इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदन बी. लोकुर के एक साक्षात्कार का हवाला दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 12 दिसंबर, 2018 को एक बैठक के दौरान हाईकोर्ट के दो मुख्य न्यायाधीशों को पदोन्नत करने का निर्णय उनके सेवानिवृत्त होने के बाद बदल दिया गया था. भारद्वाज ने बैठक में हुई चर्चा को सार्वजनिक करने की मांग की थी, जिसे ख़ारिज कर दिया गया.
जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे नामों को मंज़ूर करने में केंद्र की देरी से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक यह प्रणाली है, हमें इसे लागू करना होगा. पीठ ने अटॉर्नी जनरल से यह भी कहा कि कोर्ट द्वारा कॉलेजियम पर सरकार के लोगों की टिप्पणियों को उचित नहीं माना जा रहा है.
न्यायाधीशों की नियुक्ति के मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने के लक्ष्य से सरकार द्वारा लाए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) क़ानून को सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में ख़ारिज कर दिया था. केंद्र की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब न्यायाधीशों की नियुक्ति की को लेकर न्यायपालिका के साथ उसका गतिरोध जारी है.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि श्रीनगर में स्थानीय समाचार पत्रों के लिए काम करने वाले आठ पत्रकारों को आतंकी ब्लॉग ‘कश्मीर फाइट’ के माध्यम से धमकी मिली है. चार मीडियाकर्मियों ने कथित तौर पर इस्तीफ़ा दे दिया है. इस्तीफा देने वाले मीडियाकर्मी राइज़िंग कश्मीर मीडिया हाउस से ताल्लुक रखते हैं.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा कि सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति रही है और जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है तथा आतंकवादी हमलों में काफी कमी आई है. इसके उलट बीते दिनों कश्मीर घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों के नाम लेते हुए आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा जारी की गई एक ‘हिटलिस्ट’ से भयभीत समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया था.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पंजीकरण रद्द होने की तारीख़ से ऐसे एनजीओ तीन साल की अवधि के लिए पंजीकरण के पात्र नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सर्वाधिक 755, महाराष्ट्र में 734, उत्तर प्रदेश में 635, आंध्र प्रदेश में 622 और पश्चिम बंगाल में 611 एनजीओ का पंजीकरण रद्द किया गया है.
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी कि साल 2017 और 2022 के बीच आंध्र प्रदेश में सबसे ज़्यादा सांसदों एवं विधायकों के ख़िलाफ़ 10 मामले दर्ज किए गए. 2020 में सज़ा पाने की दर 69.83 प्रतिशत दर्ज की गई, जो इन पांच सालों में सर्वाधिक है.
केरल की कांग्रेस नेता जेबी माथेर हीशम ने राज्यसभा में सरकार से मॉब लिंचिग से निपटने के लिए उठाए गए निवारक क़दमों का ब्योरा मांगा था. जिसके जवाब में सरकार की ओर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं का ब्योरा दिया गया. सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो भीड़ द्वारा हिंसा के संबंध में अलग से कोई आंकड़े नहीं रखता है.
सभापति के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हुए अपने पहले संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक आयोग क़ानून ख़ारिज किए जाने को लेकर कहा कि यह ‘संसदीय संप्रभुता से गंभीर समझौता’ और उस जनादेश का ‘अनादर’ है जिसके संरक्षक उच्च सदन व लोकसभा हैं.
इस मामले में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से ‘डरा-धमकाकर, उपहार या पैसों का का लालच देकर’ किए जाने वाले कपटपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर क़दम उठाने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है. इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है.
एक आधिकारिक आदेश के माध्यम से सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने बताया है कि प्रिंट और डिजिटल मीडिया एसोसिएशन (पद्म) को एक स्व-नियामक निकाय के रूप में पंजीकृत किया गया है, जो डिजिटल मीडिया मचों पर समसायिक मामलों से संबंधित सामग्री से जुड़ी शिकायतों को देखेगा.
केरल युक्तिवादी संघम ने सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा धर्मांतरण के मुद्दे पर लगाई गई याचिका में हस्तक्षेप करने के लिए आवेदन दिया है. संगठन का कहना है कि उपाध्याय की जनहित याचिका ‘सोशल मीडिया फॉरवर्ड, यूट्यूब वीडियो और वॉट्सऐप चैट’ पर आधारित है. इसमें किए गए दावों का कोई विश्वसनीय तथ्यात्मक आधार नहीं है
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका के जवाब में गुजरात सरकार द्वारा पेश हलफ़नामे में यह कहा गया है. इससे पहले बीते माह केंद्र सरकार ने भी इसी मामले में एक हलफ़नामा दायर करते हुए शीर्ष अदालत से यही बात कही थी. केंद्र ने कहा था कि इस तरह की प्रथाओं पर क़ाबू पाने वाले क़ानून समाज के कमज़ोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक हैं.
कॉलेजियम प्रणाली को लेकर चल रही खींचतान के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 में एनजेएसी अधिनियम रद्द करने को लेकर कहा कि संसद द्वारा पारित एक क़ानून, जो लोगों की इच्छा को दर्शाता है, उसे शीर्ष अदालत ने ‘रद्द’ कर दिया और ‘दुनिया को ऐसे किसी भी क़दम के बारे में कोई जानकारी नहीं है.’
बीते दिनों केंद्र सरकार ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका था कि उन्हें और सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा. इसके ख़िलाफ़ कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि इससे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट हो रही है.