मप्र में किसानों पर फायरिंग, 6 की मौत, गोली किसने चलाई सरकार को नहीं पता

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में एक जून से किसान फ़सलों के उचित मूल्य और क़र्ज़ माफ़ी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. मंगलवार को उग्र हुए किसानों पर फायरिंग हुई.

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फोटो: एएनआई

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में एक जून से किसान फ़सलों के उचित मूल्य और क़र्ज़ माफ़ी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. मंगलवार को उग्र हुए किसानों पर फायरिंग हुई.

फोटो: एएनआई
फोटो: एएनआई

मध्य प्रदेश के मंदसौर में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान हिंसा भड़क उठी. हिंसा पर नियंत्रण के लिए पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में 6 की मौत हो गई. कई लोगों के घायल होने की ख़बर है. संवेदनशील इलाक़ों में प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है.

हालांकि, फ़िलहाल अलग अलग अख़बारों की वेबसाइट अलग अलग संख्या बता रही हैं. कुछ ने तीन, तो कुछ ने 4-6 मौतों की ख़बर दी है. नई दुनिया अख़बार के मुताबिक, ‘ज़िले के दलौदा में किसानों ने फिर उग्र प्रदर्शन किया, प्रदर्शनकारियों ने दो बसों और एक टेम्पो में तोड़फोड कर आग लगा दी. इस दौरान हुई फायरिंग में 6 किसानों की मौत हो गई और एक घायल है. किसानों ने पुलिस पर फायरिंग का आरोप लगाया है.’

स्थानीय अख़बार पत्रिका की ख़बर के मुताबिक, आंदोलन समर्थकों, पुलिस, सीआरपीएफ व विशेष बल के बीच हिंसात्मक झड़प हुई. किसानों को रोकने के लिए फायरिंग की गई, जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य घायल हुए हैं. कलेक्टर का कहना है कि पुलिस या सीआरपीएफ की फायरिंग में किसानों की मौत नहीं हुई है.’ न्यूज़ एजेंसी एएनआई के भी मुताबिक, फायरिंग में पांच की मौत हुई है.

दैनिक भास्कर के मुताबिक, ‘मंदसौर में आंदोलनकारियों ने 8 ट्रक और 2 बाइक को आग के हवाले कर दिया. पुलिस और सीआरपीएफ पर पथराव भी किया. हालत पर काबू पाने के लिए सीआरपीएफ की फायरिंग में 6 लोगों की मौत हो गई. ये साफ़ नहीं है कि किसकी फायरिंग में इन किसानों की मौत हुई. गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस या सीआरपीएफ की तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई.’

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न्यायिक जांच का आदेश दिया है और मृतकों के परिजनों को दस-दस लाख का मुआवज़ा देने की घोषणा की है. इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि ‘सरकार हमारे देश के किसानों से युद्ध लड़ रही है.’

ज़िला कलेक्टर ने तीन मृतकों की पहचान करते हुए समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि मरने वालों की पहचान मंदसौर के रहने वाले कन्हैयालाल पाटीदार, बबलू पाटीदार और प्रेम सिंह पाटीदार के तौर पर की गयी है. घायलों को ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

प्रशासन को नहीं मालूम गोली किसने चलाई

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी बयान दिया कि पुलिस या सीआरपीएफ की तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई.

मृतकों पर गोली कैसी चली, प्रशासन इससे पल्ला झाड़ता दिख रहा है. कलेक्टर ने बताया कि पुलिस को आंदोलन कर रहे किसानों पर किसी भी स्थिति में गोली नहीं चलाने के आदेश दिए गए थे. पुलिस ने न तो गोली चलाई और न ही गोली चलाने के आदेश दिए. तीन लोगों की मौत की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं. मृतकों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई जा रही है, इसके बाद ही उनकी मौत का सही कारण मालूम हो सकेगा.

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में किसान आंदोलन हिंसक होने के कारण प्रशासन ने पिपल्या मंडी पुलिस थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया. इसके साथ ही ज़िले के अन्य इलाक़ों में निषेधात्मक आदेश लागू किया गया है.

मंदसौर ज़िला कलेक्टर ने कहा, ज़िले के पिपल्यामंडी पुलिस थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया गया है तथा ज़िले के शेष पुलिस थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई है.

भाषा ने ख़बर दी है कि कुछ ख़बरों में कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन में हिंसा होने से 3 किसानों की मौत हो गई है, लेकिन प्रशासन ने ऐसी किसी जानकारी से इनकार किया है.

कृषि उत्पादों के उचित मूल्य और अन्य मांगों को लेकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसान बीते एक जून से पश्चिमी मध्य प्रदेश में आंदोलन कर रहे हैं. एक जून से प्रदर्शन शुरू करने के बाद से ही दोनों प्रदशों के किसानों ने दूध, सब्ज़ी, फ़ल और अनाज की आपूर्ति पूरी तरह रोक दी है, जिसका आम जनजीवन और कारोबार पर काफ़ी असर पड़ा है.

