पिछले डेढ़ दशक से बस्तर में माओवाद से मुकाबले के नाम पर ढेर सारी पूंजी पहुंची है, ठेकेदार पनपे हैं और तमाम निर्माण-कार्य शुरू हुए हैं. जाहिर है, उनसे जुड़े मुनाफे के तार को झकझोरने की कोशिश जानलेवा होगी. इसलिए इस हमलावर के पहले निशाने पर बस्तर के पत्रकार आ जाते हैं.