मिज़ोरम पुलिस के अपराध जांच शाखा के आंकड़े के अनुसार राज्य के दस ज़िलों में म्यांमार के करीब 9,247 लोग ठहरे हुए हैं और उनमें से सबसे अधिक 4,156 चंफाई में हैं. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि म्यांमार के इन नागरिकों को स्थानीय लोगों ने आश्रय दिया है और कई नागरिक एवं छात्र संगठन भी उनके रहने एवं खाने-पीने का प्रबंध कर रहे हैं.
असम के कोकराझार ज़िले के अभयाकुटी गांव में 14 और 16 साल की दो नाबालिग बहनों के शव बीते 11 जून को पेड़ से लटके मिले थे. कोकराझार एसपी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आना बाक़ी है, पर मामले में गिरफ़्तार किए गए सात लोगों ने बलात्कार और हत्या की बात स्वीकार की है.
असम के शिक्षा मंत्री रेनोज पेगू ने कहा है कि स्थिति नियंत्रण में होने पर बोर्ड परीक्षाएं एक से 15 अगस्त के बीच आयोजित की जाएंगी. इससे पहले 11 मई से बोर्ड परीक्षाएं होनी थी, जिसे कोविड-19 महामारी के चलते टाल दिया गया था. याचिका में महामारी की मौजूदा स्थिति के आधार पर समान राहत प्रदान करने का अनुरोध किया गया है.
असम के कोकराझार ज़िले के अभयाकुटी गांव की घटना. 14 और 16 साल की दो नाबालिग बहनों के शव बीते 11 जून को पेड़ से लटके मिले थे. पीड़ित परिवार का आरोप है कि बलात्कार के बाद लड़कियों की हत्या की गई है. वहीं, पुलिस प्रथमदृष्टया आत्महत्या का मामला मानकर जांच कर रही है.
मामला तिनसुकिया ज़िले का है, जहां एक गांव में गाय को रखने के लिए बनाए गए शेड के पास दो व्यक्तियों के पाए जाने के बाद ग्रामीणों ने उन्हें बर्बर तरीके से पीटा. पुलिस ने मामले में हत्या का केस दर्ज किया है.
राज्य के तीन ज़िलों में अतिक्रमित भूमि से कई परिवारों को हाल में हटाए जाने का संदर्भ देते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने अल्पसंख्यक समुदाय से परिवार नियोजन अपनाने की अपील की थी. विपक्षी कांग्रेस, एआईयूडीएफ तथा अल्पसंख्यक छात्र निकाय ने इस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, तुच्छ व भ्रामक क़रार दिया है.
मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स ज़िले के एक अवैध कोयला खदान में पांच श्रमिक बीते 31 मई से फंसे हुए हैं. ज़िला प्रशासन ने बताया कि खदान में पानी भरा हुआ है और बचावकर्मी जलस्तर कम होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. अवैध खनन के आरोप में खदान के मालिक को गिरफ़्तार किया गया है.
जेल में बंद असम के निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने वादा किया था कि राज्य में उसकी सरकार बनने पर वह पेपर मिलों को पुनर्जीवित करेगी. हालांकि नगांव पेपर मिल और कछार पेपर मिल की नीलामी के लिए नवीनतम नोटिस सभी वादों के लिए एक गंभीर झटका है.
नगा संगठन एनएससीएन-आईएम ने कार्बी-आंगलोंग स्वायत्त प्रादेशिक परिषद को अंतिम रूप देने की केंद्र और असम सरकार की प्रस्तावित योजना को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि यह असम में रेंगमा नगाओं की पैतृक भूमि को अलग करती है. उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत सरकार और उनके संगठन के बीच हुई नगा शांति वार्ता का महत्वपूर्ण एजेंडा भी है, जिस पर अंतिम निर्णय लंबित है.
साल 2018 में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं और बीते सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के पत्रकारों को धमकी देने के बाद से इसमें इज़ाफ़ा हुआ है. 2020 में पत्रकारों पर हमले के 17 मामले दर्ज किए हुए जबकि 2021 में अब तक ऐसे सात मामले दर्ज किए गए हैं.
मणिपुर के कंगपोकपी ज़िले के चालवा गांव का मामला. बीते तीन जून की देर रात 44 असम राइफल्स के मेजर अपने तीन जवानों के साथ एक ऑपरेशन को अंजाम देने पहुंचे थे. इसी दौरान उन्होंने गांव के एक व्यक्ति को हिरासत में लिया, जो बाद में गोली लगने के कारण घायल अवस्था में मिले. अस्पताल ले जाते वक़्त उनकी मौत हो गई थी.
लेफ्ट फ्रंट के संयोजक बिजन धर ने अगरतला में हुए कुछ हमलों को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी थीं, जिसके बाद त्रिपुरा पुलिस ने उन पर कथित तौर पर हिंसा भड़काने के लिए मामला दर्ज किया है. धर के अलावा माकपा के पूर्व सांसद जितेंद्र चौधरी और विधायक भानु लाल साहा के ख़िलाफ़ भी उनकी कई पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज हुई है.
2018 में राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से त्रिपुरा के वरिष्ठ पत्रकार समीर धर के आवास पर हुआ यह इस तरह का तीसरा हमला है. आरोप है कि पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देव द्वारा सार्वजनिक बैठक में मीडिया को धमकाने के बाद से पत्रकारों पर इस तरह के हमले तेज़ हुए हैं.
आदेश में कहा गया है कि ज़िला प्रशासन परोपकार के कामों का स्वागत करता है. हालांकि दान या नकद के रूप में इस तरह के कार्यों में अक्सर लाउडस्पीकर, सार्वजनिक सभा, घर-घर का दौरा किया जाता है. साथ ही सोशल मीडिया कवरेज के लिए दानदाताओं के नाम के साथ विशेष रूप से बनाए गए राहत किट/पैकेट का उपयोग होता है. यह दान से जुड़े उद्देश्य और पवित्रता को कमज़ोर करती है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने लोगों से टीकाकरण में राज्य सरकार का साथ देने और मुख्यमंत्री राहत कोष या असम आरोग्य निधि में पैसा दान करने की अपील की. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में वित्तीय संकट में नहीं है और उसके पास अपनी आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त बजट है.