तीन दिवसीय उत्तर प्रदेश ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ किया, जहां मुकेश अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला समेत अन्य उद्योगपति मौजूद रहे, हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद सवालों के घेरे में आए उद्योगपति गौतम अडानी वहां नहीं पहुंचे.
अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़े बताते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को प्राप्त शिकायतों की संख्या में पिछले दो वित्त वर्षों के दौरान भारी वृद्धि हुई है. अधिकांश शिकायतें मुसलमानों द्वारा दर्ज कराई गई हैं. उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम समुदाय से लगातार छठी बार सबसे ज़्यादा शिकायतें मिली हैं.
एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने राज्यसभा को सूचित किया कि इन 308 लोगों में से सबसे अधिक 52 मौतें तमिलनाडु में हुईं. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 46 और हरियाणा में 40 लोगों की मौत सीवर सफाई के दौरान दर्ज की गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने आरोप लगाया है कि जुलाई 2021 में उन पर धर्म के नाम पर हमला हुआ, बदसलूकी की गई और यूपी पुलिस ने घृणा अपराध की शिकायत तक दर्ज नहीं की. अदालत ने कहा कि जब नफ़रत की भावना से किए जाने वाले अपराधों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब ऐसा माहौल बनेगा, जो ख़तरनाक होगा.
बीते 29 जनवरी को लखनऊ में सांकेतिक विरोध प्रदर्शन के दौरान रामचरितमानस की फोटोकॉपी जलाने के मामले में सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है. इस संबंध में दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि रामचरितमानस के पन्नों की छायाप्रतियां जलाने से शांति एवं सद्भाव को ख़तरा है.
उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले के कोइरौना थाना इलाके का मामला. शिकायत के अनुसार, 48 वर्षीय महिला की तबीयत ख़राब होने पर उन्हें पास में एक कथित डॉक्टर के यहां ले जाया गया, जहां कुछ दवा देने के बाद डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया. इसके कुछ ही देर बाद महिला ने दम तोड़ दिया.
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के ‘प्रोजेक्ट 39ए’ के तहत जारी वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक मौत की सज़ा उत्तर प्रदेश में (100 दोषियों को) सुनाई गई. वहीं, गुजरात में 61, झारखंड में 46, महाराष्ट्र में 39 और मध्य प्रदेश में 31 दोषियों को मौत की सज़ा दी गई है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने रविवार को लखनऊ में कथित तौर पर ‘महिलाओं और दलितों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों’ के उल्लेख वाले रामचरितमानस के पन्ने की फोटोकॉपी जलाई थीं. मौर्य पर इससे पहले भी एक मुक़दमा दर्ज किया जा चुका है.
तीन अप्रैल 2022 को आईआईटी-बॉम्बे से स्नातक अहमद मुर्तज़ा अब्बासी ने गोरखनाथ मंदिर में जबरन प्रवेश का प्रयास करते हुए मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के दो जवानों पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला किया था. एटीएस अदालत ने मुर्तज़ा को दोषी ठहराते हुए मौत की सज़ा दी है.
गुरुवार शाम को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से संबंधित वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें दो अलग-अलग समूहों में शामिल युवा कथित तौर पर ‘भारत माता की जय’ और ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाते दिख रहे हैं. यह घटना गणतंत्र दिवस समारोह के फौरन बाद की बताई जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में राजस्थान के अलवर में चुनाव प्रचार के दौरान कथित आपत्तिजनक भाषण देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करने का अनुरोध करने वाली याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि ऐसे मुक़दमे सिर्फ़ अख़बारों के पहले पन्ने के लिए होते हैं.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले का मामला. पुलिस का दावा था कि पांच सितंबर 2021 को पुलिस और कथित गो-तस्करों के बीच एक मुठभेड़ हुई थी. जवाबी फायरिंग में गो-तस्कर जीशान हैदर नक़वी के पैर में गोली लगी, जिससे उनकी मौत हो गई. वहीं परिजनों ने आरोप लगाया था कि मृतक को पुलिस घर से उठाकर ले गई और उनकी हत्या कर दी थी.
बीते कुछ समय में देश के कई राज्यों में कथित तौर पर मुस्लिम पुरुषों के हिंदू महिलाओं से शादी करने की बढ़ती घटनाओं के आधार पर 'लव जिहाद' से जुड़े क़ानून को जायज़ ठहराया गया है. लेकिन क्या इन दावों का समर्थन करने के लिए कोई वास्तविक सबूत मौजूद है?
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक और मानवाधिकार वकीलों के एक विशेषज्ञ समूह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान ‘उत्तर प्रदेश में दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 के बीच किए गए मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के लिए’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है.
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर स्थित हिंदू कॉलेज का मामला. छात्राओं का आरोप है कि उन्हें कॉलेज गेट पर बुर्का उतारने के लिए मजबूर किया गया. इस मामले को लेकर छात्रों, समाजवादी छात्र सभा के कार्यकर्ताओं और निर्धारित नियमों पर अड़े रहे कॉलेज शिक्षकों के बीच झड़प भी हुई थी.