जब महावीर प्रसाद द्विवेदी ने जनेऊ उतारकर सर्पदंश पीड़ित दलित महिला के पांव में बांध दिया

जयंती विशेष: द्विवेदी जी ऐसे कठिन समय में हिंदी के सेवक बने, जब हिंदी अपने कलात्मक विकास की सोचना तो दूर, विभिन्न प्रकार के अभावों से ऐसी बुरी तरह पीड़ित थी कि उसके लिए उनसे निपट पाना ही दूभर हो रहा था.

हमारे खाने का स्वाद बढ़ाने वाला लहसुन किसानों की सेहत क्यों बिगाड़ रहा है?

राजस्थान के हाड़ौती संभाग के किसानों ने पिछले साल लहसुन का अच्छा भाव मिलने की वजह से इस बार ज़्यादा लहसुन बोया, लेकिन कम भाव मिलने की वजह से अब तक तीन किसान आत्महत्या कर चुके हैं जबकि दो की सदमे से मौत हो गई है.

बाल विवाह के पक्ष में होना महज़ एक विचार नहीं, बल्कि एक घातक विचारधारा है

इस विचारधारा में स्त्रियों, बच्चों, क़ानून, समाज में बराबरी, सहिष्णुता और सुरक्षा के प्रति कोई सम्मान नहीं है. बाल विवाह केवल लड़कियों के जीवन को संकुचित और दुरूह नहीं बनाता है, लड़कों के जीवन को भी उतना ही प्रताड़ित करता है.

सोशल मीडिया पर नफ़रत फैलाने वालों को कब तक बढ़ावा देते रहेंगे प्रधानमंत्री मोदी!

ऐसे लोग जिन्हें इंटरनेट की भाषा में ट्रोल कहा जाता है, प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ उन्हें फॉलो कर रहे हैं बल्कि उनकी 'प्रतिभा' को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं. कार्टूनिस्ट क्षितिज वाजपेई इसका सबसे ताज़ा उदाहरण हैं.

कठुआ मामले में सीबीआई जांच की ज़रूरत नहीं, राज्य की पुलिस ने अच्छी जांच की है: महबूबा मुफ़्ती

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने इस मामले को अच्छी तरह संभाला है. कोई भी गलत कदम ऐसे हालातों को जन्म दे सकता था जहां पूरा राज्य सांप्रदायिकता की आग में जल गया होता.

नमाज़ मस्जिद में पढ़ी जानी चाहिए, खुले में नहीं: मनोहर लाल खट्टर

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन हाल ही में खुले में नमाज़ पढ़ने के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है. हम कोशिश कर रहे हैं कि नमाज़ उसके निर्धारित स्थान पर पढ़ी जाए, न कि सार्वजनिक स्थानों पर.

मध्य प्रदेश: दलित की शादी की सूचना तीन दिन पहले प्रशासन को दिए जाने का आदेश निरस्त

उज्जैन के महिदपुर के एसडीएम ने बताया कि 14 अप्रैल की रात को एक दलित बारात को उच्च जातियों के कुछ लोगों ने रोक लिया था. आगे ऐसी घटना न हो, इसलिए एहतियातन यह आदेश जारी किया गया था.

दलितों के घर खाना खाने से छुआछूत ख़त्म नहीं होगी: पासवान

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री ने कहा कि नेताओं को दलितों के घर भोजन करने के बजाय उनकी मूल समस्याओं को हल करने की कोशिश करना चाहिए. अशिक्षा, अत्याचार निवारण और दलितों के विकास पर काम होना चाहिए.

झारखंड में नाबालिग से बलात्कार, 50 हज़ार में मामला रफ़ा-दफ़ा नहीं हुआ तो ज़िंदा जला दिया

झारखंड के चतरा ज़िले के राजाकेंदुआ गांव में हुई घटना में नाबालिग की मौत. पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ़्तार किया, चार अन्य की तलाश जारी.

अदालत ऐसे नियम नहीं बना सकती जो विधायिका द्वारा पारित क़ानून के विपरीत हों: केंद्र सरकार

अनुसूचित जाति-जनजाति कानून से संबंधित मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस व्यवस्था की वजह से जानमाल का नुकसान हुआ है.

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: स्मृति ईरानी के हाथ से अवॉर्ड लेने से कलाकारों का इनकार

कलाकारों का कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा अवॉर्ड देने की 65 साल से चली आ रही परंपरा को तोड़ा जा रहा है. वहीं राष्ट्रपति भवन ने स्पष्टीकरण दिया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सभी पुरस्कार कार्यक्रमों में अधिकतम एक घंटे रुकते हैं, इसलिए वे केवल 11 लोगों को ही पुरस्कार देंगे.

कोलकाता मेट्रो में गले लगने वाले जोड़े की पिटाई के विरोध में प्रदर्शन

युवाओं ने कई मेट्रो स्टेशनों पर ‘होक आलिंगोन’ यानी ‘गले लगो’ का पोस्टर लेकर किया प्रदर्शन. कोलकाता मेट्रो में युवक-युवती के गले लगने पर नाराज़ लोगों ने उन्हें पीटा था.

सत्यजीत रे: जिन्होंने परदे पर हीरो नहीं, बल्कि आम आदमी को रचा 

सत्यजीत रे ने देश की वास्तविक तस्वीर और कड़वे सच को बिना किसी लाग-लपेट के ज्यों का त्यों अपनी फिल्मों में दर्शाया. 1943 में बंगाल में पड़े अकाल को उन्होंने ‘पाथेर पांचाली’ दिखाया तो वहीं ‘अशनि संकेत’ में अकाल की राजनीति और ‘घरे बाइरे’ में हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद पर चोट की.

सहेला रे: कित गए वे लोग

कहते हैं कि इतिहास में नामों और तारीख़ों के अलावा कुछ सच नहीं होता जबकि कथा साहित्य में नामों और तारीख़ों के अलावा सब कुछ सच होता है. मृणाल पांडे के नए उपन्यास सहेला रे में तारीखें भी सच के क़रीब हैं, साथ ही किरदार भी सच्चाई के इतने नज़दीक हैं कि जानने वालों को उस ज़माने की न जाने कितनी वास्तविक छवियां यहां दिखाई देंगी.

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