दिसंबर 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को जारी किए गए वसूली नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते 11 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी, जिसके बाद ये नोटिस वापस लिए गए हैं. सरकार ने कोर्ट से यह भी कहा कि वह प्रदर्शनकारियों से वसूली गई करोड़ों रुपये की पूरी धनराशि वापस करेगी.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी. इसे रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका में कहा गया है कि यह निर्णय क़ानून के लिहाज से टिकाऊ नहीं है क्योंकि इस पर ठीक तरह से विचार नहीं किया गया है और प्रत्यक्ष साक्ष्य के समर्थन के बिना ‘हो सकता है’ का सहारा लिया.
यूपी के कासगंज ज़िले में एक नाबालिग लड़की की गुमशुदगी के सिलसिले में हिरासत में लिए गए अल्ताफ़ की बीते साल नवंबर में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. पुलिस ने इसे ख़ुदकुशी बताया था जबकि मृतक के परिजनों ने पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने से अल्ताफ़ की मौत होने का आरोप लगाया था. अब कोर्ट ने अल्ताफ़ का शव निकालकर दोबारा पोस्टमार्टम करवाने का निर्देश दिया है.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी. ज़मानत आदेश में धारा 302 (हत्या) और 120बी (साज़िश रचने) की धाराओं का उल्लेख छूट गया था, जिन्हें कोर्ट द्वारा जोड़ने का आदेश दिए जाने के बाद आशीष को रिहा कर दिया गया.
10 फरवरी को मेरठ ज़िले में सरधना विधानसभा क्षेत्र के गांव सलावा के प्राथमिक विद्यालय नंबर दो पहले चरण के वोट डाले जा रहे थे. आरोप है कि मतदान के दौरान भाजपा विधायक संगीत सोम और उनके समर्थकों ने पीठासीन अधिकारी अश्विनी कुमार की पिटाई कर दी थी और बूथ पर लगे वेबकैम को भी उखाड़ कर ले गए थे. विधायक कथित तौर पर मतदान की धीमी गति को लेकर नाराज़ थे.
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर, 2019 में सीएए के विरोध में आंदोलन कर रहे लोगों को वसूली के नोटिस भेजे जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह कार्यवाही उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित क़ानून के विरुद्ध है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.
उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले में एक नाबालिग लड़की के गुमशुदगी के सिलसिले में हिरासत में लिए गए अल्ताफ़ बीते साल नवंबर में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी. पुलिस ने इसे ख़ुदकुशी बताया था जबकि मृतक के परिजनों ने पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने से अल्ताफ़ की मौत होने का आरोप लगाया था.
उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सपा सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय फतेह बहादुर सिंह के बेटे राजोल सिंह की के आश्रम के पास की जमीन से बीते 10 फरवरी को 22 वर्षीय दलित युवती का क्षत-विक्षत शव मिला था. युवती के लापता होने की शिकायत पर एफआईआर एक महीने बाद 10 जनवरी को दर्ज की गई थी. आरोपी को बीते 24 जनवरी को युवती के अपहरण के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को बीते 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी. आशीष द्वारा दाख़िल याचिका में कहा गया है कि अदालत ने उनकी ज़मानत के आदेश में धारा 302 (हत्या) और 120बी (साज़िश रचने) की धाराओं का जिक्र नहीं किया था. इसके बिना उनकी जेल से रिहाई संभव नहीं है.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले का मामला है. 22 वर्षीय दलित युवती के लापता होने की शिकायत पिछले साल आठ दिसंबर को की गई थी और एफआईआर एक महीने बाद 10 जनवरी को दर्ज की गई थी. युवती का क्षत-विक्षत शव एक आश्रम के पास से निकाला गया, जो कि सपा सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय फतेह बहादुर सिंह के बेटे राजोल सिंह के स्वामित्व में है. राजोल को बीते 24 जनवरी को युवती के अपहरण के आरोप में गिरफ़्तार
लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा को ज़मानत मिलने पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि राजनीतिक रूप से शक्तिशाली आरोपी के गवाहों को प्रभावित करने की पक्की संभावना पर विचार किए बिना अदालत का ज़मानत देना बेहद निराशाजनक है.
कमेटी अगेंस्ट असॉल्ट ऑन जर्नलिस्ट्स की एक रिपोर्ट बताती है कि 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से लेकर अब तक राज्य में 48 पत्रकारों पर शारीरिक हमले हुए, 66 के ख़िलाफ़ केस दर्ज या उनकी गिरफ़्तारी हुई. इस दौरान 78 फीसदी मामले वर्ष 2020 और 2021 में महामारी के दौरान दर्ज किए गए.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा पिछले साल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले में हुई हिंसा के दौरान चार किसानों और एक पत्रकार की एसयूवी से कुचलकर हत्या करने के आरोपी है. इस हिंसा के दौरान कुल आठ लोगों की मौत हुई थी. तीन अन्य मृतकों में भाजपा के दो कार्यकर्ता और केंद्रीय मंत्री की एसयूवी के चालक शामिल हैं.
बीते पांच सालों में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने औरतों, अल्पसंख्यकों और असहमति ज़ाहिर करने वालों पर हुए ज़ुल्म की अनदेखी की है, या इसमें स्वयं उसकी भूमिका रही. ऐसे हालात में भी विडंबना यह है कि भाजपा प्रदेश में क़ानून व्यवस्था के अपने रिकॉर्ड को उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार, गुरुवार को लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की कार पर गोलियां बरसाने वाले आरोपियों- सचिन शर्मा और शुभम ने बताया है कि गोली चलाते वक़्त कार में बैठे ओवैसी ने उन्हें देख लिया था और वे नीचे की ओर झुक गए थे, इसलिए उन्होंने नीचे की तरफ निशाना साधा.