कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने पिछली भाजपा शासन में किए संशोधनों को ‘पाठ्यक्रम के भगवाकरण’ को सुधारने का प्रयास बताते हुए स्कूलों में कक्षा 6 से 10 तक कन्नड और सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन को मंज़ूरी दी है. सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून में पारित संशोधनों को भी रद्द करने की योजना पर काम कर रही है.
वीडियो: वीडी सावरकर भारतीय इतिहास में बहस और विवाद का विषय रहे हैं. कुछ उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं, तो कुछ अन्य उन्हें संदेह की दृष्टि से देखते हैं. पत्रकार निरंजन टाकले ने सावरकर पर अध्ययन किया है और उनका मानना है कि सावरकर की आलोचना करना ही देशहित में है.
बीते दिनों संस्कृति मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर देश में कोई संग्रहालय नहीं है. इस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र चंद्र कुमार बोस ने कहा कि क्या ब्रिटिश सरकार से दया की गुहार लगाने वाला शख़्स किसी सम्मान या संग्रहालय का हक़दार है.
गांधी की हत्या पर नागार्जुन की लिखी कविता 'तर्पण' में गोडसे को जिन्होंने तैयार किया था, वे कवि की निगाह से छिप नहीं सके. गोडसे अकेला न था. वह उन स्वार्थों का प्रहरी था जिन्हें गांधी की राजनीति से ख़तरा था. वे कौन-से स्थिर स्वार्थ थे जो गांधी को रास्ते से हटाना चाहते थे?
भाजपा शासित कर्नाटक विधानसभा में कई महापुरुषों की तस्वीरों के साथ हिंदुत्ववादी विचारक वीडी सावरकर की तस्वीर लगाई गई है, जिसके विरोध में विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने कहा कि सावरकर न तो कर्नाटक से संबंधित हैं और न ही भारतीय राजनीति से. वह एक विवादास्पद शख़्सियत हैं.
'माफ़ीवीर' कहकर सावरकर की खिल्ली उड़ाने की जगह सावरकरवाद के आशय पर बात करना हमारे लिए आवश्यक है. अगर वह कामयाब हुआ तो हम सब चुनाव के ज़रिये राजा चुनते रहेंगे और आज्ञाकारी प्रजा की तरह उसका हर आदेश मानना होगा.
संघ की स्वतंत्रतापूर्व भूमिकाओं की याद दिलाते रहना पर्याप्त नहीं है- उसके उन कृत्यों की पोल खोलना भी ज़रूरी है, जो उसने तथाकथित प्राचीन हिंदू गौरव के नाम पर आज़ादी के साझा संघर्ष से अर्जित और संविधान द्वारा अंगीकृत समता, बहुलता व बंधुत्व के मूल्यों को अपने कुटिल मंसूबे से बदलने के लिए बीते 75 वर्षों में किए हैं.
स्वतंत्रता संग्राम के समय मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा दोनों ही कांग्रेस को अपने मुख्य दुश्मन के तौर पर देखते थे और अंग्रेज़ों के साथ दोस्ती करने के लिए तैयार थे- वे साथ ही साथ राष्ट्रवादी होने का दावा भी करते थे. हालांकि, एक मुस्लिम राष्ट्रवाद को आगे बढ़ा रहा था और दूसरा हिंदू राष्ट्रवाद को.
कर्नाटक में कक्षा 8वीं की कन्नड़ पाठ्य-पुस्तक के एक खंड में वीडी सावरकर का महिमामंडन करते हुए लिखा गया है कि वे जेल के जिस कमरे में बंद थे, वहां एक छोटा सा भी छेद नहीं था, लेकिन कहीं से एक बुलबुल आ जाती थी, जिसके पंखों पर सवार होकर सावरकर हर दिन अपनी मातृभूमि का दौरा करने जाते थे.
मलप्पुरम ज़िले के एक सरकारी स्कूल में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में एक छात्र द्वारा कथित तौर पर वीडी सावरकर की वेशभूषा में भाग लेने पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला और बच्चे को सावरकर की वेशभूषा में तैयार करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की.
शिवमोगा ज़िले में स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर एक समूह द्वारा एक चौराहे पर हिंदुत्व नेता वीडी सावरकर का फ्लेक्स लगाने पर दूसरे समूह ने आपत्ति जताई. ये समूह टीपू सुल्तान का फ्लेक्स लगाना चाहता था, जिसे लेकर दोनों गुटों में झड़प हुई. पुलिस ने बताया कि क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात है और शहर में निषेधाज्ञा लगाई गई है.
वीडियो: बीते दिनों गांधी स्मृति और दर्शन समिति की हिंदी में प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ‘अंतिम जन’ ने हिंदुत्व नेता वीडी सावरकर पर विशेषांक प्रकाशित किया था, जिसकी गांधीवादियों ने आलोचना की थी. इस बारे में लेखक और वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र झा से अजॉय आशीर्वाद की बातचीत.
गांधी स्मृति और दर्शन समिति की हिंदी में प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका 'अंतिम जन' के हिंदुत्व नेता वीडी सावरकर पर निकाले गए विशेषांक की गांधीवादियों ने आलोचना की है. महात्मा गांधी के परपौत्र तुषार गांधी का कहना है कि यह गांधीवादी विचारधारा को भ्रष्ट करने की सुनियोजित रणनीति है.
हरियाणा के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा तैयार कक्षा 9 की इतिहास की एक नई किताब में विभाजन के लिए कांग्रेस को दोषी बताते हुए आरएसएस और इसके संस्थापकों के ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ को सराहा गया है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुडा का कहना है कि यह भाजपा द्वारा शिक्षा के ‘राजनीतिकरण’ का स्पष्ट प्रयास है.
प्रासंगिक: भारत छोड़ो आंदोलन में सहभागिता के चलते गिरफ़्तार की गईं कस्तूरबा ने हिरासत में दो बार हृदयाघात झेला और कई माह बिस्तर पर पड़े रहने के बाद 22 फरवरी 1944 को उनका निधन हो गया. सुभाष चंद्र बोस ने इस ‘निर्मम हत्या के लिए’ ब्रिटिश सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि ‘कस्तूरबा एक शहीद की मौत मरी हैं.’