तमिलनाडु में चेन्नई की शीर्ष कला और सांस्कृतिक अकादमी 'कलाक्षेत्र फाउंडेशन' में चार फैकल्टी सदस्यों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है, जिसे लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि आरोपियों को संस्था से निष्कासित किया जाए, जबकि फाउंडेशन ने आंतरिक समिति की जांच के आधार पर उन्हें क्लीन चिट दे दी है.
बीते फरवरी में आईआईटी-बॉम्बे में बीटेक के छात्र दर्शन सोलंकी की मौत छात्रावास की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या करने के चलते हो गई थी. उनके परिवार ने इसके लिए कैंपस में हुए जातिगत भेदभाव को ज़िम्मेदार बताया था, जिससे संस्थान की जांच समिति ने इनकार किया था.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसदीय स्थायी समिति के समक्ष केंद्र सरकार ने जो आंकड़े रखे हैं, उनके मुताबिक़ वित्त वर्ष 2022-23 में अनुसूचित जाति के छात्रों और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे, लेकिन वास्तविक व्यय केवल 56 लाख रुपये किया गया.
वीडियो: हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय ने कैंपस में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने वाले दो छात्रों पर एक साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया. दोनों छात्र- लोकेश चुघ और रविंदर सिंह एक साल तक कोई परीक्षा नहीं दे पाएंगे. दोनों छात्रों ने विश्वविद्यालय के इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं. उनसे बातचीत.
राज्यसभा में भाजपा सांसद हरिनाथ सिंह यादव ने पूछा था कि क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया या देश के किसी अन्य शैक्षणिक संस्थान में पाकिस्तानी लेखक की किताब पढ़ाई जा रही है और क्या इसके लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर विचार करना चाहिए.
डीयू और बीएचयू में क्रमश: 299 और 228 एसोसिएट प्रोफेसर स्तर पर आरक्षित श्रेणियों के लिए सबसे अधिक रिक्तियां हैं. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय जैसे अन्य विश्वविद्यालयों में प्रत्येक में 200 से अधिक पद ख़ाली हैं.
गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की संलिप्तता का दावा करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन बीते 27 जनवरी को सरकार के इस क़दम के ख़िलाफ़ दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने परिसर में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की थी.
सरकार ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा है कि आईआईटी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में 2018-2023 की अवधि के दौरान आत्महत्या के कुल 61 मामले दर्ज किए गए. आत्महत्या के आधे से अधिक मामले आईआईटी में सामने आए हैं. इसके बाद एनआईटी और आईआईएम का नंबर आता है.
आईआईटी बॉम्बे के एससी/एसटी छात्र प्रकोष्ठ द्वारा किए गए एक मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण में कहा गया है कि संस्थान में एससी/एसटी छात्रों को कम क्षमतावान छात्रों के रूप में देखा जाता है. सर्वे में शामिल कई छात्रों ने बताया कि यहां अंग्रेज़ी में धाराप्रवाह होने या न होने से आपकी जाति की पहचान की जाती है.
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने दिसंबर 2021 में सहायक प्रोफेसर (नर्सिंग) और व्याख्याताओं के पदों के लिए एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें केवल महिला उम्मीदवार ही भर्ती और नियुक्ति के लिए पात्र बताई गई थीं. अदालत ने इस कदम को भारतीय संविधान का उल्लंघन करार दिया.
अहमदाबाद के रहने दर्शन सोलंकी की बीते 12 फरवरी को आईआईटी बॉम्बे परिसर के एक छात्रावास की इमारत की सातवीं मंज़िल से कथित तौर पर छलांग लगाने से मौत हो गई थी. उनके परिवार ने कैंपस में जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया था. वहीं आईआईटी-बॉम्बे द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में इससे इनकार किया है.
यूजीसी के तहत आने वाले नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष भूषण पटवर्धन ने बीते रविवार को इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ विश्वविद्यालय अनुचित साधनों के माध्यम से ‘संदिग्ध ग्रेड’ प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की भी मांग की थी.
जेएनयू के नए नियमों के तहत कहा गया था कि छात्रों पर धरना देने को लेकर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका प्रवेश रद्द किया जा सकता है या यदि वे घेराव करते हैं तो 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या वे हिंसा के आरोपी ठहराए जा सकते हैं.
छात्रा तेलंगाना के वारंगल स्थित काकतीय मेडिकल कॉलेज में पढ़ रही थीं. उनकी पहचान 26 वर्षीय डॉ. धारावत प्रीति के रूप में हुई है. बताया जा रहा है कि आत्महत्या से पहले उन्होंने खुद को एक इंजेक्शन लगाया था, जिसके बाद उनका इलाज हैदराबाद के निज़ाम इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में चल रहा था.
बीते दिनों आईआईटी बॉम्बे में एक दलित छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटना का ज़िक्र करते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे संस्थानों को छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को भी आकार देना चाहिए.