विभिन्नों डिजिटल पहलों के बीच सरकार बढ़ते साइबर अपराधों से सुरक्षा देने में विफल क्यों है?

आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से अप्रैल 2024 के बीच भारतीयों ने साइबर अपराधियों के हाथों 1,750 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुक़सान उठाया है और नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर अपराध की क़रीब साढ़े सात लाख शिकायतें दर्ज की गईं.

भारत में उच्च बेरोज़गारी दर ने नौकरी के नाम पर फ़र्ज़ीवाड़े को मुनाफ़े वाला कारोबार बना दिया है

निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में नौकरियों के घटते जाने और कम गुणवत्ता वाले व्यावसायिक कॉलेजों से पास होने वाले छात्रों की भीड़ के कारण फ़र्ज़ी नौकरियों के प्रस्ताव बड़े पैमाने पर और भी अधिक भ्रामक हो गए हैं.

केंद्र ने पराली जलाने पर प्रतिबंध लागू किया, जबकि एमएसपी पर लंबे समय से गतिरोध जारी

केंद्र सरकार ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की सरकारों को निर्देश दिया है कि वे पराली जलाने वाले किसानों की पहचान करें. केंद्र की योजना पराली जलाने वाले किसानों को एमएसपी के लाभ से वंचित करने की है.

दक्षिणी राज्य केंद्र सरकार पर कर हस्तांतरण में कम हिस्सेदारी का आरोप क्यों लगा रहे हैं?

नवीनतम जीएसटी विवाद ने केंद्रीकरण और क्षेत्रीय स्वायत्तता के बीच नाजुक संतुलन को उजागर किया है. कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के राजनीतिक दलों के नेता करों के हस्तांतरण में दक्षिणी राज्यों के साथ कथित अन्याय को लेकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र पर राज्यों के विकास में बाधा डालने का आरोप है.

26/11 की घटनाओं को हमारी स्मृतियों से ओझल नहीं होना चाहिए

भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को मिलने वाले सरकारी समर्थन को लेकर दबाव बनाने के लिए कूटनीतिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है. फिर भी पाकिस्तान की सरकारें लश्कर-ए-तैयबा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में असमर्थ रही हैं.

क्या पाकिस्तान में आम चुनाव हो सकेंगे?

पाकिस्तान में आम चुनाव की मांग ज़ोर पकड़ रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी, सैन्य भागीदारी, आर्थिक अराजकता, बढ़ती महंगाई और देश में गैस और बिजली की भारी कमी के बीच वहां की सरकार ऐसा कर पाएगी?

मलेरिया से निपटने के लिए जेनेटिकली मोडिफाइड मच्छरों का प्रयोग कितना सही है?

कोविड-19 महामारी के बीच भारत के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में तेज़ी देखी गई. आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी में आज आनुवंशिक संशोधन भी शामिल है. जीएम कीड़ों को बढ़ावा देने की मुख्य प्रेरणा उन प्रजातियों की आबादी को नियंत्रित करना है, जो संक्रामक रोगजनकों को ट्रांसमिट करते हैं. हालांकि वैज्ञानिकों के एक वर्ग के अनुसार, यह जोखिम के बिना नहीं आता है.

मणिपुर: स्वदेशी और धार्मिक पहचान का जटिल मिश्रण उत्तर-पूर्व में शांति को चुनौती दे रहा है

उत्तर-पूर्व में जातीय संघर्ष की लंबी सामाजिक और सांस्कृतिक जड़ें हैं. मणिपुर में जारी वर्तमान अराजकता जातीय राजनीतिक आकांक्षाओं से जुड़ी हुई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तर-पूर्व भारत में दशकों पुराने उग्रवादी अलगाववादी आंदोलनों के बीच जातीय विभाजन को मजबूत करने में धर्म ने एक बढ़ती हुई भूमिका निभानी शुरू कर दी है.

चुनाव के समय मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘फ्रीबीज़’ बांटना एक चुनौती बना हुआ है

हाल ही में कल्याणकारी नीतियों की आड़ में नकदी बांटने की प्रथा आम हो गई है, ख़ासकर चुनाव के समय. निष्पक्ष चुनाव कराने में ‘फ्रीबीज़’ बांटने को एक बड़ी चुनौती के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. अगर इस मुद्दे पर काबू नहीं पाया गया तो इससे राज्यों पर वित्तीय बोझ पड़ेगा.

अन्य फसलों की तुलना में दालों की पैदावार लाभ दिखाने में विफल क्यों रही है

भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और आयातक भी. भारत बड़ी मात्रा में दालों और खाद्य तेलों का आयात करता है, जिनका घरेलू स्तर पर आसानी से उत्पादन किया जा सकता है. कम घरेलू उत्पादन के कारण दालों की आयात मात्रा 9.44 प्रतिशत बढ़कर फसल वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 27 लाख टन हो गई, जो 2020-21 में 24.66 लाख टन थी.

क्या केंद्र की सहमति के बिना चलने वाली कोई भी कल्याणकारी योजना ‘फ्रीबीज़’ कही जाएगी

भारतीय मध्यवर्ग अक्सर ग़रीबों को दी जाने वाली मुफ़्त सुविधाओं/कल्याणकारी योजनाओं की आलोचना करता है, लेकिन मुफ़्त सुविधा या फ्रीबी और कल्याणकारी योजनाओं के बीच अंतर तब जटिल हो जाता है जब राजनीतिक दल अपने-अपने हित के हिसाब से व्याख्याएं पेश करते हैं.

जीएसटी के पांच साल: इस जटिल कर व्यवस्था को और आसान बनाने की ज़रूरत है

पिछले पांच वर्षों में जीएसटी क़ानून निश्चित रूप से बदलाव हुए हैं और समय-समय पर संशोधनों के ज़रिये करदाताओं के सामने आने वाले कई मुद्दे स्पष्ट हुए हैं. लेकिन अब भी कई ऐसे मसले बाक़ी हैं जो जीएसटी व्यवस्था के अमल को प्रभावित करते हैं.

मोदी सरकार के आठ साल बाद देश में बेरोज़गारी का हाल कुछ ख़ास बदला नहीं है

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, मई में भारत की बेरोज़गारी दर 7.1% रही. आंकड़े मूल रूप से दावा करते हैं कि सही प्रकार की नौकरियां न मिलने से निराश होकर कामकाजी उम्र के 90 करोड़ भारतीयों में से आधों, विशेष रूप से महिलाओं, ने रोज़गार की तलाश करना ही बंद कर दिया है.

श्रीलंका में वित्तीय संकट के भारत के लिए क्या निहितार्थ हैं

श्रीलंका में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट के भारत के लिए कई व्यावसायिक प्रभाव हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत इस अवसर का उपयोग उसके साथ अपने राजनयिक संबंधों को संभालने के लिए कर सकता है, जो श्रीलंका की चीन के साथ नज़दीकी के चलते प्रभावित हुए हैं.