ज़मानत देते समय अदालत को क़ैदी की आर्थिक स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए: कोर्ट

ज़मानत नीति में सुधार के एक मामले को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों द्वारा हर प्रयास किया जाना चाहिए कि जब वे ज़मानत दें, तो इसका कोई अर्थ होना चाहिए क्योंकि ऐसी ज़मानत शर्तें, जो क़ैदी की आर्थिक स्थिति से परे हों, लगाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता है.

ज़मानत मिलने के बावजूद 5,000 विचाराधीन क़ैदी जेलों में थे: नालसा

नवंबर 2022 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर दिए गए भाषण में ज़मानत राशि भरने के लिए पैसे की कमी के कारण ग़रीब आदिवासियों के जेल में बंद होने का ज़िक्र किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे क़ैदियों का ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे.

महाराष्ट्र में क़ानूनी सहायता सेवाओं तक 8 फीसदी से भी कम क़ैदियों की पहुंच: अध्ययन

महाराष्ट्र में क़ानूनी सहायता की स्थिति और उपलब्धता पर एक विस्तृत अध्ययन से पता चलता है कि 2016 और 2019 के बीच राज्य की जेलों में बंद कुल विचाराधीन क़ैदियों में से 8 फीसदी से भी कम क़ानूनी सहायता सेवाओं तक पहुंच बना सके. क़ैदियों में से अधिकांश अशिक्षित हैं और हाशिये की जातियों एवं धर्मों से संबंधित हैं.

महाराष्ट्र: यरवदा जेल में एक ही दिन में तीन विचाराधीन क़ैदियों की मौत, परिजनों का प्रदर्शन

पुणे के यरवदा केंद्रीय कारागर के तीन विचाराधीन क़ैदियों की 31 दिसंबर को एक अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई. पुलिस ने मौतों को प्राकृतिक बताया है, जबकि मृत क़ैदियों के परिजनों ने जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि मौतें जेल वॉर्डन द्वारा मारपीट किए जाने के बाद हुई हैं.

झारखंड: किन वजहों से जेलों में बंद रहने को मजबूर हैं आदिवासी और हाशिये से आने वाले लोग

बीते दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छोटे-मोटे अपराधों में जेल की सज़ा काट रहे आदिवासियों की दुर्दशा का ज़िक्र किया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया था. झारखंड की जेलों में भी कई ऐसे विचाराधीन क़ैदी हैं, जिन्हें यह जानकारी तक नहीं है कि उन्हें किस अपराध में गिरफ़्तार किया गया था.

बंगाल: दस दिनों में 4 विचाराधीन क़ैदियों की मौत, परिजनों ने जेल में प्रताड़ना का आरोप लगाया

ये सभी विचाराधीन क़ैदी दक्षिण 24 परगना ज़िले के बरुईपुर केंद्रीय सुधार गृह में न्यायिक हिरासत में थे. परिवारों द्वारा जेल प्रशासन पर प्रताड़ना के आरोप लगाए जाने के बाद ज़िला कलेक्टर ने प्रत्येक मृतक के परिजन को 5 लाख रुपये का मुआवज़ा देते हुए सीआईडी जांच कराने की बात कही है.

2018 से 2020 के बीच यूएपीए के तहत 4,690 लोग गिरफ़्तार हुए, 149 दोषी ठहराए गए: केंद्र

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 2018 से 2020 के बीच यूएपीए के तहत सर्वाधिक 1,338 गिरफ़्तारियां उत्तर प्रदेश में हुईं. उसके बाद मणिपुर में 943 और जम्मू कश्मीर में 750 लोगों को इस क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया. इनमें से अधिकांश लोग 18-30 वर्ष की उम्र के थे.

यूएपीए से जुड़े सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इसकी क़ानूनी प्रक्रिया ही वास्तव में सज़ा है

राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया है कि ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत वर्ष 2016 से 2020 के बीच 24,134 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जिनमें से केवल 212 के ख़िलाफ़ ही दोष सिद्ध हो सके. इसके प्रावधान आरोप झेल रहे लोगों के लिए ज़मानत पाना लगभग असंभव बना देते हैं. परिणामस्वरूप, ज़्यादातर लोग लंबे समय तक जेलों में विचाराधीन क़ैदियों के रूप में पड़े रहते हैं.

विपक्ष सिकुड़ रहा है, राजनीतिक विरोध का शत्रुता में बदलना स्वस्थ लोकतंत्र नहीं है: सीजेआई रमना

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना राजस्थान के जयपुर में शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने भारतीय जेलों में बढ़ती विचाराधीन क़ैदियों की संख्या पर भी राय व्यक्त करते हुए कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में पूरी प्रक्रिया एक तरह की सज़ा है, भेदभावपूर्ण गिरफ़्तारी से लेकर ज़मानत पाने तक और विचाराधीन क़ैदियों को लंबे समय तक जेल में बंद रखने की समस्या पर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है.