पीपुल्स एसोसिएशन इन ग्रासरूट्स एक्शन एंड मूवमेंट्स और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स द्वारा किए अध्ययन में पाया गया कि गिग वर्क भी सामाजिक असमानताओं से प्रभावित है. जहां अनारक्षित श्रेणी के केवल 16% ड्राइवर 14 घंटे से अधिक काम करते हैं, वहीं ऐसा करने वाले एससी-एसटी ड्राइवर 60% हैं.
बीते 21 अप्रैल को तमिलनाडु विधानसभा ने कारखाना (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया था जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए थे. अब मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि कई श्रमिक संगठनों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बाद विवादास्पद अधिनियम को वापस ले लिया गया है.
तमिलनाडु विधानसभा से पारित कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन करने वाले विधेयक में दैनिक कार्य के घंटों को 8 से बढ़ाकर 12 कर दिया गया है. हालांकि, राज्य के श्रम मंत्री का कहना है कि इसका वर्तमान 48 घंटे के कार्य-सप्ताह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसे केवल उन जगहों पर लागू किया जाएगा, जहां श्रमिक इसे पसंद करते हों.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, फॉक्सकॉन और ऐप्पल सहित भारतीय उद्योग लॉबी समूहों और विदेशी कंपनियों के ‘बहुत सारे इनपुट’ के बाद कर्नाटक सरकार ने अपने श्रम क़ानून में संशोधन किया है. संशोधन करने से पहले किसी भी श्रमिक समूह या ट्रेड यूनियन से परामर्श किया गया था या नहीं, इसका कोई उल्लेख नहीं है.
महाराष्ट्र पुलिस ने अपनी महिला कॉन्स्टेबलों के कामकाजी समय को 12 से घटाकर आठ घंटे कर दिया है. एक अधिकारी ने कहा कि यह पहल पिछले महीने नागपुर, अमरावती, पुणे और नवी मुंबई में प्रायोगिक तौर पर लागू की गई थी और आने वाले दिनों में इसे अन्य शहरों और ज़िलों में भी प्रभावी किया जाएगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकतम कार्यदिवस को बढ़ाने से कामगारों पर विपरित प्रभाव पड़ सकता है. आशंका है कि अगर यह प्रस्ताव नियोक्ताओं को तीन पालियों के स्थान पर दो पालियों में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा तो रोजगार की संख्या में भी गिरावट हो सकती है.
दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक को लिखे पत्र में नर्स यूनियन ने अस्पताल के कोविड-19 क्षेत्रों में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के साथ चार घंटे की समान पाली, कोविड-19 और ग़ैर कोविड-19 क्षेत्रों के बीच समान रोटेशन नीति लागू करने समेत कई मांगें रखी हैं.