अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग नहीं लेने के अपने रुख़ को दोहराते हुए पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि राजनेताओं की अपनी सीमाएं हैं. धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में नियम और प्रतिबंध हैं, इनका पालन किया जाना चाहिए. नेताओं द्वारा हर क्षेत्र में हस्तक्षेप करना पागलपन है.
बीते दिनों नई दिल्ली नगर निगम ने यातायात व्यवस्था का हवाला देते हुए सुनहरी मस्जिद को हटाने को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया था. इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस ने इसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संरचना बताते हुए कहा है कि हाल के दिनों में हमारी मध्ययुगीन वास्तुकला विरासत को नष्ट करने के लगातार प्रयास हो रहे हैं.
पिछले साल अगस्त में उत्तर प्रदेश मुज़फ़्फ़रनगर के एक निजी स्कूल की शिक्षक तृप्ता त्यागी ने कथित तौर पर होमवर्क नहीं करने पर एक मुस्लिम छात्र को उसके हिंदू सहपाठियों से कक्षा में बार-बार थप्पड़ लगवाए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि सरकार ने वह नहीं किया, जो उससे करने की अपेक्षा की गई थी.
गुजरात के द्वारका स्थित शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल न होने के पीछे विवादों और ‘धर्म विरोधी ताकतों’ के इससे जुड़े होने का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि चारों शंकराचार्यों को निमंत्रण मिला है, लेकिन कोई भी 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नहीं जा रहा है.
मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में भाजपा सरकार के कार्यकाल में भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नीतियों के कारण अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा में बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में धार्मिक और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण प्रथाओं को उजागर करते हुए कई घटनाओं को सूचीबद्ध किया गया है.
एक हिंदुत्व समर्थक पोर्टल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चारों शंकराचार्य राजनीतिकरण, उचित सम्मान न मिलने और समयपूर्व किए जा रहे प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर नाराज़ हैं. इसके अनुसार, शंकराचार्यों का कहना है कि राम मंदिर के निर्माण को क्रियान्वित करने के बावजूद सरकार ‘राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू भावनाओं का शोषण कर रही है’.
पिछले दो महीनों में उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व और वर्तमान छात्रों को मिलाकर 9 युवकों को गिरफ़्तार किया है. उन पर सरकार के ख़िलाफ़ अपराध करने की साज़िश रचने, सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने के इरादे से हथियार इकट्ठा करने, आतंकवादी कृत्य की साज़िश रचने आदि से संबंधित आरोप हैं.
पुरी के पूर्वाम्नाय गोवर्धन पीठ के 145वें जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि ‘जब मोदी जी लोकार्पण करेंगे, मूर्ति का स्पर्श करेंगे, फिर मैं वहां क्या ताली बजाऊंगा... अगर प्रधानमंत्री ही सब कुछ कर रहे हैं तो अयोध्या में 'धर्माचार्य' के लिए क्या रह गया है.’
बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की गुजरात सरकार द्वारा सज़ा माफ़ी और रिहाई को रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे कुछ महिलाएं हैं जो बिलक़ीस को न्याय दिलाने के लिए आगे आईं.
घटना भागलपुर ज़िले के एक गांव की है. 2021 में चांदनी और चंदन कुमार सिंह ने परिवार की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ विवाह कर लिया था. मंगलवार को दोनों अपनी एक साल की बेटी को लेकर चंदन के परिवार से मिलकर लौट रहे थे, जब उन पर हमला हुआ. पुलिस के अनुसार, हमला लड़की के पिता और भाई ने किया था.
मामला मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के खतौली थाना क्षेत्र के जसोला गांव का है, जहां एक 21 वर्षीय दलित व्यक्ति को गांव के ही कुछ लोगों ने घर में बंधक बनाकर कथित तौर पर पीट-पीटकर मार डाला. पुलिस ने बताया है कि प्रथमदृष्टया मामला प्रेम संबंध से जुड़ा है.
स्मृति शेष: जेपीएस ओबेरॉय को जो बात उन्हें अलग करती थी, वो थी समाजशास्त्रीय अध्ययन को सिर्फ भारत की सीमाओं तक महदूद न करने की उनकी अनवरत कोशिश. उन्होंने अपने सहयोगियों और छात्रों को भी भारत के अलावा एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय समाजों के अध्ययन के लिए प्रेरित किया. इसी क्रम में, ओबेरॉय ने डीयू के समाजशास्त्र विभाग में ‘यूरोपियन स्टडीज़ प्रोग्राम’ की भी शुरुआत की.
अपने साथ हुए सामूहिक बलात्कार और परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद बिलक़ीस बानो ने अदालत के साथ उनके समर्थन में खड़े रहने वालों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनकी दुआ है कि सबसे ऊपर क़ानून रहे और क़ानून की नज़र में सब बराबर बने रहें.
25 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित क्रिसमस लंच में शामिल ईसाई लोगों को लेकर जारी एक बयान में कहा गया है कि साल 2014 के बाद ईसाइयों पर हो रहे लक्षित हमलों के अलावा मणिपुर और अन्य जगहों पर हमारे लोगों के साथ जो हो रहा है, उसे देखते हुए उनके पास इस निमंत्रण को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करने का मौका था.
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के आदेश में कहा गया है कि उन सभी मामलों में जहां महिला ने तलाक़ की याचिका या घरेलू हिंसा या आईपीसी के कोई मामले दायर किए हैं, उनमें नया संशोधन एक महिला सरकारी कर्मचारी की पारिवारिक पेंशन को उनके पति के बजाय पात्र संतान को देने की अनुमति देता है.