2023 में विश्वभर में हुई अधिकांश पत्रकारों की मौत की वजह इज़रायल-गाज़ा संघर्ष रहा: सीपीजे डेटा

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में दुनिया भर में मारे गए 99 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों में से तीन चौथाई से अधिक की मौत इज़रायल-गाजा युद्ध में हुई. इस संघर्ष ने तीन महीनों में इतने पत्रकारों की जान ली, जितनी किसी एक देश में पूरे साल में नहीं हुईं.

प्रबीर पुरकायस्थ-न्यूज़क्लिक के समर्थन में विपक्षी नेता, पत्रकार और नागरिक समाज एकजुट हुए

विदेशी फंडिंग प्राप्त करने के आरोप में बीते छह माह से जेल में बंद न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के समर्थन में एकजुटता व्यक्त करने के लिए राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यकर्म में विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और नागरिक समाज के लोगों ने मोदी सरकार पर असहमति की आवाज़ कुचलने और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाया.

बैन संगठनों द्वारा धन के उपयोग की पुष्टि के बिना यूएपीए में बैंक खाते फ्रीज़ नहीं कर सकते: कोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने यूएपीए के तहत चेन्नई की एक ट्रस्ट के बैंक खाते फ्रीज करने के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि जब तक कि केंद्र सरकार जांच करके इस बात की संतुष्टि न कर ले कि उन खातों में मौजूद धन का इस्तेमाल प्रतिबंधित संगठनों के लिए किया जा रहा है, बैंक खातों को तब तक फ्रीज नहीं किया जा सकता.

जम्मू कश्मीर: केंद्र सरकार ने तहरीक-ए-हुर्रियत को यूएपीए के तहत प्रतिबंधित संगठन घोषित किया

तहरीक-ए-हुर्रियत का नेतृत्व एक समय दिवंगत अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी करते थे, जिनकी जगह मसरत आलम भट ने ली थी. भट की पार्टी मुस्लिम लीग ऑफ जम्मू कश्मीर को भी 27 दिसंबर को प्रतिबंधित कर दिया गया था. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तहरीक-ए-हुर्रियत जम्मू कश्मीर को अलगाव को बढ़ावा देने की गतिविधियों में शामिल है. 

साल 2022 में यूएपीए के तहत 1,005 मामले दर्ज हुए: एनसीआरबी डेटा

ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत साल 2022 में सर्वाधिक 371 मामले जम्मू कश्मीर में दर्ज हुए. इसके बाद इसके तहत मणिपुर में 167, असम में 133 और उत्तर प्रदेश में 101 मामले दर्ज हुए.

स्कॉलर्स-कार्यकर्ताओं पर पीएमएलए की कार्रवाई के ख़िलाफ़ विभिन्न संगठनों ने पत्र लिखा

500 से अधिक नागरिकों, अधिकार कार्यकर्ताओं, महिला समूहों, छात्रों और शिक्षाविदों ने मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए लिखा है कि यूएपीए की तरह ही पीएमएलए के दुरुपयोग के भी मामले बढ़ रहे हैं, ख़ासकर उन लोगों के ख़िलाफ़ जो सरकार और इसकी नीतियों के मुखर आलोचक हैं.

मद्रास हाईकोर्ट ने विकिपीडिया की जानकारी के आधार दिए एनआईए कोर्ट के आदेश को रद्द किया

राज्य के एक मौलवी को कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के फेसबुक पेज को कथित रूप से ब्राउज़ करने और उसकी पोस्ट साझा करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने उन पर यूएपीए के तहत लगे आरोपों को विकिपीडिया पेज पर उक्त संगठन की परिभाषा पर भरोसा करते हुए सही ठहराया था.

2018 से 2020 के बीच यूएपीए के तहत 4,690 लोग गिरफ़्तार हुए, 149 दोषी ठहराए गए: केंद्र

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि 2018 से 2020 के बीच यूएपीए के तहत सर्वाधिक 1,338 गिरफ़्तारियां उत्तर प्रदेश में हुईं. उसके बाद मणिपुर में 943 और जम्मू कश्मीर में 750 लोगों को इस क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया. इनमें से अधिकांश लोग 18-30 वर्ष की उम्र के थे.

