द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने कहा है कि अमेरिकी सरकार ने आरोपों को गंभीरता से लिया है और इसे भारत के साथ उच्चतम स्तर पर उठाया है.
कहीं ऐसा तो नहीं कि ‘सांस्कृतिक मार्क्सवादी’ और ‘वोक पीपल’ (Woke People) को लेकर संघ सुप्रीमो की ललकार एक तरह से उत्पीड़ितों की दावेदारी और स्वतंत्र चिंतन के प्रति हिंदुत्व वर्चस्ववाद की बढ़ती बेचैनियों को ही बेपर्द करती है.
अमेरिकी सैनिक ऐरोन बुशनेल ने वॉशिंगटन डीसी में इज़रायली दूतावास के सामने 'फ्री फ़िलिस्तीन' का नारा लगाते हुए ख़ुद को ज़िंदा जला लिया ताकि दुनिया की नज़रें गाजा की ओर मुड़ जाएं. क्या बुशनेल जैसे लोग भुला दिए जाएंगे? क्या कोई युद्ध के विरोध में प्रतिबद्धता दिखाएगा और गाजा से लेकर यूक्रेन तक मानवीय नरसंहार का विरोध करने के लिए खड़ा हाेगा?
अमेरिकी अभियोजकों ने अमेरिकी नागरिक और खालिस्तान समर्थक नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश के मामले में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को आरोपी बनाते हुए चेक गणराज्य को प्रत्यर्पण का अनुरोध भेजा है. बीते महीने चेक हाईकोर्ट गुप्ता की अपील ख़ारिज करते हुए प्रत्यर्पण की इजाज़त दे चुका है.
सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय को वर्ष 2002 में प्रतिष्ठित मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि फ़िलिस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ मौजूदा हमले में इज़रायल का खुलेआम समर्थन करने में अमेरिका की भूमिका को देखते हुए उनके लिए पुरस्कार अपने पास रखना असहनीय हो गया है.
लीजेंड एयरलाइंस नामक रोमानियाई कंपनी के विमान ने बीते 22 दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात से मध्य अमेरिका के निकारागुआ के लिए उड़ान भरी थी. विमान को फ्रांस के हवाई अड्डे पर संभावित ‘मानव तस्करी’ की एक गुमनाम सूचना मिलने के बाद रोक दिया गया था. चार दिनों के बाद 276 यात्रियों के साथ विमान बीते 26 दिसंबर को मुंबई भेज दिया गया था.
सारी दुनिया में लाखों यहूदी, मुसलमान, ईसाई, हिंदू, कम्युनिस्ट, एग्नॉस्टिक लोग सड़कों पर उतरकर गाज़ा पर हमला फ़ौरन बंद करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन, वही मुल्क जो कभी फिलिस्तीन का सच्चा दोस्त था, जिन पर कभी लाखों लोगों के जुलूस निकले हुए होते, वही सड़कें आज ख़ामोश हैं.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने एक बयान में कहा है कि विदेशों में कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को चुप कराने के भारत सरकार के हालिया प्रयास धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर ख़तरा हैं. आयोग ने अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को विशेष चिंता वाले देश में डालने का अनुरोध किया है.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बीते सितंबर माह में भारत सरकार पर अपने एक नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे. बीते नवंबर महीने में अमेरिका ने भी एक भारतीय अधिकारी पर अपने एक नागरिक की हत्या की साजिश रचने को लेकर सबूत जारी किए थे.
खालिस्तान अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश रचने के मामले में अमेरिकी अभियोजकों ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता और भारत सरकार के कर्मचारी को आरोपी बताया है.
खालिस्तान अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साज़िश रचने के मामले में अमेरिकी अभियोजकों ने एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता और एक भारतीय सरकारी कर्मचारी, जिसे आरोपों में ‘सीसी-1’ नाम दिया गया है, को आरोपी बताया है. शामिल हैं. गुप्ता इस ‘साज़िश’ में तब शामिल हुए, जब ‘सीसी-1’ ने आश्वासन दिया था कि गुजरात में उनके ख़िलाफ़ दर्ज एक केस का ‘ध्यान रखा जाएगा’.
वीडियो: अमेरिकी फ़ेडरल अभियोजकों द्वारा न्यूयॉर्क की एक अदालत में ‘भारत के सरकारी कर्मचारी के तौर पर पहुंचे व्यक्ति द्वारा एक अमेरिकी नागरिक की हत्या’ के निर्देश देने के आरोपों के बारे में चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
इस घटनाक्रम से से अमेरिका और कनाडा दोनों के साथ भारत के संबंधों पर असर पड़ने की संभावना है. कनाडा के बाद अमेरिका दूसरा देश बन गया, जिसने खालिस्तानी अलगाववादी (गुरपतवंत सिंह पन्नू) को मारने की साज़िश में भारतीय एजेंटों के शामिल होने की संभावना के बारे में ‘वरिष्ठतम स्तर’ पर भारत सरकार के साथ चिंता जताई है.
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