‘डेटा सेट से नाख़ुश’ मोदी सरकार ने एनएफएचएस तैयार करने वाले संस्थान के निदेशक को सस्पेंड किया

केंद्र सरकार ने इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (एनएफएचएस) के निदेशक केएस जेम्स को भर्ती में अनियमितता का हवाला देते हुए निलंबित कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला आईआईपीएस राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण तैयार करता है.

भीम आर्मी का भविष्य क्या है

चंद्रशेखर आज़ाद द्वारा स्थापित भीम आर्मी लगातार दलितों से जुड़े मुद्दों को उठाने का दावा करती रही है, लेकिन क्या बहुजन समाज को इस पर भरोसा है?

मणिपुर की घटनाएं बार-बार गुजरात दंगों की याद ताज़ा करती क्यों दिख रही हैं

निरपराधों की हत्याएं, स्त्रियों के साथ खुली ज़्यादतियां, अपने ही मुल्क में शरणार्थी बनने को अभिशप्त लोग, क़ानून के रखवालों द्वारा अत्याचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में ढिलाई के आरोप, हिंसा के धार्मिक या सांप्रदायिक होने के स्पष्ट पुट... हम घटनाओं के सिलसिले को दोहराते देख रहे हैं, बीच में बस एक लंबा अंतराल है.

त्रासदियों पर प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया दिखाती है कि मानवीयता उनकी प्राथमिकता नहीं है

हाल ही में मणिपुर में हुई हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं पर उनके बयान में किसी के दुख या पीड़ा को लेकर सहज मानवीय प्रतिक्रिया का अभाव नज़र आता है.

देश में जब भी हिंदुत्ववादी ताक़तवर हुए हैं, महिलाओं के हक़ों की लड़ाई कमज़ोर हुई है

हिंदुत्व के अनुकूलित सुधारक बाल गंगाधर तिलक वर्ण व जाति व्यवस्था को राष्ट्र निर्माण का आधार बताकर उसका बचाव तो किया ही करते थे, वैवाहिक व दांपत्य संबंधों में बालिग या नाबालिग पत्नियों के पूरी तरह अपने पतियों के अधीन रहने के हिमायती भी थे. वे महिलाओं की आधुनिक शिक्षा के विरोधी भी थे.

निषाद वोटों पर दावेदारी के लिए गोरखपुर में एक बार फिर जंग छिड़ी

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में ‘निषाद महाकुंभ’ का आयोजन भाजपा नेता जय प्रकाश निषाद द्वारा किया जा रहा है. इस आयोजन ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल भाजपा और निषाद पार्टी के बीच की खींचतान को एक बार फिर सबके सामने लाकर रख दिया है.

रज़ा का मरणोत्तर कला-जीवन उनके भौतिक जीवन से कहीं बड़ा और लंबा होने जा रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: रज़ा के देहावसान को सात बरस हो गए. इन सात बरसों में उनकी कला की समझ-पहचान और व्याप्ति उनके मातृदेश के अलावा संसार भर में बहुत बढ़ी है. 

समान नागरिक संहिता: गुलिस्तां में कभी भी फूल एकरंगी नहीं होते, कभी हो ही नहीं सकते

जिस सरकार को अरसे से धर्म के नाम पर भेदभावों को बढ़ाने की कोशिशों में मुब्तिला देख रहे हैं, वह उन भेदभावों को ख़त्म करने के नाम पर कोई संहिता लाए तो उसे लेकर संदेह गहराते ही हैं कि वह उसे कैसे लागू करेगी और उससे उसे कैसी समानता चाहिए होगी?

अनंत विजय भले जो कहें, गीता प्रेस और गांधी के रिश्ते कटु थे

'कल्याण' के 1948 के अंक में महात्मा गांधी के गुज़रने पर कोई श्रद्धांजलि प्रकाशित न करने पर दैनिक जागरण के पत्रकार अनंत विजय के तर्क पर लेखक अक्षय मुकुल का जवाब.

मणिपुर: भीड़ द्वारा निर्वस्त्र घुमाई गईं महिलाओं ने कहा- पुलिस मौजूद थी, लेकिन मदद नहीं की

मणिपुर हिंसा से संबंधित ख़ौफ़नाक वीडियो में निर्वस्त्र घुमाई गईं महिलाओं में से एक ने कहा कि उन्होंने चार पुलिसकर्मियों को कार में बैठे देखा था, जो हिंसा होते हुए देख रहे थे. उन्होंने हमारी मदद के लिए कुछ नहीं किया. कुकी समुदाय की इस महिला के पिता और भाई को भीड़ ने मार डाला था. ये घटना 3 मई को भड़की जातीय हिंसा के अगले दिन 4 मई की है.

तीस्ता सीतलवाड़ के केस करने से पहले ही एनएचआरसी और सुप्रीम कोर्ट ने मोदी की छवि ‘ख़राब’ कर दी थी

नरेंद्र मोदी की छवि को ख़राब करने वालीं तीस्ता सीतलवाड़ अकेली नहीं हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारतीय चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र संस्थानों ने भी अतीत में गुजरात हिंसा और मुख्यमंत्री के रूप में मोदी द्वारा चलाई गई सरकार की भूमिका पर कड़ी टिप्पणियां की थीं.

भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी का भ्रम

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन दावा करते हैं कि उनकी हुकूमत का केंद्रीय उसूल ‘लोकतंत्र की रक्षा’ है. यह बात सराहने लायक़ है, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के समय वॉशिंगटन में जो कुछ हुआ वह ठीक इसका उल्टा था. अमेरिकी हुक्मरान जिस शख़्स के आगे बिछे हुए थे, उसने भारतीय लोकतंत्र को बहुत व्यवस्थित तरीक़े से कमज़ोर किया है.

मोदी युग हर क़द के नटवरलालों के लिए ‘अमृतकाल’ साबित हुआ है

बीते कुछ महीनों में ऐसे छोटे-बड़े क़रीब दर्जनभर ठग सामने आए हैं जो पीएमओ या गृह मंत्रालय के नाम पर चूना लगा रहे हैं. यह कुछ नेताओं के इर्द-गिर्द केंद्रित कामकाज की अपारदर्शी शैली का नतीजा है, जिसने सत्ता के धंधेबाजों की तरह-तरह की प्रजातियों के पनपने के लिए मुफ़ीद माहौल तैयार किया है.

क्या भाजपा को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेने का हक़ है?

भाजपा नहीं चाहती कि लोग समझें कि अयोध्या में राम मंदिर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस ज़मीन से जुड़े विवाद के निपटारे के फलस्वरूप बन रहा है. वह समझाना चाहती है कि भाजपा, उसकी सरकारों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उसके आनुषंगिक संगठनों ने जी-जान न लगा रखी होती, तो उसका बनना संभव नहीं होता.

बुद्धि-आधारित समाज बनाना तो दूर, सारी कोशिश बुद्धि व विवेक शून्य समाज बनाने की है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: देश में घृणा, परस्पर अविश्वास, भेदभाव, अन्याय, झूठ, अफ़वाह सभी में अद्भुत विस्तार हुआ है. राजनीति, मीडिया, धर्म, सामाजिक आचरण सभी मर्यादाहीन होने में कोई संकोच नहीं करते. राजनीति की सर्वग्रासिता, सार्वजनिक ओछापन-टुच्चापन लगभग अनिवार्य माने जाने लगे हैं. 

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