पिछले महीने मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति सहित दो युवकों द्वारा एक लड़की के कथित अपहरण के प्रयास के बाद से उत्तराखंड के उत्तरकाशी शहर में तनाव व्याप्त है. तनाव के बीच पुरोला बाज़ार में कुछ पोस्टर लगाए थे, जिसमें मुस्लिम व्यापारियों से 15 जून को होने वाली महापंचायत से पहले दुकानें खाली करने को कहा गया है.
हाल में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भू-क़ानून में सख़्ती लाने का बयान खोखला और सियासी जुमलेबाज़ी से ज़्यादा कुछ नहीं लगता. राज्य में बाहरी लोगों की आबादी बढ़ने के पीछे असली मकसद केवल एक ख़ास धर्म विशेष यानी मुस्लिम आबादी के बढ़ने को राजनीतिक मुद्दा बनाना ही है, ताकि इस बहाने वोट मिलता रहे और सत्ता बनी रहे.
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक समूह द्वारा उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह को लिखे पत्र में अप्रैल महीने के 12 दिनों की अवधि में घटी चार घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि सभी घटनाएं हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा मुसलमानों के ख़िलाफ़ अंज़ाम दी गईं. पत्र में ऐसी घटनाओं पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गए हैं.
भाजपा नेता और पौड़ी नगर निगम के अध्यक्ष यशपाल बेनाम की बेटी की शादी एक मुस्लिम युवक से 28 मई को होनी थी. शादी के कार्ड की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद बेनाम को हिंदुत्ववादी संगठनों और भाजपा समर्थकों की आलोचना का सामना करना पड़ा था.
उत्तराखंड के एक छोटे-से क़स्बे नानकमत्ता के एक स्कूल में छात्रों को परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ सिनेमा को एक पढ़ाई के ही एक नए माध्यम के रूप में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
उत्तराखंड में अंग्रेज़ी की किताब में ‘अम्मी-अब्बू’ क्यों? वो भी दूसरी कक्षा की किताब में? बड़ा वाजिब सवाल था और अब भी है, लेकिन इसकी आड़ में उर्दू को निशाना बनाकर धार्मिक आस्था पर हमले की बात कहकर आप सियासी नफ़रत की वही दीवार अपने आंगन में भी खड़ी कर रहे हैं, जिसको हमारी सियासत अक्सर मज़बूत करने को तत्पर रहती है.
अवैध मज़ारों को ध्वस्त करने की बात कहते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि ये नया उत्तराखंड है, यहां अतिक्रमण करना तो दूर इसके बारे में अब कोई सोचे भी ना. साथ ही उन्होंने कहा कि वह कुछ ही महीनों के बाद प्रदेश में समान नागरिक संहिता का क़ानून भी लागू करेंगे.
देहरादून के डीएम के समक्ष दूसरी कक्षा के एक छात्र के अभिभावकों ने अपनी शिकायत में कहा है कि उनके बेटे ने स्कूल की एक किताब में माता-पिता के लिए उर्दू शब्द पढ़ने के बाद उन्हें 'अम्मी और अब्बू' कहा. उन्होंने किताब में इन शब्दों के इस्तेमाल को 'धार्मिक आस्था पर हमला' बताते हुए किताब बैन करने की मांग की है.
अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 12 राज्यों में लाए गए धर्मांतरण विरोधी क़ानून धर्म या आस्था की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत मिले संरक्षण का उल्लंघन हैं.
उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीखों की घोषणा के साथ ही जेपी और मारवाड़ी के बीच जोशीमठ के पास बद्रीनाथ राजमार्ग के साथ सड़क के एक हिस्से पर दरारें पाई गई हैं. चमोली के डीएम ने बताया कि सीमा सड़क संगठन को दरारों का परीक्षण करने और सुरक्षात्मक उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं.
भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक को लेकर युवाओं के प्रदर्शन के बीच उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद क़ानून बन गया है. इसके तहत भर्ती परीक्षाओं में प्रश्नपत्र छपने से लेकर नतीजों में कदाचार के लिए अधिकतम आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.
पिछले साल राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होने का ख़ुलासा होने के बाद से उत्तराखंड में एक के बाद एक कई भर्तियों में अनियमितताएं सामने आई हैं जिसके कारण उन्हें रद्द करना पड़ा. इसके ख़िलाफ़ देहरादून में बेरोज़गार युवाओं के समूह प्रदर्शन कर रहे हैं.
बीते वर्ष उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले के एक रिज़ॉर्ट में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी का शव ऋषिकेश के पास एक नहर से मिला था. आरोप है कि रिज़ॉर्ट के मालिक और स्थानीय भाजपा नेता के बेटे ने अंकिता पर वीआईपी मेहमान को 'विशेष सेवाएं' देने का दबाव बनाया था, जिससे मना करने पर उनकी हत्या कर दी गई.
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक अमिताव घोष ने कहा कि जब जलवायु परिवर्तन असर दिखा रहा है, मानव हस्तक्षेप आपदा को और बढ़ा रहे हैं. जैसा कि जोशीमठ में हुआ. केदारनाथ और बद्रीनाथ की तीर्थ यात्रा पर जाने का पूरा मतलब यह है कि यह कठिन है. लोगों के वहां जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था करने का कोई मतलब नहीं है. जहां एक ओर पर्यावरण की रक्षा को लेकर बैठकें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर खनन के लिए
जोशीमठ शहर में भूमि धंसाव से प्रभावित लोगों के लिए चल रहे राहत कार्य के बीच अनुसूचित जाति के कुछ रहवासियों ने जाति के कारण उपेक्षा किए जाने की शिकायत की है. उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग का कहना है कि वे इसकी जांच करेंगे और आरोप सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.