बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के 11 दोषियों में से दो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि एक 'असामान्य' स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि समान शक्ति रखने वाली शीर्ष अदालत की दो अलग-अलग पीठों ने सज़ा माफ़ी के एक ही मुद्दे पर विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है.
गुजरात हाईकोर्ट ने बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले के दोषी रमेश चांदना को भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल दे दी. इससे पहले एक अन्य दोषी प्रदीप मोढिया को हाईकोर्ट द्वारा 7 से 11 फरवरी तक पैरोल पर गोधरा जेल से रिहा किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने बीते आठ जनवरी को बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी और रिहाई को रद्द करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार ने उन्हें समयपूर्व रिहा करते हुए 'शक्ति का दुरुपयोग' किया था.
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बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के लोगों की हत्या के दोषियों में से एक प्रदीप मोढिया को ससुर की मृत्यु के बाद गुजरात हाईकोर्ट द्वारा बीते 7 फरवरी को पैरोल दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मोढिया और 10 अन्य आजीवन कारावास के दोषियों ने 21 जनवरी की रात गोधरा उप-जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने बीते 8 जनवरी को बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई का ख़ारिज करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार के पास उन्हें समय से पहले रिहा करने की शक्ति नहीं है. रिहाई का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने दोषियों को दो हफ़्ते के अंदर वापस जेल में सरेंडर करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 जवनरी को बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा था. इस आदेश के बाद उनके घर पर न रहने की ख़बरें सामने आई थीं. इस बीच बीते 19 जनवरी को अदालत ने इन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया.
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गुजरात सरकार द्वारा बिलकीस बानो मामले के 11 दोषियों को दी गई सज़ा माफ़ी को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को उन्हें दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था. इनमें से 10 ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर निजी कारण देते हुए आत्मसमर्पण करने के लिए और समय की मांग की है.
साल 2002 में बिलक़ीस के साथ हुई ज़्यादती के बाद गुजरात की दो अधिकारियों- गोधरा की तत्कालीन डीएम जयंती रवि और गोधरा सिविल अस्पताल की डॉक्टर रोहिणी कुट्टी ने उस समय के तमाम राजनीतिक-प्रशासनिक दबावों के बीच जिस ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाई, वो वाकई एक मिसाल है.
बिलक़ीस बानो की जीत भारत की उन महिलाओं और मर्दों को शर्मिंदा करती है जो इस केस पर इसलिए चुप हो गए क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करना पड़ता, उन्हें भाजपा से सवाल करना पड़ता.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 जवनरी को बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा है. गुजरात के दाहोद के एसपी ने बताया है कि पुलिस को उनके आत्मसमर्पण के संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है और न ही उन्हें शीर्ष अदालत के फैसले की प्रति प्राप्त हुई है.
बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की गुजरात सरकार द्वारा सज़ा माफ़ी और रिहाई को रद्द करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे कुछ महिलाएं हैं जो बिलक़ीस को न्याय दिलाने के लिए आगे आईं.
बीते सोमवार को बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ामाफ़ी और रिहाई को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार के पास दोषियों को समय से पहले रिहा करने का हक़ नहीं है. अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया था.