा मोठा प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देवबर्मन का यह बयान आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासी वोट बैंक तैयार करने के लिए त्रिपुरा पीपुल्स फ्रंट की नेता पाताल कन्या जमातिया के भाजपा में शामिल होने के बाद आया है.
असम, हिमाचल प्रदेश, केरल, नगालैंड और त्रिपुरा से राज्यसभा के आठ सदस्यों का कार्यकाल दो अप्रैल को और पंजाब के पांच सदस्यों का कार्यकाल नौ अप्रैल को पूरा होगा. जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी और आनंद शर्मा भी शामिल हैं.
याचिकाकर्ता वकील एहतेशाम हाशमी के ख़िलाफ़ त्रिपुरा पुलिस ने पिछले साल राज्य में हुई हिंसा पर उनकी रिपोर्टिंग के लिए कठोर गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है. हाशमी ने एसआईटी द्वारा जांच की मांग की है, जिसमें एक मस्जिद को नष्ट करने सहित मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाओं को दरकिनार करने में पुलिस और त्रिपुरा सरकार की मिलीभगत का आरोप लगाया गया है.
भाजपा छोड़ने के बाद पहली बार सार्वजनिक तौर पर दिखे त्रिपुरा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बर्मन ने कहा कि भाजपा-आईपीएफटी सरकार 2023 में सत्ता में नहीं लौटेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासन के तहत कोई लोकतांत्रिक अधिकार नहीं है. उन्होंने यह भी दावा किया कि जब से भाजपा सत्ता में आई है, उसके बाद के सभी चुनावों में धांधली की गई है.
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मामला बीते साल त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद की गई सोशल मीडिया पोस्ट करने वालों से जुड़ा है. कोर्ट के आदेश के बावजूद इन लोगों को नोटिस भेजने को लेकर अदालत ने कहा कि अगर पुलिस ने लोगों को परेशान करना बंद नहीं किया, तो वह राज्य के गृह सचिव और संबंधित पुलिस अधिकारियों को तलब करेंगे.
राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 में देश भर में कम से कम छह पत्रकारों की हत्या हुई, 108 पर हमला हुआ और 13 मीडिया संस्थानों या अख़बारों को निशाना बनाया गया.
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कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने हाल ही में आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत केंद्र सरकार यदि किसी राज्य सरकार से उसके कैडर का अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर मांगती है तो राज्य सरकार इस अनुरोध को ठुकरा नहीं सकती.
त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी एक याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि स्वतंत्र जांच की मांग करने वालों की नीयत ठीक नहीं है और वे जनहित की आड़ में कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर सी-ग्रेड न्यूज़ चैनल ऐसे तर्क देते तो समझा जा सकता था, पर किसी राज्य सरकार का ऐसा करना शोभा नहीं देता.
त्रिपुरा में बीते साल हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम के सदस्यों में एक वकील एहतेशाम हाशमी की याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि रिपोर्ट एकतरफा है और इसमें घटनाओं को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है.
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आरोप है कि त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के एक होटल में पार्टी करके रात में लौट रहे ट्रांसजेंडर समुदाय के चार लोगों को कुछ पुलिसकर्मियों और एक पत्रकार ने रास्ते में रोककर उन्हें एक महिला पुलिस स्टेशन ले गए थे, जहां उन्हें जबरन निर्वस्त्र कराया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हिंसा के बारे में लिखना कोई अपराध नहीं है. त्रिपुरा पुलिस ने पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर ख़ान के ख़िलाफ़ राज्य में पिछले साल हुई हिंसा से संबंधित एक ट्वीट के लिए यूएपीए और विभिन्न धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया था.
त्रिपुरा के सूचना एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुशांत चौधरी ने बीते सोमवार को ‘एक त्रिपुरा, श्रेष्ठ त्रिपुरा’ के प्रधानमंत्री के आह्वान के लिए सभा में शामिल होने को कहा था. इस बीच तृणमूल कांग्रेस की त्रिपुरा इकाई ने कोविड 19 के बढ़ते मामलों के बीच सभा में जुटी भारी भीड़ पर प्रधानमंत्री और भाजपा की प्रदेश सरकार की आलोचना की है.