नज़दीक आते लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र कांग्रेस ने अपने संगठन में फेरबदल करते हुए कई राज्यों के प्रभारी बदले हैं. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की जगह अविनाश पांडे को उत्तर प्रदेश का नया प्रभारी नियुक्त किया गया है. इससे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में घोषणा-पत्र समिति गठित की गई थी.
चुनाव हमेशा पुराने आंकड़ों व समीकरणों के बूते नहीं जीते जाते, कई बार उन्हें परसेप्शन और मनोबल की बिना पर भी जीता जाता है. राहुल गांधी अमेठी व प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव मैदान में उतर जाएं तो अनुकूल परसेप्शन बनाने के भाजपा, नरेंद्र मोदी के महारत का वही हाल हो जाएगा, जो पिछले दिनों विपक्षी गठबंधन का ‘इंडिया’ नाम रखने से हुआ था.
बीते दिनों पांच बार विधायक रहे अजय राय को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस जब से सत्ता से बाहर हुई है, उसका ग्राफ गिरता ही गया है. ऐसे समय और स्थिति में अजय राय यूपी कांग्रेस को कैसे संभालेंगे और आगे ले जाएंगे, यह बड़ा सवाल है.
जिस तरह देश की सबसे पुरानी पार्टी ने धीरे-धीरे दलितों और ओबीसी मतदाताओं के बीच अपना मजबूत प्रभाव खोया है, उसे देखते हुए एक दलित कांग्रेस कार्यकर्ता के पार्टी प्रमुख बनने को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.
कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 47 सदस्यीय संचालन समिति का गठन किया जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी शामिल हैं.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को शुभकामनाएं देते कहा कि कांग्रेस ने कभी संकट के सामने हार नहीं मानी और आगे भी नहीं मानेगी. आज पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं, सबसे बड़ी चुनौती यह है कि लोकतांत्रिक मूल्यों के सामने जो संकट पैदा हुआ है, उसका मुक़ाबला कैसे करें.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने पचास सालों से ज़्यादा लंबे अपने राजनीतिक करिअर में ख़ुद को अनेक बार निष्ठावान और समर्पित कांग्रेसी साबित करते हुए संकटों को सुलझाने, प्रशासन और नेतृत्व में मिसाल देने लायक हुनर का प्रदर्शन किया है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को 7,897 मत प्राप्त हुए, जबकि शशि थरूर को महज 1,072 मतों से संतोष करना पड़ा. इस बीच, नतीजे आने से पहले थरूर की टीम ने चुनाव में अनियमितता का आरोप लगाते हुए उत्तर प्रदेश में डाले गए मतों को अवैध घोषित करने की मांग की थी.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए दो उम्मीदवार शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे मैदान में हैं. पार्टी के 137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है. वर्तमान में पूरे 22 वर्षों के बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर, मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम, प्रद्युत बोरदोलोई और अब्दुल ख़ालिक़ ने बीते 6 सितंबर को पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री को पत्र लिखकर अध्यक्ष पद के चुनाव में पारदर्शिता की मांग की थी. अब मिस्त्री ने कहा है कि दिल्ली में एआईसीसी स्थित उनके कार्यालय में सभी 9,000 से अधिक प्रतिनिधियों की सूची 20 सितंबर से 24 सितंबर तक उपलब्ध रहेगी.
पार्टी अध्यक्ष पद के आगामी चुनाव में उतरने पर विचार कर रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर और असम से पार्टी सांसद प्रद्युत बोरदोलोई ने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री को पत्र लिखकर उनसे निर्वाचक मंडल की सूची प्रकाशित करने की मांग की है. कई अन्य पार्टी नेता भी चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की बात कहते हुए यह मांग उठा चुके हैं.
कांग्रेस छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि उन्हें नई पार्टी के गठन की घोषणा करने की कोई जल्दी नहीं थी, फिर भी वे जल्द ही इसकी घोषणा करेंगे क्योंकि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं. वहीं, आज़ाद के समर्थन में कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के पांच नेताओं ने भी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे पांच पृष्ठ के त्याग-पत्र में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा है कि दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद से सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की एक नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद को कांग्रेस ने सूबे में पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख और पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति का सदस्य बनने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने नामंज़ूर कर दिया. आज़ाद पार्टी नेतृत्व के आलोचक 'जी 23' समूह के प्रमुख सदस्य हैं.
पिछले कुछ दिनों के भीतर उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाज़ी खुलकर सामने आ गई है. प्रदेश में पार्टी के सबसे कद्दावर नेता हरीश रावत ने 'संगठन का सहयोग न मिलने' की तंज़ भरे लहज़े में शिकायत की और राजनीति से 'विश्राम' का शिगूफ़ा छोड़ दिया, जिसके बाद पार्टी आलाकमान ने उन्हें दिल्ली बुलाया.