एल्गार परिषद केस: 5 साल बाद वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली

जनवरी 2018 में पुणे पुलिस द्वारा दर्ज किए गए और 2020 में एनआईए को सौंप दिए गए एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को ज़मानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ उपलब्ध सबूत उन्हें लगातार हिरासत में रखने का आधार नहीं हो सकते हैं.

भीमा कोरेगांव आरोपियों के वकील ने कहा- 5 साल बाद भी सबूतों की 60% प्रतियां उन्हें नहीं दी गईं

भीमा-कोरेगांव और एल्गार परिषद मामले में कुछ आरोपियों की पैरवी कर रहे वकील ने कहा है कि अदालत ने मई 2022 में आरोपियों को उनके ख़िलाफ़ जुटाए गए सबूतों की सभी क्लोन कॉपी प्रदान करने का निर्देश एनआईए को दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी केवल 40 फीसदी कॉपी ही साझा की गई हैं.

एल्गार परिषद मामला: आरोपी कार्यकर्ता वर्णन गोंजाल्विस डेंगू से पीड़ित, अस्पताल में भर्ती

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता 65 वर्षीय वर्णन गोंजाल्विस के वकील ने बताया कि वह लगभग 10 दिनों से बीमार हैं. हालांकि तलोजा केंद्रीय जेल के कर्मचारी उन्हें केवल दवा देते रहे और उचित इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया था.

एल्गार परिषद मामला: 16 आरोपियों में से एक की मौत, दो ज़मानत पर रिहा, 13 अब भी जेल में बंद

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. मामले के एक आरोपी फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत के दौरान पिछले साल मुंबई के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी, जबकि तेलुगू कवि वरवरा राव चिकित्सकीय ज़मानत पर जेल से बाहर हैं. सुधा भारद्वाज को भी नियमित ज़मानत पर रिहा किया गया है. 13 अन्य आरोपी विभिन्न जेलों में बंद हैं.

एल्गार परिषद मामला: डिफॉल्ट ज़मानत की मांग वाली वरवरा राव और दो अन्य की याचिका ख़ारिज

एल्गार परिषद मामले के आरोपियों- वरवरा राव, अरुण फरेरा और वर्नोन गॉन्जाल्विस द्वारा दायर याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया गया था, जिसमें उन्हें डिफॉल्ट ज़मानत देने से इनकार किया गया था.

प्रधानमंत्री मोदी से एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं को ज़मानत देने की अपील

इस पत्र में कहा गया कि साइबर हमलों और भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में साक्ष्यों को प्लांट करने के संबंध में खुलासे को देखते हुए गिरफ़्तार किए गए इन कार्यकर्ताओं को कम से कम ज़मानत दी जानी चाहिए. एल्गार परिषद मामले में अब तक 16 कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. इनमें से एक फादर स्टेन स्वामी की कोरोना की वजह से हिरासत में ही मौत हो गई थी.

एल्गार परिषद मामला: आठ आरोपियों ने ज़मानत से इनकार के आदेश में सुधार का अदालत से किया अनुरोध

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते एक दिसंबर को वकील एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को तकनीकी ख़ामी के आधार पर ज़मानत दे दी थी और आठ अन्य आरोपियों की इसी आधार पर ज़मानत की अर्जी खारिज़ कर दी थी. आरोपियों ने दावा किया है कि उन्हें ज़मानत से इनकार करने का आदेश ‘तथ्यात्मक त्रुटि’ पर आधारित है.

एल्गार परिषदः डिफॉल्ट ज़मानत के लिए आठ कार्यकर्ताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख़ किया

एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एक सम्मेलन में कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषणों से संबंधित है. पुलिस का दावा है कि सम्मेलन के अगले दिन पुणे के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी. एनआईए ने इस महीने की शुरुआत में अदालत के समक्ष कहा था कि आरोपी देश के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ना चाहते थे.

एल्गार परिषद मामले के आरोपी देश के ख़िलाफ़ जंग छेड़ना चाहते थे: एनआईए का मसौदा आरोप

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद और माओवादियों के बीच संबंधों से जुड़े मामले में एक विशेष अदालत में मसौदा आरोप पेश किया है. मामले में शुरुआती जांच करने वाली पुणे पुलिस ने अपने प्रस्तावित मसौदा आरोपों में कहा था कि हथियार ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या’ की साज़िश से जुड़े थे, जबकि एनआईए ने प्रधानमंत्री का उल्लेख नहीं किया है.

एल्गार परिषद: आनंद तेलतुम्बड़े की पत्नी ने जेल अधिकारी पर उनका पत्र रोकने का आरोप लगाया

कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े की पत्नी और वर्नोन गोन्जाल्विस की पत्नी ने जेल अधिकारियों द्वारा उनके ख़िलाफ़ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख़ किया है. उनका आरोप है कि तलोजा जेल अधीक्षक ने एकतरफ़ा और तानाशाही रुख़ अपनाते हुए प्रो. तेलतुम्बड़े और एल्गार परिषद मामले में सभी आरोपियों पर प्रतिबंध लगा दिया. इन सभी कार्यकर्ताओं द्वारा अपने परिवार के सदस्यों और वकीलों को लिखे गए पत्र रोक दिए गए हैं.

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारत सरकार को लिखा, भीमा कोरेगांव मामले के बंदियों को फ़ौरन रिहा करें

शिक्षाविदों, यूरोपीय संघ के सांसदों, नोबेल पुरस्कार विजेताओं और अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारतीय जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की दयनीय स्थिति और उचित मेडिकल देखरेख न होने पर चिंता जताते हुए कहा है कि उन्हें कोरोना वायरस के नए और अधिक घातक स्ट्रेन से संक्रमित होने का गंभीर ख़तरा है.

सामाजिक कार्यकर्ता जितने दिन जेल में रहेंगे, भारतीय जनतंत्र की आयु उसी अनुपात में घटती जाएगी

जेल में बंद वरवरा राव शुक्रवार शाम बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. महामारी के दौर में भी अदालत ने उन्हें वे रियायत देने की ज़रूरत नहीं समझी है, जो अन्य बुज़ुर्ग क़ैदियों को दी जाती हैं.

मुंबई जेल में बेहोश होने के बाद कार्यकर्ता और कवि वरवरा राव अस्पताल में भर्ती

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार राजनीतिक कार्यकर्ता और कवि वरवरा राव अगस्त, 2018 से जेल में बंद हैं. मामले की एक अन्य आरोपी सुधा भारद्वाज की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है.

तेलतुम्बड़े, नवलखा के सरेंडर को लेकर सीजेआई को पत्र लिख कार्यकर्ताओं ने कहा- ये बेहद अमानवीय

सीजेआई एसए बोबडे को लिखे पत्र में इतिहासकार रोमिला थापर और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमें इस बात की पीड़ा है कि हमारी अदालतों ने उन लोगों को निरंतर कारावास की सज़ा दी है, जिन्होंने बे-आवाज़ और हाशिये के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने की हिम्मत की है.

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