मामला लखनऊ के चिनहट थाने का है, जहां मोहित पांडेय नाम के एक व्यक्ति को एक मामूली विवाद के सिलसिले में हिरासत में लेकर बेरहमी से पीटे जाने का आरोप है. परिजनों के विरोध प्रदर्शन के बाद संबंधित थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के बिजनौर से एक किशोरी के साथ भागे 16 वर्षीय किशोर की पुलिस हिरासत में मौत हो गई. एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, मामले में स्थानीय एसएचओ सहित चार पुलिसकर्मियों को लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया है क्योंकि उपनिरीक्षक ने किशोर को बिजनौर लाने के बजाय अपने घर पर अवैध रूप से हिरासत में रखा था, जहां उसकी मौत हो गई.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच साल में पुलिस हिरासत में सबसे ज़्यादा मौत के मामले में मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है. अगस्त 2023 में सरकार ने बताया था कि 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2023 तक ऐसी मौतों के मामले में गुजरात पहले और महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर था.
क़रीब तीन साल पहले सूरत ज़िला पुलिस के दो कांस्टेबल उत्तर प्रदेश के प्रतापपुर ज़िले से एक व्यक्ति को गिरफ़्तार करके सूरत ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में वह कथित तौर पर ट्रेन से कूदकर भाग गया. कांस्टेबलों ने इसकी सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी थी, जबकि उक्त व्यक्ति के परिजनों का आरोप है कि उसे पुलिस हिरासत में पीट - पीट कर मार डाला गया था.
मामला गौतम बुद्ध नगर ज़िले के बिसरख का है, जहां चिपियाना पुलिस चौकी में योगेश नाम के व्यक्ति को एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था और वहां उनकी मौत हो गई. मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने योगेश को छोड़ने के लिए पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी.
हिरासत में मौत के मामले में एक पुलिस कॉन्स्टेबल को दी गई ज़मानत रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक प्रभाव डाल सकता है.
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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले का मामला. 24 वर्षीय युवक को शनिवार शाम हैदरगढ़ पुलिस मारपीट के मामले में तीन चार अन्य लोगों के साथ पकड़कर कोतवाली लाई थी. मृतक के पिता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे को पुलिस हिरासत में मार दिया गया और शव को आत्महत्या का रूप देने के लिए पेड़ से लटका दिया गया.
हैदराबाद पुलिस ने चेन स्नेचिंग के एक मामले में मोहम्मद क़ादिर को पकड़ा था. परिवार का दावा है कि इस घटना से क़ादिर का कोई संबंध नहीं था. मौत से पहले अस्पताल से क़ादिर ने एक वीडियो जारी कर पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के आरोप लगाए थे.
घटना कठुआ ज़िले की है. पुलिस ने युवक को हेरोइन रखने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. मृतक के परिजनों का आरोप है कि मौत का कारण पुलिस हिरासत में दी गई प्रताड़ना है.
हिरासत में मौत के एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि पुलिस के पास लोगों की गतिविधियों और अपराध को नियंत्रित करने की शक्ति है, लेकिन यह अबाध नहीं है. उक्त शक्ति के प्रयोग की आड़ में पुलिसकर्मी किसी नागरिक के साथ अमानवीय तरीके से अत्याचार या व्यवहार नहीं कर सकते हैं.
ये सभी विचाराधीन क़ैदी दक्षिण 24 परगना ज़िले के बरुईपुर केंद्रीय सुधार गृह में न्यायिक हिरासत में थे. परिवारों द्वारा जेल प्रशासन पर प्रताड़ना के आरोप लगाए जाने के बाद ज़िला कलेक्टर ने प्रत्येक मृतक के परिजन को 5 लाख रुपये का मुआवज़ा देते हुए सीआईडी जांच कराने की बात कही है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि देश भर में साल 2020 में हिरासत में मौत के 1,940 और साल 2021 में 2,544 मामले दर्ज किए गए. सरकारी डेटा के अनुसार, साल 2020 में पुलिस एनकाउंटर में मौत के 82 और साल 2021 में 151 मामले दर्ज किए गए.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने बीते 9 जुलाई को श्रीनगर के नाटीपोरा इलाके में रहने वाले 21 वर्षीय युवक मुस्लिम मुनीर लोन को चोरी के एक मामले में हिरासत में लिया था. आरोप है कि इसके बाद पुलिसकर्मियों ने बेहोशी की हालत में उन्हें वापस उनके घर पहुंचा दिया था. फ़िर परिजन उन्हें अस्पताल लेकर गए थे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था.
बीते 16 मई को हिंदू जागरण मंच के एक कार्यकर्ता की कथित तौर पर हिरासत में मौत हो गई थी. हाथरस ज़िले के चांदपा थाने में दर्ज मौत के मामले में पांच पुलिसकर्मियों समेत कुल 17 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जबकि पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है, इनमें से दो के ख़िलाफ़ हत्या की एफ़आईआर दर्ज की गई है.