राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अनुसार, 1993 के बाद से सीवर और सेप्टिक टैंक से होने वाली मौतों के 1,248 मामलों में से इस साल मार्च तक 1,116 मामलों में मुआवज़े का भुगतान किया गया है. 81 मामलों में भुगतान अभी भी लंबित है, जबकि 51 मामले बंद कर दिए गए हैं.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा में बताया कि इस साल 20 नवंबर तक सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 49 मौतें दर्ज की गईं. सबसे ज़्यादा मौतें राजस्थान में हुईं, उसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात रहा.
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वीडियो: सरकार के अनुसार, जुलाई 2023 तक देशभर में सीवरों और सेप्टिक टैंकों की में सफ़ाई 9 मौतें हुई हैं, लेकिन सफाई कर्मचारी आंदोलन के अनुसार इस अवधि में 58 मौतें हुईं. 28 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर मृत कर्मचारियों के परिजनों ने न्याय की मांग उठाते हुए प्रदर्शन किया और सरकार के डेटा पर सवाल भी उठाया.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा में बताया कि 2023 में अब तक इस तरह की नौ मौतें, 2022 में 66, 2021 में 58, 2020 में 22, 2019 में 117 और 2018 में 67 मौतें दर्ज की गईं.
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केंद्र सरकार हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए स्वरोज़गार योजना पर पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस सांसद मिमी चक्रवर्ती के एक सवाल का जवाब दे रही थी. बीते फरवरी माह में सरकार ने बताया था कि 2018 से 2022 के बीच सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 308 लोगों की मौत हुई थी.
चंद्रपुर ज़िले के शस्ती-धोपाटला कस्बे में एक भूमिगत सीवेज टैंक की सफाई के दौरान वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के तीन संविदाकर्मियों की दम घुटने से मौत हो गई और दो बीमार हैं. वहीं, बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के मधुबन थानाक्षेत्र में शौचालय की टंकी में दम घुटने से दो मज़दूरों की मौत हुई और दो की हालत गंभीर है. वहीं, ग़ाज़ियाबाद में निर्माणाधीन सीवर के ढांचे की दीवार गिरने से तीन मज़दूरों की मौत हो गई.
घटना सूरत ज़िले के चलथाण क्षेत्र की एक रिहायशी इमारत में हुई. पुलिस ने बताया कि मंगलवार शाम को सीवर में जाने के कुछ मिनट बाद ही ज़हरीली गैस के चलते दोनों बेहोश हो गए. स्थानीय लोग उन्हें बाहर निकालकर अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर केंद्र ने सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज भी शुरू किया है, जिसका उद्देश्य सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई को लोगों द्वारा कराने से रोकना और मशीन से उनकी सफाई को बढ़ावा देना है.
यह घटना उत्तर पश्चिम दिल्ली के आज़ादपुर इलाके में हुई. पुलिस ने बताया कि मज़दूर सुरक्षा उपकरण नहीं पहने अंदर गए थे. फैक्टरी मालिक और ठेकेदार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है.
झारखंड के देवघर का मामला. सेप्टिक टैंक की सफ़ाई के लिए दो मज़दूर टैंक में उतरे थे. उनके बाहर नहीं निकलने पर चार और लोग अंदर गए और बेहोश हो गए. बाद में उनकी भी मौत हो गई.
छत्तीसगढ़ के मुंगेली ज़िले के मर्राकोना गांव का मामला. मरने वाले चार में से तीन एक ही परिवार के सदस्य थे.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की ओर से सूचना के अधिकार के तहत प्रदान किए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है.
सीवर की सफाई करते हुए मारे गए इन 64 लोगों में राज्य सरकार ने 46 के परिवारों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया है. आयोग ने दिल्ली प्रशासन से बाकी परिवारों को एक हफ्ते के भीतर मुआवजा प्रदान करने को कहा है.