यूएपीए से जुड़े सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इसकी क़ानूनी प्रक्रिया ही वास्तव में सज़ा है

राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया है कि ग़ैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत वर्ष 2016 से 2020 के बीच 24,134 लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जिनमें से केवल 212 के ख़िलाफ़ ही दोष सिद्ध हो सके. इसके प्रावधान आरोप झेल रहे लोगों के लिए ज़मानत पाना लगभग असंभव बना देते हैं. परिणामस्वरूप, ज़्यादातर लोग लंबे समय तक जेलों में विचाराधीन क़ैदियों के रूप में पड़े रहते हैं.

आदिवासियों पर लगे ‘माओवादी’ होने के ठप्पे और केस ​हटाए जाएं: झारखंड जनाधिकार महासभा

झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा अगस्त 2021 से जनवरी 2022 के बीच बोकारो ज़िले के गोमिया और नवाडीह प्रखंड के 31 ऐसे आदिवासियों पर सर्वे किया गया जो कि माओवाद संबंधित मामलों में आरोपी हैं. सर्वे में सामने आया कि सालों से विचाराधीन रहने के बाद एक-एक करके पीड़ित आरोप-मुक्त हो रहे हैं, लेकिन केस के कारण पीड़ित परिवार क़र्ज़ में डूब गए हैं और बच्चों की पढ़ाई छूट गई है.

नागपुर: अंडा सेल के पास से सीसीटीवी हटवाने के लिए भूख हड़ताल कर रहे साईबाबा अस्पताल में भर्ती

माओवादी संबंध मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ने 21 मई से भूख हड़ताल शुरू की थी. उनकी मांग थी कि उनकी जेल कोठरी के सामने लगा सीसीटीवी कैमरा हटाया जाए. इसे लेकर उनके परिजनों ने निजता के हनन का हवाला देते हुए महाराष्ट्र के गृहमंत्री को पत्र भी लिखा है.

जम्मू कश्मीर: 2011 में लिखे लेख को लेकर पुलिस ने पीएचडी छात्र को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया

कश्मीर विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र अब्दुल आला फ़ाज़िली ने क़रीब 11 वर्ष पहले 6 नवंबर 2021 को ऑनलाइन पत्रिका ‘द कश्मीर वाला’ में एक लेख लिखा था. पुलिस का कहना है कि वह लेख अत्यधिक भड़काऊ था और जम्मू कश्मीर में अशांति खड़ा करने के इरादे से लिखा गया था. इसका मक़सद आतंकवाद का महिमामंडन करके युवाओं को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित करना था.

प्रेस संगठन ने कश्मीरी पत्रकार की दोबारा गिरफ़्तारी की निंदा की, कहा- पीएसए का दुरुपयोग

कश्मीरी पत्रकार आसिफ़ सुल्तान को आतंकी संगठनों से संबंध के मामले में अदालत ने पांच अप्रैल को यह कहते हुए ज़मानत दी थी कि उन्हें दोषी ठहराने के पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. हालांकि 10 अप्रैल को उन्हें दोबारा गिरफ़्तार कर पीएसए के तहत जेल भेज दिया गया. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स का कहना है कि पत्रकारों को परेशान करने के लिए जन सुरक्षा अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है.

जम्मू कश्मीरः पुलिस के डोज़ियर में पत्रकार फहद शाह पर आईएसआई एजेंडा चलाने का आरोप

समाचार पोर्टल ‘द कश्मीरवाला’ के संपादक फहद शाह को अदालत से तीन बार ज़मानत मिलने के बाद उन पर जनसुरक्षा क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस द्वारा इसके तहत दिए गए डोज़ियर में कहा गया है कि फहद अपने पेशे का दुरुपयोग कर राष्ट्रविरोधी कंटेंट पोस्ट करते हैं. पत्रकारों और कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी गिरफ़्तारी का विरोध किया जा रहा है.

जम्मू कश्मीरः पत्रकार फहद शाह पर एक महीने में दूसरी बार यूएपीए के तहत मामला दर्ज

समाचार पोर्टल ‘द कश्मीरवाला’ के संपादक फहद शाह को एक महीने के भीतर तीसरी बार गिरफ़्तार करने से पहले दो बार ज़मानत मिल गई थी. फहद की बार-बार गिरफ़्तारी और यूएपीए के तहत मामला दर्ज करने का बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है. वैश्विक मीडिया एडवोकेसी समूहों और कार्यकर्ताओं ने उनकी तुरंत रिहाई की मांग की है.