ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ़्तार किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस वेबसाइट की तरफ से विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) का कथित रूप से उल्लंघन किए जाने की जांच की जा रही है. संस्थान पर विदेशों से चंदा प्राप्त करने का आरोप लगा था, जिसका उसने खंडन किया था.
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने कथित तौर पर कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं यति नरसिंहानंद, महंत बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘घृणा फैलाने वाला’ कहा था. इस संबंध में उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले के ख़ैराबाद थाने में बीते एक जून को उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था. धार्मिक भावनाएं आहत करने के एक अन्य मामले में ज़ुबैर को बीते 27 जून को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया है. इस मामले के चलते वह फिलहाल हिरासत में ही
घटना उत्तरी दिल्ली के सोनिया विहार क्षेत्र की है. पुलिस ने बताया कि आरोपी के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है. एक अधिकारी ने कहा कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि आरोपी का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है और वह पुजारी को पहले से जानता था.
दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर पर दर्ज मामले और उनकी हिरासत को लेकर नज़र आ रहीं स्पष्ट ख़ामियों पर सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश, एक उच्च न्यायालय के जज और वकीलों ने सवाल उठाए हैं.
वीडियो: फैक्ट-चेक वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को बीते 27 जून को धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था. उनके ख़िलाफ़ एक अज्ञात ट्विटर एकाउंट के ज़रिये शिकायत दर्ज कराई गई थी. द वायर की पड़ताल में सामने आया है कि उस एकाउंट का संबंध भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक पदाधिकारी और टेक फॉग नेटवर्क से है. इस पड़ताल को अंजाम देने वाले देवेश कुमार और नाओमी बार्टन से दीपक
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी का उल्लेख करते हुए दिल्ली के सात मीडिया संगठनों ने कहा कि सरकार का पत्रकारों को निशाना बनाना पूरे पेशे के भविष्य के लिए ख़तरनाक है.
साल 2020 के दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने अपने आवेदन में आरोप लगाया गया है कि सहायक जेल अधीक्षक ने हाल ही में तलाशी की आड़ में आठ-दस लोगों के साथ उसके सेल में प्रवेश किया, उससे मारपीट की और ‘आतंकवादी’ तथा ‘राष्ट्र-विरोधी’ कहकर संबोधित किया.
पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर ने अपने एक ट्वीट में कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘घृणा फैलाने वाला’ कहा था, जिसे लेकर बीते एक जून को उत्तर प्रदेश में सीतापुर ज़िले के खैराबाद में उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था. ऐसे ही एक अन्य मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद वह पहले से ही 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं.
बीते 27 जून को मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ पर लग रहे विदेशी फंड प्राप्त करने के आरोपों के बीच संस्थान ने एक बयान जारी करके इसका खंडन किया है. धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में ज़ुबैर की गिरफ़्तारी के बाद ये आरोप लगाए गए हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने कहा है कि ये आरोप हमारे द्वारा किए जा रहे बेहद महत्वपूर्ण कार्य को बंद कराने का प्रयास है. हम हमें रोकने के इस प्रयास के ख़िलाफ़
दिल्ली दंगों के मामले में सितंबर 2020 से उमर ख़ालिद हिरासत में हैं, जिसकी निंदा करते हुए दार्शनिक नॉम चोमस्की ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि ख़ालिद के ख़िलाफ़ एकमात्र सबूत जो प्रस्तुत किया गया है वह यह है कि वे बोलने और विरोध जताने के अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग कर रहे थे, जो एक स्वतंत्र समाज में नागरिकों का मौलिक अधिकार है.
एक्सक्लूसिव: द वायर की पड़ताल में गुजरात के एक भाजयुमो नेता से जुड़े ट्विटर एकाउंट्स का एक नेटवर्क सामने आया है, जिसका इस्तेमाल ऑल्ट न्यूज़ के ख़िलाफ़ संगठित हमले करने के लिए किया गया था.
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर को पांच दिन तक हिरासत में लेकर पूछताछ की अवधि पूरी होने के बाद शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया था. पुलिस के और पूछताछ करने के अनुरोध के बाद कोर्ट ने उन्हें चौदह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के साथ-साथ दिल्ली पुलिस को भी फटकार लगाई है. अदालत ने कहा है कि पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की. इस बीच, सीजेआई एनवी रमना के समक्ष दायर एक पत्र याचिका में नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणी को वापस लेने का आग्रह किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के लिए निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को दिल्ली ट्रासंफर करने के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पीठ ने उस टीवी बहस की मेज़बानी के लिए समाचार चैनल टाइम्स नाउ पर भी कड़ा रुख अपनाया. अदालत ने पूछा कि टीवी पर वह बहस किस लिए थी? केवल एक एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए?
दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को उस याचिका पर अपना जवाब दाख़िल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया, जिसमें निचली अदालत के 28 जून के आदेश को चुनौती दी गई है. निचली अदालत ने ज़ुबैर को चार दिन की पुलिस हिरासत में देने का आदेश दिया था. ज़ुबैर को एक ट्वीट के ज़रिये धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में बीते 27 जून को गिरफ़्तार किया था.