हरिद्वार धर्म संसद मामले में पिछले महीने गिरफ़्तार कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने जेल से रिहा होने के बाद कहा कि जितेंद्र नारायण त्यागी के बिना उनकी रिहाई का कोई मतलब नहीं है और उनकी रिहाई के लिए वह भूख हड़ताल फिर शुरू करने जा रहे हैं. जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी इस मामले के सह-अभियुक्त हैं.
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में हरिद्वार की एक अदालत ने दिसंबर 2021 में शहर में आयोजित हुए विवादास्पद धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने और उनके नरसंहार का आह्वान करने के मामले में यति नरसिंहानंद को ज़मानत दे दी थी.
बीते साल दिसंबर में उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ खुलकर नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था. कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद इस धर्म संसद के आयोजकों में से एक थे. उन्होंने भड़काऊ बयानबाज़ी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक दल ने अमरोहा, मुरादाबाद और रामपुर ज़िले में भाजपा के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से अभियान चलाया है. मंच की ओर से कहा गया कि संघ या सरकार का ऐसे धर्म संसद से कोई नाता नहीं है और संगठन इसका समर्थन नहीं करता तथा धर्म संसद में दिए गए बयानों की निंदा करता है.
उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद' में नफ़रत भरे भाषण देने के मामले में पुलिस ने कुछ माह पूर्व हिंदू धर्म अपनाने वाले वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी को गिरफ़्तार किया है. वहीं, यति नरसिंहानंद और साध्वी अन्नपूर्णा को आईपीसी की धारा 14 के तहत पेश होने के नोटिस भेजे गए हैं.
उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि जब धर्माचार्यों की बात करो, तो धर्माचार्य केवल हिंदू धर्माचार्य नहीं होते हैं, मुस्लिम भी होते हैं और ईसाई भी? और कौन-कौन क्या बातें कर रहा है, उन बातों को एकत्र करके सवाल करिए. हर सवाल का जवाब दूंगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों हरिद्वार और दिल्ली में हुए ‘धर्म संसद’ में कथित रूप से मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने और उनके नरसंहार का आह्वान करने वालों पर कार्रवाई करने का निर्देश देने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है. अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भविष्य में इसी तरह के कार्यक्रमों को लेकर अपनी चिंताओं के संबंध में प्रतिवेदन स्थानीय प्राधिकरण को देने की भी अनुमति दी.
उत्तराखंड के विपक्षी नेताओं, सौ से अधिक पूर्व सेना, पुलिस और प्रशासनिक अफसरों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) गुरमीत सिंह को एक ज्ञापन भेजकर उनसे 'राज्य में हो रही हिंसक गतिविधियों और देश विरोधी कार्यों' पर रोक लगाने की गुज़ारिश की है.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा दायर याचिका में बीते दिसंबर महीने में हरिद्वार में हुए ‘धर्म संसद’ के दौरान मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषणों की एक विशेष जांच दल द्वारा स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है.
विभिन्न वैश्विक संगठनों के एक समूह द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि पिछले महीने हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर भड़काऊ भाषणों पर दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड, फिनलैंड और न्यूज़ीलैंड में प्रवासी समूहों ने अपना रोष जताया है.
बीते दिसंबर महीने में हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में कथित तौर मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरे बयान देने के अलावा उनके नरसंहार का आह्वान किया था. इस मामले में कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद समेत कई अन्य लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर मामले की एसआईटी जांच के आदेश दिए गए हैं. इस बीच यूपी के अलीगढ़ में प्रस्तावित ‘धर्म संसद’ पर रोक लगाने की मांग की गई है.
दूसरी एफ़आईआर में धर्म संसद के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी पूर्व नाम वसीम रिज़वी, सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामज़द किया गया है. 17-19 दिसंबर 2021 को हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में कथित तौर पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा और उनके नरसंहार का आह्वान किया गया था.
उत्तराखंड पुलिस ने बताया कि मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच टीम गठित की गई है. उन्होंने कहा कि अगर जांच में पुख़्ता सबूत मिलते हैं, तो मामले में गिरफ़्तारी होगी. हरिद्वार में बीते दिनों एक ‘धर्म संसद’ में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण दिए गए और उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था.
बीते महीने हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में कथित तौर पर मुस्लिमों का नरसंहार करने के आह्वान को लेकर दर्ज मामले में कट्टरवादी हिंदू धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया है. इससे पहले जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिज़वी), स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम एफ़आईआर में दर्ज हैं.
यति नरसिंहानंद ने बताया है कि तथाकथित धर्म संसदें हर छह माह पर आयोजित की जाती रही हैं. तो फिर आगामी एक माह में तीन 'धर्म संसदें' आयोजित करने के पीछे क्या रहस्य है, वो भी दो बार उस उत्तर प्रदेश में, जहां विधानसभा चुनाव आसन्न हैं?