अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान शासन ने लड़कियों की उच्च स्कूली शिक्षा पर रोक लगाने का फैसला किया है, जिसके तहत छठी कक्षा से ऊपर के स्कूलों में लड़कियों को जाने की अनुमति नहीं रहेगी. पूर्व में तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष संकल्प जताया था कि वे महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों में कटौती नहीं करेंगे.
कर्नाटक हाईकोर्ट के मामले पर अंतिम निर्णय के इंतज़ार में कई छात्राओं ने तय किया था कि वे न कक्षाओं में जाएंगी, न ही प्रैक्टिकल परीक्षाएं देंगी. इस पर शिक्षा मंत्री बीसी नागेश का कहना है कि वे अनुपस्थित छात्राओं के लिए फिर से परीक्षा आयोजित नहीं करेंगे, छात्राएं चाहें तो पूरक परीक्षाओं में शामिल हो सकती हैं.
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई शांति एवं सुलह संस्थान का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में शिक्षा की मैकाले व्यवस्था को पूरी तरह से ख़ारिज करने का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा के भगवाकरण को लेकर इतना हंगामा क्यों है. उन्होंने भारतीयों से औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने और भारतीय पहचान को लेकर गौरवान्वित होने को कहा है.
गुजरात सरकार के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने कहा कि गीता में मौजूद नैतिक मूल्यों एवं सिद्धांतों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय केंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तर्ज़ पर लिया गया है. वहीं, कर्नाटक की भाजपा सरकार ने कहा है कि वह गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने से पहले विशेषज्ञों से चर्चा करेगी.
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने वर्ष 2022 की बोर्ड परीक्षा को सकुशल संपन्न कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को संगठित रूप से नकल कराने वालों पर रासुका के तहत तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि इसके साथ ही अफ़वाह फैलाने वालों पर सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
टाइम्स समूह के स्वामित्व वाले ग्रेटर नोएडा के बेनेट विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों और उनके अभिभावकों से एक शपथपत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा है, जिसमें उन्हें कैंपस के अंदर या बाहर किसी भी प्रकार की 'देशविरोधी' या 'असामाजिक गतिविधि में शामिल होने, उसका समर्थन या प्रचार न करने के लिए कहा गया है. छात्रों को भेजे ईमेल में विश्वविद्यालय ने कहा कि यह क़दम उत्तर प्रदेश सरकार से मिले निर्देशों के तहत उठाया गया है.
केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति और भूमिहीन कृषि श्रमिक परिवारों से आने वाले छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए दी जाने वाली राष्ट्रीय ओवरसीज़ छात्रवृत्ति योजना में बिना किसी से सलाह-मशविरे और उससे लाभांवित तबकों की राय जाने बिना किए गए विषय संबंधी बदलाव बहुसंख्यकवादी असुरक्षा का नतीजा हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्वांचल में मीडिया के एक तबके द्वारा बनाए गए ‘लाभार्थी नैरेटिव’ पर स्थानीय लोगों की बढ़ी हुई राजनीतिक चेतना हावी दिखती है. मीडिया में हो रही बहस के उलट ज़मीन पर तस्वीर कुछ अलग ही है.
समाज कल्याण और अधिकारिता मंत्रालय की राष्ट्रीय ओवरसीज़ छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति/ जनजाति और भूमिहीन कृषि श्रमिक परिवारों से आने वाले छात्रों को उच्च-रैंकिंग वाले विदेशी विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है. इस साल बिना हितधारकों से चर्चा किए योजना से मानविकी व समाज विज्ञान विषयों को हटा दिया गया है.
युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव शहर में रूसी सेना की गोलीबारी में मृत कर्नाटक के छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर के पिता ने कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली और जातिवाद के कारण उन्हें यहां सीट नहीं मिल सकी, जबकि वह मेधावी छात्र थे. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां एक मेडिकल सीट हासिल करने के लिए एक करोड़ से दो करोड़ रुपये तक घूस देने पड़ते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह देखने की अपील की कि निजी संस्थानों में भी
हिंदुओं में अभी उदारता का ज्वार उमड़ पड़ा है, प्रगतिशीलता का भी. वे औरतों को हर परदे, हर बंधन से आज़ाद देखना चाहते हैं. वे कट्टरता के ख़िलाफ़ लड़ना चाहते हैं. लेकिन यह सब वे मुसलमान औरतों के लिए करना चाहते हैं. क्योंकि हिंदू औरतों को तो न कट्टरता और न धर्म के किसी बंधन का कभी शिकार होना होता है!
प्रासंगिक: भारत छोड़ो आंदोलन में सहभागिता के चलते गिरफ़्तार की गईं कस्तूरबा ने हिरासत में दो बार हृदयाघात झेला और कई माह बिस्तर पर पड़े रहने के बाद 22 फरवरी 1944 को उनका निधन हो गया. सुभाष चंद्र बोस ने इस ‘निर्मम हत्या के लिए’ ब्रिटिश सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि ‘कस्तूरबा एक शहीद की मौत मरी हैं.’
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिव आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि मंत्रालयीन स्तर पर विचार के बाद यह महसूस किया गया कि विदेश जाकर भारतीय इतिहास, संस्कृति और विरासत पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति की ज़रूरत नहीं है. कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने इसे दलितों को उच्च शिक्षा प्रणाली से बाहर करने वाला क़दम बताया है.
कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने बताया है कि हर दिन मीडिया में आ रहीं ख़बरों में हिजाब पर रोक के चलते घर वापस भेजी गईं छात्राओं की संख्या अलग-अलग बताई जा रही है. हमारा उद्देश्य यह देखना है कि क्या विद्यार्थी वास्तव में इस मुद्दे से प्रभावित हैं या पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: साल 2014 में देवरिया ज़िले में भाटपाररानी विधानसभा क्षेत्र के भवानी छापर गांव में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आईटीआई का शिलान्यास किया था. ग्रामीण युवाओं को आस थी कि वे तकनीकी हुनर सीखकर आजीविका कमा सकेंगे. सात साल बीतने के बावजूद यह आईटीआई अब तक शुरू नहीं हो सका और रोजी-रोटी की तलाश में स्थानीय युवा अन्य राज्यों में मज़दूरी करने के लिए पलायन को मजबूर हैं.