आफ़स्पा हटाए जाने की मांग के बीच केंद्र सरकार ने नगालैंड में इसकी अवधि बढ़ाई

गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नगालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और ख़तरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है. बीते चार और पांच दिसंबर को मोन ज़िले में सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों के मौत के बाद आफ़स्पा को वापस लेने की मांग हो रही है.

/

गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नगालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और ख़तरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है. बीते चार और पांच दिसंबर को मोन ज़िले में सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों के मौत के बाद आफ़स्पा को वापस लेने की मांग हो रही है.

(प्रती​कात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: नगालैंड में इस महीने की शुरुआत में सुरक्षाबलों की गोलीबारी 14 आम नागरिकों की मौत के बाद सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफस्पा) हटाने की मांग के बीच केंद्र ने राज्य की स्थिति को ‘अशांत और खतरनाक’ करार देते हुए इस विवादित कानून के तहत 30 दिसंबर से छह और महीने के लिए पूरे राज्य को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर दिया है.

यह कदम केंद्र सरकार द्वारा नगालैंड से विवादास्पद आफस्पा को वापस लेने की संभावना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन के कुछ दिनों बाद उठाया गया है. आफस्पा नगालैंड में दशकों से लागू है.

गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नगालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और खतरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है.’

अधिसूचना के अनुसार, ‘इसलिए सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (1958 की संख्या 28) की धारा तीन द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 30 दिसंबर, 2021 से छह महीने की अवधि के लिए पूरे नगालैंड राज्य को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करती है.’

अधिसूचना गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल द्वारा जारी की गई, जिन्हें आफस्पा को वापस लेने की संभावना की जांच के लिए गठित समिति में सदस्य सचिव नामित किया गया था. समिति के अध्यक्ष सचिव स्तर के अधिकारी विवेक जोशी हैं.

नगालैंड में 14 आम नागरिकों की हत्या को लेकर बढ़े तनाव को शांत करने के लिए इस उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नगालैंड में इस विवादित कानून की समयसीमा 31 दिसंबर को समाप्त होने वाली थी. आफस्पा किसी भी क्षेत्र में एक बार में केवल छह महीने के लिए लगाया जा सकता है और यदि सरकार आवश्यक समझती है तो इसे और बढ़ाया जा सकता है.

आफस्पा राज्य सरकार, सशस्त्र बलों और केंद्रीय एजेंसियों के साथ उचित परामर्श के बाद एक क्षेत्र से लगाया या हटाया जाता है. मार्च 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मेघालय से आफस्पा हटाने का आदेश दिया था.

अरुणाचल प्रदेश में भी 2018 और 2019 के बीच कई पुलिस स्टेशनों से कानून को रद्द कर दिया गया था. वर्तमान में अरुणाचल में केवल तीन जिले और असम की सीमा वाले चार पुलिस स्टेशन आफस्पा के तहत हैं.

आफस्पा सुरक्षा बलों को बिना किसी पूर्व वारंट के कहीं भी अभियान चलाने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है. पूर्वोत्तर में यह असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर) और असम की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के कुछ जिलों में लागू है.

मालूम हो को कि नगालैंड में गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव को कम करने के मकसद से दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए बीते 26 दिसंबर को केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. यह समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.

बीते चार दिसंबर को सेना की एक टुकड़ी द्वारा मोन जिले में की गई गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद आफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

बीते 19 दिसंबर को नगालैंड विधानसभा ने केंद्र सरकार से पूर्वोत्तर, खास तौर से नगालैंड से आफस्पा हटाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था. प्रस्ताव में ‘मोन जिले के ओटिंग-तिरु गांव में चार दिसंबर को हुई इस दुखद घटना में लोगों की मौत की आलोचना की गई थी.

गौरतलब है कि बीते चार और पांच दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों के मौत के बाद पूर्वोत्तर से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 यानी आफस्पा को वापस लेने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है.

घटना के बाद विभिन्न छात्र संगठन और राजनीतिक दल सेना को विशेष अधिकार देने वाले आफस्पा हटाने की मांग कर रहे हैं.

नगालैंड में हालिया हत्याओं के बाद से राजनेताओं, सरकार प्रमुखों, विचारकों और कार्यकर्ताओं ने एक सुर में आफस्पा को हटाने की मांग उठाई है.

इन्होंने कहा है कि यह कानून सशस्त्र बलों को बेलगाम शक्तियां प्रदान करता है और यह मोन गांव में फायरिंग जैसी घटनाओं के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है.

सेना के कोर्ट ऑफ इंक्वायरी दल ने 4 दिसंबर को हुई गोलीबारी की जगह का दौरा किया

नगालैंड के मोन जिले में 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोधी अभियान 14 आम नागरिकों की मौत के मामले की जांच कर रहे भारतीय सेना के एक दल ने बुधवार को घटनास्थल का दौरा किया और आवश्यक जानकारी एकत्र की.

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा सेना ने नगालैंड सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को ओटिंग गांव में इस अभियान में शामिल सभी सैन्यकर्मियों के बयान लेने की इजाजत देने पर भी सहमति व्यक्त की है.

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी के साथ पूर्ण सहयोग कर रही है और आवश्यक विवरण और समयबद्ध तरीके से हर जरूरी चीज उन्हें प्रदान की जा रही है.

सेना के कोलकाता मुख्यालय वाली पूर्वी कमान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि मेजर जनरल के नेतृत्व में उसके ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ दल ने उन परिस्थितियों को समझने के लिए मौके का मुआयना किया, जिनमें घटना हो सकती थी.

सेना ने कहा कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी तेजी से आगे बढ़ रही है और इसे जल्द से जल्द खत्म करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं.

‘असफल’ अभियान के कारण नगालैंड में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आक्रोश पैदा हुआ और सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (आफस्पा) को हटाने की मांग तेज हुई.

घटना के बाद, सेना ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में तैनात एक मेजर जनरल की अध्यक्षता में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया.

सेना के बयान में कहा गया, ‘मोन में हुई घटना की जांच के लिए भारतीय सेना द्वारा गठित कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ने 29 दिसंबर को ओटिंग गांव में घटनास्थल का दौरा किया. वरिष्ठ रैंक के अधिकारी, एक मेजर जनरल, की अध्यक्षता में जांच दल ने उन परिस्थितियों को समझने के लिए घटनास्थल का निरीक्षण किया जिनमें घटना हो सकती थी.’

बयान में कहा गया कि टीम स्थिति की बेहतर समझ के लिए गवाहों को भी साथ ले गई थी, जिससे यह समझा जा सके कि वहां क्या हुआ होगा.

सेना ने कहा, ‘बाद में घटना से संबंधित बहुमूल्य जानकारी प्राप्त करने के लिए समाज के सभी वर्गों से मिलने के लिए दल दोपहर डेढ़ बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच मोन जिले के तिजिट पुलिस थाने में भी मौजूद था.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq