विपक्षी दलों के समूह ‘इंडिया गठबंधन’ ने द वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए फेसबुक के मुख्य कार्यकारी मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचई को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि मेटा/फेसबुक भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफ़रत को भड़काने का दोषी है.
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि श्रीनगर में भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स से जुड़े फ़र्ज़ी सोशल मीडिया एकाउंट्स के ज़रिये उनका नैरेटिव फैलाया गया और कश्मीरी पत्रकारों को निशाना बनाया गया. भारत में फेसबुक के अधिकारियों को मेटा नियमों के इस उल्लंघन की जानकारी होने के बावजूद सरकारी कार्रवाई के डर से उन्होंने कोई क़दम नहीं उठाया.
सुदर्शन न्यूज़ ने हाल ही में एक रिपोर्ट में अज़मत अली ख़ान नाम के एक व्यक्ति के ख़िलाफ़ जबरन धर्मांतरण के आरोप लगाते हुए 'जिहादी' कहा था. इसे चुनौती देने वाली ख़ान की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चैनल तुरंत वीडियो को हटाए, अगर वह ऐसा नहीं करता है तो सोशल मीडिया मंच उसे ब्लॉक कर दें.
सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 को संशोधित करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की गजट अधिसूचना गुरुवार को जारी की गई. इसमें कहा गया है कि गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियां सरकारी फैक्ट-चेकर द्वारा 'झूठी या भ्रामक जानकारी' बताई गई सामग्री को हटाने के लिए बाध्य होंगी.
भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हमलों की निगरानी करने वाले एक एक्टिविस्ट द्वारा रिपोर्ट किए जाने पर फेसबुक ने इन पोस्ट को हटाने से इनकार कर दिया. हालांकि, जब वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस संबंध में पूछताछ की, उसके बाद इन्हें हटाया गया.
फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप की मूल कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स ने 11,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया है. कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा, 'व्यापक आर्थिक मंदी, प्रतिस्पर्धा और विज्ञापन हानि ने राजस्व को बहुत कम कर दिया है. मैंने इसका गलत आकलन किया और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं.'
आरोप है कि 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र फ़ैज़ रशीद ने आतंकवादी हमले का जश्न मनाते हुए सेना का मज़ाक उड़ाया था और विभिन्न मीडिया संस्थानों की पोस्ट पर 23 टिप्पणियां की थीं. अदालत ने रशीद को आईपीसी की धारा धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत भी दोषी पाया.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि ब्लॉक किए गए भारतीय यूट्यूब चैनल फ़र्ज़ी और सनसनीखेज़ थंबनेल, न्यूज़ एंकर के फोटो और कुछ समाचार चैनल के लोगो का इस्तेमाल कर रहे थे. साथ ही उनके द्वारा प्रसारित सामग्री सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने की क्षमता रखती है.
मणिपुर सरकार ने अपने कर्मचारियों को उन सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलने का निर्देश दिया है, जो ‘अलगाववादी’, ‘राष्ट्र-विरोधी’ और ‘सांप्रदायिक’ एजेंडे के प्रचार में लिप्त हैं. विशेष गृह सचिव द्वारा जारी एक पत्र में कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को 12 अगस्त शाम छह बजे तक वॉट्सऐप और फेसबुक पर ऐसे समूहों से बाहर निकलना होगा.
2014 से 2020 के बीच केंद्र की मोदी सरकार द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया कंपनियों और टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को जारी किए गए सामग्री हटाने या ब्लॉक करने संबंधी आदेशों की संख्या में लगभग 2,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2014 में ऐसे आदेशों की संख्या 471 थी, जो कि 2020 में बढ़कर 9,849 पहुंच गई. यह भारत में बढ़ती ऑनलाइन सेंसरशिप की प्रवृत्ति को उजागर करता है.
फेसबुक के अलावा मेटा के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया मंच इंस्टाग्राम ने समान अवधि के दौरान 12 श्रेणियों में क़रीब 41 लाख सामग्रियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की. मेटा के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राप्त शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए मई में 19 लाख से अधिक भारतीय एकाउंट पर रोक लगाई गई.
फेसबुक के स्वामित्व वाले मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप द्वारा अप्रैल 2022 के लिए दी गई मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि हम विशेष रूप से रोकथाम पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि हानिकारक गतिविधियों के बाद क़दम उठाने से बेहतर है कि उन्हें होने ही न दिया जाए.
मेटा द्वारा 31 मई को जारी रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक ने अप्रैल में नफ़रत फैलाने वाली 53,200 पोस्ट का पता लगाया, जो मार्च की ऐसी 38,600 पोस्ट की तुलना में 82 प्रतिशत अधिक है. इंस्टाग्राम ने अप्रैल में 77,000 हिंसक और उकसावे वाली सामग्रियों पर कार्रवाई की. यह आंकड़ा मार्च में 41,300 था.
गुजरात पुलिस ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हाल में गिरफ़्तार की गईं झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तस्वीर साझा करने के मामले में फिल्मकार अविनाश दास के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है. इसके अलावा उनके ख़िलाफ़ फेसबुक पर 17 मार्च को छेड़छाड़ की गई एक तस्वीर साझा करके राष्ट्रध्वज का अपमान करने के आरोप में भी केस किया गया है, जिसमें एक महिला तिरंगा पहने दिख रही है.
भाजपा के समर्थकों और इसके ध्रुवीकृत करने वाले कंटेंट ने फेसबुक के एल्गोरिदम पर सस्ती दर पर विज्ञापन दिलाने में मदद की, जिसके चलते इसकी पहुंच काफ़ी अधिक बढ़ी.