इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2016 और 2019 में जारी अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें रद्द कर दिया. याचिका डॉ. बीआर आंबेडकर ग्रंथालय एवं जन कल्याण, गोरखपुर और अन्य ने दायर की थी.
2002 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलक़ीस मामले में शामिल होने का फैसला किया था क्योंकि उसे पता था कि गुजरात सरकार बलात्कारियों और हत्यारों को बचा रही है. बीस साल बाद भी कुछ नहीं बदला है.
भाजपा विपक्षी दलों पर जो आरोप लगाकर उन्हें ख़ारिज करती रहती है, उनमें से कोई भी आम आदमी पार्टी पर फिट नहीं बैठते और यही उसकी सबसे बड़ी चुनौती है.
जगह-जगह क़ब्रिस्तान, ईदगाह की ज़मीन पर कभी पीपल लगा कर, कभी कोई मूर्ति रखकर भजन आरती शुरू करके क़ब्ज़ा करने की तरकीबें जमाने से इस्तेमाल की जाती रही हैं. अब सरकारें भी इसमें जुट गई हैं. मज़ा यह है कि अगर मुसलमान इसका विरोध करें तो उन्हें असहिष्णु कहा जाता है.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘गोलमाल पीएम’ क़रार देते हुए कहा कि वे और केंद्र सरकार जो कुछ भी कहते हैं वह ‘सफेद झूठ’ होता है.
बीते रविवार को दुबई में एशिया कप क्रिकेट मैच में भारत के जीतने के बाद बीसीसीआई के सचिव जय शाह का तिरंगा नहीं पकड़ने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इसे लेकर विपक्ष ने उन पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रोटोकॉल के तहत तटस्थ रहने का अर्थ किसी ध्वज का अनादर करना नहीं होता.
बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेताओं ने सीबीआई से सामान्य सहमति वापस लेने का आह्वान करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार राजनीतिक उद्देश्यों के लिए जांच एजेंसी का इस्तेमाल कर रही है. साल 2015 से नौ राज्यों द्वारा सीबीआई से आम सहमति वापस ली गई है.
पूर्व नौकरशाहों द्वारा प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हम इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि शीर्ष अदालत ने इस मामले को इतना ज़रूरी क्यों समझा कि दो महीने के भीतर फैसला लेना पड़ा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले की जांच गुजरात की 1992 की माफ़ी नीति के अनुसार की जानी चाहिए, न कि इसकी वर्तमान नीति के अनुसार.
झारखंड के दुमका शहर का मामला. पुलिस ने बताया कि शाहरुख़ हुसैन नाम का युवक पिछले कुछ समय से युवती को परेशान कर रहा था. बीते 23 अगस्त को उसने युवती पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी थी. रविवार को उसकी मौत हो गई, जिसके बाद विहिप और बजरंग दल ने प्रदर्शन कर फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुक़दमा चलाने की मांग की है.
बिलक़ीस बानो मामले के 11 दोषियों को रिहा करने पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार ने कहा कि गुजरात सरकार को अपनी ग़लती सुधारनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सज़ा से मिली छूट इन दोषियों के प्रभाव की सीमा बताती है और उनकी ताक़त पता चलती है कि उनके लिए नियमों को बदल दिया गया.
गुजरात के राजकोट से प्रकाशित ‘सौराष्ट्र हेडलाइन’ में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कामकाज से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नाराज़गी का ज़िक्र करते हुए उनके ख़िलाफ़ यह संभावित क़दम उठाए जाने का संकेत दिया गया था. साल 2020 में एक गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक पर कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था.
बिहार के कुछ हिस्सों को मिलाकर साल 2000 में अलग झारखंड राज्य बना था. हालांकि अपने गठन के बाद से ही इस राज्य को राजनीतिक स्थिरता नहीं मिल सकी है. मात्र 15 साल में राज्य ने नौ मुख्यमंत्री देखे हैं और तीन बार यहां राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है. वर्तमान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची में एक पत्थर खदान की लीज़ को लेकर विवादों के केंद्र में आ गए हैं.
‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में आठ राष्ट्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से 426.74 करोड़ रुपये प्राप्त होने की जानकारी दी है, जबकि 27 क्षेत्रीय पार्टियों के मामले में यह धनराशि 263.928 करोड़ रुपये है. इस दौरान कांग्रेस ने अज्ञात स्रोतों से 178.782 करोड़ रुपये हासिल होने का खुलासा किया है, जो राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से प्राप्त कुल धनराशि का 41.89 फीसदी है.
आप के सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर बृहस्पतिवार सुबह बैठक कर भाजपा द्वारा विधायकों को ख़रीदने के कथित प्रयासों का मुक़ाबला करने के लिए रणनीति तैयार की. बैठक के बाद विधायकों के साथ केजरीवाल भाजपा के ‘ऑपरेशन लोटस’ की विफलता की प्रार्थना करने के लिए महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट गए. भाजपा ने इसे पार्टी का ड्रामा बताया है.
बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने जो किया, उसके लिए उन्हें सज़ा मिली. सवाल यह है कि क्या वे सज़ा माफ़ी के हक़दार हैं और क्या यह माफ़ी क़ानून के मुताबिक़ दी गई.