बीते वर्ष अप्रैल में रामनवमी और हनुमान जयंती पर देश के विभिन्न राज्यों में सांप्रदायिक झड़प के मामले देखे गए थे. इस संबंध में ‘सिटीजंस एंड लॉयर्स इनिशिएटिव’ द्वारा द्वारा तैयार एक रिपोर्ट बताती है कि इन घटनाओं में समानताएं पाई गई हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा को अंजाम देने के लिए कैसे धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल किया गया.
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के विश्लेषण से पता चला है कि केंद्र सरकार द्वारा 2021 में कुल 6,096 और 2022 में 6,775 यूआरएल ब्लॉक किए गए, जिसमें सभी तरह के यूआरएल जैसे वेबपेज, वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विशिष्ट पेज आदि शामिल हैं.
तीन वर्ष पहले 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी. अब राष्ट्रीय राजधानी के उसी हिस्से के ब्रह्मपुरी इलाके में ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, जिन पर लिखा है कि सभी हिंदू मकान मालिकों को सूचित किया जाता है कि कोई भी अपना मकान मुसलमानों को नहीं बेचेगा. बेचा तो उसकी रजिस्ट्री नहीं होने दी जाएगी.
पिछले महीने केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाख़िल करते हुए कहा था कि नोटबंदी करने का फैसला आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की विशेष सिफ़ारिश पर लिया गया था. हालांकि आरटीआई के माध्यम से सामने आए निष्कर्ष केंद्र सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में प्रस्तुत किए गए इस हलफ़नामे के विपरीत हैं.
मोदी सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना,2018 में एक संशोधन करते हुए प्रावधान किया है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के चुनावों के वर्ष में बॉन्ड की बिक्री 15 अतिरिक्त दिन और होगी. कई राज्यों में चुनाव से ठीक पहले सरकार के इस क़दम को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.
भारतीय वायुसेना में एयरमैन ‘एक्स’ और ‘वाई’ समूह की भर्ती के लिए जुलाई 2021 में परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन परिणाम अब तक घोषित नहीं किया गया है. इस संबंध में एक उम्मीदवार को सूचना के अधिकार से जानकारी मिली है कि उक्त परीक्षा के लिए 6,34,249 आवेदन प्राप्त हुए थे और परिणाम जारी करने की प्रक्रिया संविदा आधारित ‘अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना’ के मद्देनज़र रोक दी गई है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का हालिया डेटा दिखाता है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दर्ज मामलों में उच्च दोषसिद्धि दर वाले छह राज्यों में कहीं भी भाजपा सत्ता में नहीं है. हालांकि कम दोषसिद्धि दर रिकॉर्ड करने वाले राज्यों में कई भाजपा शासित प्रदेश शामिल हैं.
राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिलने वाले चंदे को लेकर 'अपारदर्शिता' संबंधी चिंताओं के बीच आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश बत्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि हाल में ख़त्म हुए बॉन्ड बिक्री के 21वें चरण तक 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड बिक चुके हैं.
उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने एक अधिकारिक आदेश जारी करते हुए अपने विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, आंगनबाड़ी-मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को निर्देश दिया है कि वे सभी 26 जुलाई को अपने-अपने घरों के पास स्थित शिव मंदिरों में ‘जलाभिषेक’ करें और फोटो ईमेल व वॉट्सऐप ग्रुप में डालें.
पटना में बीते 12 जुलाई को विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित एक जनसुनवाई में राज्य के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए जान गंवाने वाले आरटीआई कार्यकर्ताओं के परिजनों ने शिरकत की. इस दौरान एक प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई कि वह इन मामलों में उचित जांच सुनिश्चित करने के लिए एक न्यायिक आयोग बनाए और क़ानून प्रवर्तक एजेंसियों को समयबद्ध तरीके से जांच पूरी करने का निर्देश दे.
ऐसा बताया जाता है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो मनोज सोनी उनके भाषण लेखकों में से एक थे. नरेंद्र मोदी से नज़दीकी के चलते उन्हें 'छोटे मोदी' भी कहा जाता है. अब यूपीएससी अध्यक्ष के तौर पर उनकी नियुक्ति को विभिन्न आयोगों और केंद्रीय संस्थानों का भगवाकरण किए जाने के रूप में देखा जा रहा है.
मई 2020 में एक व्यक्ति ने आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि क्या लॉकडाउन में सैलून बंद होने से प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों पर उतना ही प्रभाव पड़ा, जितना किसी आम नागरिक पर. सीआईसी ने इसे 'बेतुका' बताते हुए कहा कि यह अधिनियम के प्रावधानों के दुरुपयोग के समान है.
पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द्वारा सूचना के अधिकार के तहत केंद्रीय सूचना आयोग में दिए दो आवेदनों से पता चला है कि कैसे एकाएक उनके करिअर की समाप्ति के बाद से सरकार ने उनकी पिछली सेवा संबंधी पूरी जानकारी को ज़ब्त कर लिया. इसके बाद उनकी पेंशन, चिकित्सा पात्रता और ग्रैच्युटी समेत सभी सेवानिवृत्ति बकाये, यहां तक कि भविष्य निधि भुगतान भी देने से इनकार कर दिया गया.
बीते साल आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने जम्मू कश्मीर पुलिस और उपराज्यपाल के समक्ष दायर आवेदन में कश्मीर पंडितों के ख़िलाफ़ हिंसा, उनके विस्थापन और पुनर्वास संबंधी जानकारी मांगी थी. इसके जवाब में बताया गया है कि हिंसा या हिंसा की धमकियों के चलते घाटी छोड़कर विस्थापित हुए 1.54 लाख लोगों में से 88 फीसदी हिंदू थे लेकिन 1990 के बाद से हुई हिंसा में मरने वाले लोगों में सर्वाधिक अन्य धर्मों के थे.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की फैक्ट फाइंडिंग समिति द्वारा जारी रिपोर्ट बताती है कि अख़बारों की कवरेज की प्रकृति के आधार पर सरकारी विज्ञापन जारी किए जाते हैं. साथ ही केंद्रशासित प्रदेश के पत्रकारों को काम के दौरान सुरक्षाबलों के लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.