हरिद्वार में बीते दिसंबर महीने में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के अलावा उनके नरसंहार का भी आह्वान किया गया था. यति नरसिंहानंद इसके आयोजक थे. इससे पहले उन्हें महिलाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
देहरादून: उत्तराखंड में हरिद्वार की एक अदालत ने हाल में ‘धर्म संसद’ का आयोजन कराने वाले कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद को रविवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. उन्हें दो अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया गया है.
पहला मामला महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का है और दूसरा मामला ‘धर्म संसद’ में मुसलमानों के खिलाफ नफरती भाषण देने संबंधित है.
हरिद्वार पुलिस थाने के थानाध्यक्ष रकिंदर सिंह कठैत ने बताया कि नरसिंहानंद को रोशनाबाद जेल भेजा गया है. उन्होंने बताया कि आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 295 (ए) और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में डासना मंदिर के मुख्य पुजारी नरसिंहानंद को गंगा तट पर सर्वानंद घाट से बीते 15 जनवरी की रात गिरफ्तार किया गया था, जहां वह धर्म संसद मामले में एक अन्य आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की गिरफ्तारी के विरोध में ‘सत्याग्रह’ कर रहे थे.
हिंदू धर्म ग्रहण करने के बाद अपना नाम बदलकर त्यागी बने रिजवी भी जेल में हैं.
पहले मामले के संबंध में उत्तराखंड पुलिस ने एक सार्वजनिक बयान जारी करके कहा था कि उन्हें महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
द हिंदू के मुताबिक, उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने इस बात की पुष्टि की है कि नरसिंहानंद को धर्म संसद में दिए गए उनके नफरती भाषण के मामले में भी गिरफ्तार किया गया है. धर्म संसद में नरसिंहानंद ने कथित तौर पर मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किया था.
डीजीपी कुमार ने बताया कि धर्म संसद के आयोजकों में से एक नरसिंहानंद का नाम 12 जनवरी को दर्ज एक अलग एफआईआर में भी था, जिसमें उन पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजक और अभद्र टिप्पणी करने के संबंध में आईपीसी की धारा 509 के तहत आरोप दर्ज थे.
उन्होंने बताया कि नरसिंहानंद को सीआरपीसी की धारा 41ए (जिसमें पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है) के तहत 14 जनवरी को नोटिस दिया गया था, जिसमें उनसे कहा गया था कि जब भी पुलिस जांच के लिए बुलाएगी, उन्हें आना होगा.
डीजीपी कुमार ने बताया कि जब नरसिंहानंद ने नोटिस पर ध्यान नहीं दिया तो उन्हें दोनों मामलों- धर्म संसद में नफरत भरे भाषण और महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी, में गिरफ्तार कर लिया गया है.
उन्होंने बताया, ‘हमने कोर्ट से उन्हें न्यायिक हिरासत पर लेने की मांग की थी, जिस पर उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.’
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि नरसिंहानंद को पुलिस हिरासत में लेने की मांग नहीं की गई थी, क्योंकि जांच के इस पड़ाव पर उनकी हिरासत की जरूरत नहीं थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हरिद्वार सिटी सर्किल अधिकारी शेखर सुयल ने बताया कि हाल ही में नरसिंहानंद के खिलाफ रुचिका नामक महिला ने एक शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने एक समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
उन्होंने आगे कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में नरसिंहानंद 4 जनवरी को मीडिया से बात करते हुए ये अपमानजनक टिप्पणी कर रहे थे. बीते 15 जनवरी की गिरफ्तारी मुख्य तौर पर उसी एफआईआर को लेकर हुई थी. हालांकि, जब हमने उन्हें रविवार को अदालत में पेश किया तो हमने उनकी गिरफ्तारी इस मामले के साथ-साथ ‘धर्म संसद’ मामले में भी दिखाई.
बीते 15 जनवरी को सुयल ने यह भी बताया था कि नरसिंहानंद के खिलाफ एक पत्रकार द्वारा भी एफआईआर दर्ज कराई गई है. सुयल के मुताबिक, पत्रकार ने नरसिंहानंद से कुछ कठिन सवाल पूछ लिए, जिसके चलते कहासुनी होने के बाद पत्रकार से कथित तौर पर हाथापाई की गई.
हरिद्वार कोतवाली थाने के एसएचओ रकिंदर सिंह कठैत ने कहा कि रुचिका की शिकायत पर धारा 295ए (जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अनादर करके उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने का इरादा) और 509 (एक महिला की अस्मिता का अपमान करने के इरादे से बोले गए शब्द, इशारे या कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
बता दें कि नरसिंहानंद के खिलाफ महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं. उनके ऊपर सितंबर 2021 के भी तीन मामले लंबित हैं.
वहीं, मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरे भाषण संबंधी मामले की बात करें तो पिछले महीने (दिसंबर 2021) में उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में आयोजित धर्म संसद के आयोजक यति नरसिंहानंद भी थे,जिसमें कई धार्मिक नेताओं ने मुस्लिमों के खिलाफ कथित तौर भड़काऊ भाषण देने के साथ उनके नरसंहार की बात कही थी.
नरसिंहानंद ने स्वयं उस आयोजन में यह घोषणा की थी कि वे ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये ईनाम देंगे.
हरिद्वार धर्म संसद मामले में पुलिस की नाकामी पर जनता के आक्रोश के बाद उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिजवी, जिसे अब जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाना जाता है, को गुरुवार को गिरफ्तार किया था. यह इस मामले में पहली गिरफ्तारी थी.
बहरहाल, हरिद्वार ‘धर्म संसद’ मामले में 15 लोगों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. इस आयोजन का वीडियो वायरल होने पर मचे विवाद के बाद 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.
प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए. पूजा शकुन पांडेय निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.
इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था.
बीती दो जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी.
दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है.