इंदौर में भी पथराव

एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार किसानों ने पिपल्यामंडी के पार्श्वनाथ इलाके में पथराव करने के बाद 10 वाहनों को आग लगा दी और किसान बेहद उग्र हो गए. इसके बाद वहां तीन लोगों की मौत हो गई.

इंदौर में किसानों द्वारा निकाले गए शांति मार्च में शामिल लोगों ने पुलिस बल पर हल्का पथराव किया. पुलिस ने लाठीचार्ज कर इन लोगों को खदेड़ा.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि किसानों के शांति मार्च में शामिल लोगों ने चोइथराम चौराहा स्थित देवी अहिल्याबाई फल-सब्जी मंडी के सामने बड़ी संख्या में तैनात पुलिस बल पर अचानक पथराव कर दिया. इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर हल्का बल प्रयोग किया.

महाराष्ट्र के शोलापुर में रोड जाम करते आंदोलनरत किसान. (फोटो: पीटीआई)
महाराष्ट्र के शोलापुर में रोड जाम करते आंदोलनरत किसान. (फोटो: पीटीआई)

चौहान के इस्तीफ़े की मांग

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक अजय सिंह ने इस घटना पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस्तीफ़े की मांग करते हुए कहा कि यह घटना मुख्यमंत्री के लिए शर्मनाक है क्योंकि वह स्वयं को किसान का बेटा होने का दावा करते हैं.

उन्होंने कहा, किसानों के लिए किए जा रहे मुख्यमंत्री के सभी दावे झूठे हैं. प्रदेश सरकार अब किसानों की आवाज़ दबाने के लिये गोलियां का प्रयोग कर रही है. मुख्यमंत्री चौहान को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.

मंदसौर में लोगों की मौत की घटना की जांच के लिए कांग्रेस ने अपने विधायकों की एक जांच समिति गठित की है. सिंह के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव कल मंदसौर में पीडि़तों के परिजन से मुलाकात करेंगे.

मध्य प्रदेश बंद का आह्वान

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 7 जून को घटना के विरोध में मध्य प्रदेश बंद का आह्वान किया है.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों की समस्याओं का बातचीत से हल निकालने के बजाय इससे निपटने के लिए गोलियों का रास्ता अपनाया. उन्होंने कहा, प्रदेश के इतिहास में आज काला दिन है. यह शर्मनाक है कि प्रदेश सरकार किसानों आंदोलन का बलपूर्वक दमन कर रही है जबकि किसानों की मांगे जायज हैं.

भाजपा सरकार ने कई बार हमारा भरोसा तोड़ा है

पांच जून को किसानों ने मध्य प्रदेश सरकार पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाया था. राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ (आरकेएमएस) ने कहा कि वह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 10 जून तक सूबे में किसानों का आंदोलन जारी रखेगा. आरकेएमएस की इस घोषणा के बाद 10 दिवसीय आंदोलन को लेकर किसान संगठनों की फूट पड़ गई है.

आरकेएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ने कहा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चार जून की शाम उज्जैन में कुछ आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ बातचीत में जो आश्वासन दिया है, हम उससे कतई संतुष्ट नहीं हैं. इसलिए हम अपना आंदोलन 10 जून तक जारी रखेंगे.

65 वर्षीय किसान नेता ने कहा, पिछले 14 साल में प्रदेश की भाजपा सरकार ने हमारा भरोसा कई बार तोड़ा है. इस सरकार की नीयत भरोसे के क़ाबिल ही नहीं है. मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडे़ भारतीय किसान संघ (बीकेएस) और मध्य प्रदेश किसान सेना ने चार जून की रात किसान आंदोलन वापस लेने की घोषणा की. लेकिन आरकेएमएस और कुछ अन्य किसान संगठन 10 जून तक आंदोलन पर अडिग हैं.

आरकेएमएस प्रमुख ने आरोप लगाया, बीकेएस के साथ मिलकर प्रदेश सरकार और भाजपा संगठन ने किसानों के पवित्र आंदोलन को पंचर करने की साज़िश रची. आंदोलन को लेकर किसानों में भ्रम फैलाया गया.

एक जून से फ़सलों के उचित दाम मिलने और किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने जैसे मुद्दों पर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे हैं. तीन जून को दोनों राज्यों में यह आंदोलन हिंसक हो गया था.

महाराष्ट्र में भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने किसान संगठनों से मिलकर क़र्ज़ माफ़ करने की घोषणा की, लेकिन किसानों का एक वर्ग इससे संतुष्ट नहीं हुआ और आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया.

(समाचार एजेंसियों से इनपुट के साथ)

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